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इस्लामी कोर्ट ने दी तीन तलाक को मंजूरी…हाईकोर्ट पहुंची महिला

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बिलासपुर| छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के शरीयत इस्लामी कोर्ट द्वारा दिये गए तीन तलाक के फैसले को एक मुस्लिम महिला ने बिलासपुर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी है. महिला ने कहा मैं हिंदुस्तानी हूं, मुस्लिम वीमेन प्रोटेक्शन एक्ट 2019 में तीन तलाक देना एक अपराध है. मैं भारत देश के संविधान को मानती हूं. हाई कोर्ट ने पीड़ित महिला की याचिका को स्वीकार करते हुए. रायपुर स्थित “इदारा ए शरिया” के तीन तलाक के फैसले और शरीयत कोर्ट की पूरी प्रक्रिया पर पूरी तरह से रोक लगा दिया है. इसके अलावा हाई कोर्ट जस्टिस पीसेम कोशी के सिंगल बेंच ने केंद्र शासन, राज्य शासन, इस्लामी कोर्ट और महिला के शौहर को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
दरअसल याचिकाकर्ता मुस्लिम महिला ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एडवोकेट देवर्षी ठाकुर के माध्यम से एक याचिका दायर की थी. इसमें महिला ने कहा कि उसके शौहर ने उसे तीन बार लिखित में तलाक दे दिया. मामला रायपुर स्थित “इदारा ए शरिया” इस्लामी कोर्ट गया. वहां इस्लामी कोर्ट ने इस तीन तलाक की सुनवाई कर फैसला सुनाते हुए तलाक को मंजूरी दे दिया. जबकि 2019 देश से ट्रिपल तलाक कानून के बाद धारा 4 मुस्लिम वुमेन प्रोटेक्शन एक्ट के तहत तीन तलाक अपराध है. महिला ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से कहा कि मैं देश के संविधान को मानती हूं, इस तीन तलाक और इस्लामी कोर्ट के फैसले को नहीं मानती.

तलाक पर रोक
देवर्षी ठाकुर ने बताया कि मामले में महिला द्वारा दायर याचिका को आज हाई कोर्ट जस्टिस पी सेम कोशी के सिंगल बेंच ने स्वीकार कर लिया है. हाई कोर्ट ने शरीयत इस्लामी कोर्ट के फैसले और पूरी प्रक्रिया पर रोक लगा दिया है. साथ ही राज्य शासन, केंद्र शासन, इस्लामी कोर्ट “इदारा ए शरिया और महिला के शौहर को नोटिस जारी करते हुए जवाब तलब किया है. यह तो आश्चर्य की बात है कि राजधानी रायपुर में इस तरह का इस्लामी कोर्ट स्थापित है. इसकी जानकारी होने पर भी अबतक इस पर राज्य शासन द्वारा कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई, जिस वजह से पीड़िता को हाई कोर्ट की शरण लेनी पड़ी.

इस्लामी कोर्ट ने कहा था इसलिए जायज है तीन तलाक
प्रकारण के मुताबिक रायपुर के इदारा-ए-शरीया इस्लामी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि पति ने गवाहों की मौजूदगी में अपनी पत्नी को तीन तलाक दिया है. तीन तलाक दिए जाने की तारीख से दोनों एक दूसरे के लिए हराम हो गए हैं. साथ ही इस्लामी कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पीड़िता को मेहर की रकम में 20 ग्राम सोने की चेन दी गई है. वह अपनी मर्जी से शौहर की इजाजत के बिना ससुराल से गई है, इसलिए वह इद्दत का खर्च की हकदार नहीं होगी. बता दें कि इस्लामी कोर्ट ने पति के आवेदन पर सुनवाई के बाद अपना फैसला दिया था. उसने अपने फैसले में लिखा है कि कोर्ट में काजी ए शरअ ने लिखा कि पति ने तीन तलाक दिया. लिखित तलाकनामा तीन तारीखों में डाक के जरिए पत्नी को भेजा गया है.

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