प्रांतीय वॉच

किसानों के लिए जीवामृत, अमृतपानी,सजीव जल,और पंचगव्य हैं एक वरदान

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संजय महिलांग नवागढ़ बेमेतरा । खेती किसानी में खाद का क्या महत्व हैं भला एक किसान से ज्यादा कौन समझ सकता है उदाहरण के लिए जैसे, दूध में केवल एक चम्मच दही मिलाया जाता है,और कुछ घंटों के भीतर दूध का दही सैकड़ों गुना बढता है.क्योंकि दूध के पोषक तत्वों को खाकर बॅक्टेरिया की नई पिढीयों से दही में रूपांतर करता है.  जीवामृत में बनाने की विधी भी ऐसे ही है,देसी गाय के गोबर- गोमूत्र के और मीट्टी के बॅक्टेरिया को पानी मे डालकर,बेसन से पोषक तत्व देकर गूढ से फरमेन्ट किया जाता है.इस क्रिया मे भी बॅक्टेरिया नई पिढी की अगणित कॉलोनीया बनती है.लगभग गोबर के बैक्टीरिया 500 गुना तक वृद्धी होती  हैं .जीवामृत के बॅक्टेरिया भूमी से पोषक द्रव्ये की प्रोसेस कर जड देते है,जिवामृत अत्यंत उपयुक्त जंतूरोधक है इस कारण से जिवामृत स्प्रे से फसल पर बिमारी नही आती.एंटीबायोटिक तत्व होने से यह फसल की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढाने के लिए घुटी का काम करता है. फसल के पत्ते का आकार बढाने के हार्मोन्स (संजिवक) जीवामृत स्प्रे द्वारा साध्य होता है. पत्ती का आकार दुगना मतलब सूर्य द्वारा फोटो सिंथेसिस से अन्न पूर्ती ज्यादा , इस कारण से फसल का उत्पादन बढना है .कभी आपातकाल मे जड से नत्र की पत्तीयौ को पूर्ती नही हुवी तो, जीवामृत के स्प्रे से जिवाणू हवा से नत्र लेकरं पत्ती को देते है. जीवामृत के प्रयोग से फसल या पौधों को पानी की कम लगता है, ऐसे जैविक वातावरण मे जमीन मे केंचुए की संख्या बढती है, और जमीन मे अगणित बॅक्टेरिया गतिविधी बढती है , जिससे बायोमास के साथ मिट्टी एन.पी.के. बढ़ जाती है.

आप हमेशा कहते हैं कि खेत में इतनी ट्रॉलीया गोबर खाद डाले . कभी आपने जानकारी लिया की, ये गोबर खाद् का गढ्ढा छाव मे था या नहीं ? कितनी बार पानी से गड्ढा भरता था? क्या अंदर का तापमान बढ़ गया? बिना जानकारी से खाद् की खरेदी होती है और दुसरी बात, गोबर खाद् को कडक गर्मियों में खेत में रखते हैं और उन्हें कठोर गर्मी में खेत में फेंक देते हैं, जिस गरम मिट्टी में आवश्यक नमी नहीं होती है. गोबर खाद्  में का बैक्टीरिया अधिकतम 35 डिग्री तक जीवित रह सकते हैं. आप ही सोंचे क्या, इस गोबर खाद् का जमीन और फसल को लाभकारी होगा ? यकीन नही नही ,लगभग पुरा पैसे वेस्ट हुवा.

उदाहरण के लिये 5 एकड़ जमीन के किसान भाई, खरीफ और रबी फसल को हर साल रासायनिक खाद,हर्बिसाइड और कीटनाशक का कम से कम  लगभग 25 से 30 हजार का खर्च करते है, तीन साल में लगभग 1 लाख ज्याद खर्च कर देते है. जीरो बजट खेती प्रणाली में गोबर, गोमूत्र, हर चीज घर के होते है , सिर्फ गुड़ ही खरीद कर लाना होता है.

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