देश दुनिया वॉच

लाउडस्पीकर का मस्जिदों पर उपयोग मौलिक ना संवैधानिक अधिकार नहीं-इलाहाबाद हाई कोर्ट

Share this

प्रयागराज
देश में चल रहे लाउडस्पीकर विवाद के बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है. साथ ही कोर्ट ने मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका भी खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाना मौलिक अधिकार नहीं है. ये कानून प्रतिपादित हो चुका है कि लाउडस्पीकर का मस्जिदों पर उपयोग करना संवैधानिक अधिकार नहीं है.

जस्टिस विवेक कुमार बिरला और जस्टिस विकास की डिवीजन बेंच ने बुधवार को ये आदेश दिया. याचिका इरफान नाम के शख्स ने दाखिल की थी. याचिका में बदायूं जिले के बिसौली एसडीएम के 3 दिसंबर 2021 को दिए गए आदेश को चुनौती दी गई थी.

एसडीएम ने अजान के लिए धोरनपुर गांव की नूरी मस्जिद में लाउडस्पीकर लगाने की अनुमति देने से इनकार कर दिया था. याचिका में दलील दी गई थी कि एसडीएम का आदेश पूरी तरह अवैधानिक है. यह आदेश मौलिक और कानूनी अधिकारों का हनन करता है.

क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस?

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस है कि रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउडस्पीकर का प्रयोग ना किया जाए. हालांकि, ऑडिटोरियम, कॉन्फ्रेंस हॉल, कम्युनिटी और बैंक्वेट हॉल जैसे बंद स्थानों पर इसे बजा सकते हैं. बता दें कि उत्तर प्रदेश में 54 हजार से ज्यादा मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटा लिया गया है और 60 हजार लाउडस्पीकर की आवाज कम कर दी गई है.

लाउडस्पीकर को लेकर विवाद नया नहीं है. कुछ साल पहले सिंगर सोनू निगम ने भी मस्जिदों में अजान के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि सुबह-सुबह लाउडस्पीकर की तेज आवाज से नींद में खलल पड़ता है.

वैसे देश में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर मनाही नहीं है, लेकिन इसके इस्तेमाल को लेकर कुछ शर्तें भी रखी गईं हैं, ताकि इसका इस्तेमाल करते वक्त दूसरे के जीवन पर कोई असर न हो. लाउडस्पीकर के इस्तेमाल को लेकर संविधान में नॉयज पॉल्यूशन (रेगुलेशन एंड कंट्रोल) रूल्स, 2000 में प्रावधान है.

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *