देवभोग /गरियाबंद::: इंसानी जिंदगी और परीक्षा एक दूसरे के पूरक हैं हर घड़ी हमारे सामने कोई न कोई परीक्षा रहती है कोई छोटी कोई बड़ी लेकिन आज हम बात करेंगे भारतीय शिक्षा पद्धति और विद्यार्थी एवं उनके माता-पिता उनके साथ कैसे सामना करते हैं फिर पढ़ाई करते करते ही बच्चों की भविष्य की चिंता होने लगती है क्या शुरू से ऐसा है बिल्कुल नहीं भारतीय शिक्षा पद्धति प्राचीन काल में गुरुकुल तथा आश्रमों में होती थी शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को अपना आदर्श प्रस्तुत करना रहता था और हर कार्य हर पढ़ाई प्रैक्टिकल से जुड़ी रहती थी जिसकी वजह से कोई भी विद्यार्थी विद्या अध्ययन के बाद बेरोजगार नहीं रहता था समय गुजरा अंग्रेजों का शासन काल आया इन्होंने सोचा भारतीय लोगों को कैसा हमेशा अपना सर्वेंट और अपने कार्य के लिए क्लर्क कैसे बनाना है सारा श्रेय गवर्नर जनरल लार्ड मैकाले को जाता है उसने यहां की शिक्षा पद्धति को भारत के कोने कोने में परखा और उसके समझ में आ गया भारत को गुलाम रखना है तो इनके लिए गुरुकुल और आश्रम पद्धति की शिक्षा बंद करनी होगी और वह पूर्णतया सफल रहा कम ज्यादा आज स्थिति वैसी ही है। भारत में आज की जनसंख्या के हिसाब से 68 परसेंट युवा है जिनकी उम्र नौनिहाल से लेकर35 साल तक है ।पढ़ाई के साथ भविष्य सवारने हेतु कठिन होता दौर इस बारे में छत्तीसगढ़ वाच ब्यूरो प्रमुख महेंद्र सिंह ठाकुर ने छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर उड़ीसा बॉर्डर देभोग और झाखरपारा मे प्रथम पंक्ति में आने वाले छोटी उम्र के विद्यार्थी उनके भविष्य के प्रति चिंतन को लेकर और उनके पालक या गार्जियन से बातचीत की।
मेरा सपना आईपीएस बनना… सर्वप्रथम झाखरपारा देवभोग और अंचल के प्रतिष्ठित नागरिक निर्भय तिवारी की बड़ी सुपुत्री छोटी उम्र से ही बेहद इंटेलीजेंट हार्ड वर्कर एम मनु पब्लिक स्कूल देवभोग में कक्षा 4 की विद्यार्थी प्रिया तिवारी ने कहा पढ़ना है और कुछ बनना है उनका सपना आईपीएस बनना है ट्यूशन नहीं जाती अपने बलबूते पढ़ाई करती हैं खेलने का अवसर कम मिलता है पढ़ाई को ज्यादा फोकस करना पड़ता है लेकिन मैं इसको चैलेंज के रूप में ही लेती हूं क्योंकि स्वामी विवेकानंद ने कहा था उठो चलो तब तक चलते रहो जब तक मंजिल मिल नहीं जाती । इनके पिता निर्भय तिवारी का कहना है शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत है बच्चों पर पढ़ाई का बोझ है।
मेरा सपना डॉक्टर बनना…. झाखरपारा के ही व्यापारी और युवा आईकॉन शैलेश मिश्रा के बड़े सुपुत्र सक्षम मिश्रा कक्षा आठवीं स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल देवभोग में पढ़ते हैं इनका सपना डॉक्टर बनना है बहुत व्यस्त शेड्यूल रहता है सुबह 8:00 से 12:00 बजे स्कूल वहां से आने के बाद फिर तैयार होकर 4:00 से 6:00 तक ट्यूशन फिर वहां से आकर पढ़ाई वार्षिक परीक्षा 2 दिन के बाद शुरू होनी है उसके लिए अतिरिक्त तैयारी करनी पड़ती है। ऐसा ही इनकी छोटी बहन स्वस्ति मिश्रा जो क्लास वन की स्टूडेंट है सामान्य समय में पढ़ाई तो करती ही हैं परीक्षा के समय अद्भुत तैयारी करनी पड़ती है। इनके पिता शैलेश मिश्रा का कहना है प्रैक्टिकल ज्ञान होना बहुत जरूरी है जो नहीं होता इस और सरकार को ध्यान देना चाहिए और पढ़ाई और परीक्षा का भार कैसे कम हो इसे देखना होगा।
बहन भाई का सपना अलग-अलग… झाखरपारा देवभोग के प्रतिष्ठित माहेश्वरी व्यापारी परिवार के दो बच्चे जिसमें बेबी पाखी यह देवभोग के डीएवी स्कूल मैं कक्षा नौवीं की छात्रा है इनका सपना आईएएस बनाना है हां यहां यह बात देखने में आए लगातार व्यस्त शेड्यूल के बाद भी बेबी अपने पसंदीदा कार्य डांस के लिए समय निकालती हैं और जमकर डांस करती है इन्हें तनाव लेना पसंद नहीं सबसे बड़ी बात इन्हें कुकिंग भी बहुत पसंद है और कक्षा 5 से हर डिश बनाना जानती हैं और कुकिंग का शौक इनके जगदलपुर में रहने वाली बुआ सरोज भूतड़ा से मिला इनके छोटे भाई गौरव महेश्वरी जोकि डीएवी पब्लिक स्कूल मैं कक्षा सातवीं के विद्यार्थी हैं पढ़ाई के बोझ के बाद भी ये देसी और विदेशी वाद्य यंत्र बजाने में बेहद माहिर हैं भविष्य में क्या बनना है अभी तय नहीं किया इनके गार्जियन उनके चाचा विकास माहेश्वरी जो कि व्यापारी हैं उन्होंने बताया पढ़ाई का प्रेशर तो है खासकर परीक्षा के समय लेकिन उससे बचने के लिए मैंने बच्चों को अन्य विधा का या हाबी अपनाने के लिए प्रेरित किया जिससे यह मानसिक रूप से मजबूत हो सके और यह उपाय कारगार रहा।
पढ़ाई और परीक्षा को तनाव नहीं चैलेंज के रूप में लेता हूं सपना आईपीएस बनना…. देवभोग और उड़ीसा क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यापारी अशोक अग्रवाल के छोटे बेटे स्वास्तिक गर्ग जो बेहद ब्रिलियंट और साइलेंट लेकिन हार्ड वर्कर इएल निशी मिशन स्कूल कुटरु उड़ीसा में कक्षा 5 के विद्यार्थी हैं इनका कहना है पढ़ाई और परीक्षा मैं बहुत व्यस्त रहना पड़ता है सुबह 7:30 बजे स्कूल जाना होता है 2:00 बजे आकर थोड़ा आराम उसके बाद 3:00 से 4:30 तक ट्यूशन फिर शाम 5:00 से 6:00 कंप्यूटर क्लास शाम 6:30 से 8:00 तक पढ़ाई थोड़ा मनोरंजन टीवी वगैरह फिर सो जाना लेकिन मैं पढ़ाई में तनाव नहीं लेता मेरा सपना आईपीएस बनना है अपराध और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाना है मास्टर स्वास्तिक की बातें कौतूहल से भरी और आनंद देने वाली थी उनके पिता अशोक अग्रवाल से जानकारी लेने पर उन्होंने कहा बेटे ने तो सारी बातें कह दी मेरे कहने के लिए कुछ नहीं बचा।
फोटो नंबर 1 बेबी प्रिया तिवारी नंबर दो निर्भय तिवारी नंबर 3 मास्टर सक्षम मिश्रा नंबर फोर शैलेश मिश्रा नंबर 5 बेबी पाखी माहेश्वरी नंबर 6 मास्टर गौरव माहेश्वरी नंबर 7 विकास माहेश्वरी नंबर 8 मास्टर स्वास्तिक गर्ग
एग्जामिनेशन और स्टूडेंट फिर कैरियर– एग्जामिनेशन फोबिया– क्या कहते हैं स्टूडेंट और गार्जियन
