नई दिल्ली: भारत में कोरोना ने एक बार फिर समस्या बढ़ा दी है. चिंता इसलिए भी क्योंकि इस बार बड़े आँकड़े में स्कूली बच्चे भी संक्रमित हो रहे हैं. दिल्ली-NCR के कई विद्यालयों में अब तक कई बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं. तीसरी लहर थमने के पश्चात् तकरीबन दो वर्ष पश्चात् स्कूल पूरी तरह से खुलने आरम्भ ही हुए थे कि बच्चों के संक्रमित होने की वजह से एक बार फिर से इनके बंद होने के आसार दिखाई देने लगे हैं. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि अब विद्यालय बंद करना कोई हल नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, 24 घंटे में कोरोना के 1,247 नए केस सामने आए हैं. एक मरीज की मौत भी हुई है. सबसे अधिक 501 मामले अकेले दिल्ली में सामने आए हैं. राजधानी दिल्ली में कोरोना से स्थिति निरंतर बिगड़ रही हैं. यहां सोमवार को संक्रमण दर 7 प्रतिशत के पार पहुंच गई. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 5 प्रतिशत से ऊपर की संक्रमण दर ‘चिंताजनक’ होती है.
वही कोरोना की अब जो नई लहर तेज हो रही है, उसमें सैकड़ों बच्चे भी पॉजिटिव हो रहे हैं. दिल्ली, नोएडा एवं गाजियाबाद के कई विद्यालयों में बच्चे कोरोना संक्रमित मिले हैं. बीते 24 घंटे में दिल्ली से सटे नोएडा में ही 33 बच्चे कोरोना पॉजिटिव मिले हैं. हालांकि, बच्चों के पॉजिटिव होने पर विशेषज्ञों का कहना है कि चिंता की कोई बात नहीं है, क्योंकि जो बच्चे संक्रमित हो रहे हैं, उनमें बहुत हल्के लक्षण हैं तथा वो जल्दी ठीक भी हो जा रहे हैं.
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया कि अभी घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पिछली लहर का डेटा बताता है कि यदि बच्चे कोरोना पॉजिटिव हो भी जाते हैं, तो उनमें हल्के लक्षण होते हैं तथा बहुत जल्दी ठीक भी हो जाते हैं. उनका कहना है कि जो बच्चे वैक्सीन के लिए एलिजिबल हैं, वो वैक्सीन अवश्य लगवाएं. हालांकि, वो ये भी बोलते हैं कि जिन्हें वैक्सीन नहीं लगी है, उन्हें भी डरने की बात नहीं है क्योंकि गंभीर बीमारी नहीं हो रही है. महामारी एक्सपर्ट्स डॉ. चंद्रकांत लहारिया ने बताया कि बच्चों के कोरोना पॉजिटिव होने की खबरों पर इसलिए ध्यान देना आवश्यक है क्योंकि अब विद्यालय खुल चुके हैं. हालांकि, विद्यालय खुलने से पहले ही सीरो सर्वे में सामने आया था कि लगभग 70 से 90 प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं. उनका कहना है कि वयस्कों की भांति ही बच्चों के भी कोरोना संक्रमण की चपेट में आने का खतरा है, किन्तु बच्चों में या तो बहुत हल्के लक्षण होते हैं या फिर कोई लक्षण नहीं होता.