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क्या पार्टी और सरकार दोनों में अलग-थलग पड़े सिंहदेव?

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रायपुर: छत्तीसगढ़ की सियासत में टीएस सिंहदेव बीते कई महीनों से अलग-थलग नजर आ (Baghel versus Singhdeo) रहे हैं. सरकार के कार्यक्रमों के अलावा पार्टी के क्रियाकलापों में भी वह हाशिए पर नजर आ रहे हैं. ना तो वे पार्टी कार्यक्रमों में ज्यादा नजर आते हैं और ना ही मुख्यमंत्री के आसपास उनकी उपस्थिति होती है. सरकार की तरफ से आयोजित पत्रकार वार्ता में भी वह नजर नहीं आ रहे हैं. यही वजह है कि राज्य में यह कयास लगाए जा रहे हैं कि सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है. इसका असर टीएस सिंहदेव और छत्तीसगढ़ के राजनीतिक भविष्य पर पड़ सकता है.

कांग्रेस में ऑल इज नॉट वेल !

एक समय था कि सिंहदेव के साथ कई विधायक और नेता खड़े दिखते थे. सिंहदेव का दिल्ली दौरा भी चर्चा में रहता था. आए दिन सिंहदेव दिल्ली दौरा करते थे. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से सिंहदेव की मुलाकात होती थी. लेकिन कई महीनों से न तो सिंहदेव का दिल्ली दौरा हुआ और न ही आलाकमान की तरफ से उन्हें बुलाया गया है.

सिंहदेव ने 2021 के अगस्त महीने में दिल्ली का दौरा किया था. तब उन्होंने कहा था कि आलाकमान को सभी बातें बता दी गई हैं. राहुल गांधी बस्तर के दौरे पर छत्तीसगढ़ आएंगे. वह खुद इस मुद्दे पर फाइनल राय देंगे. लेकिन अब पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी व्यस्त है. शायद यह भी वजह है कि ढाई-ढाई साल के सीएम फॉर्मूले का दांव अभी छत्तीसगढ़ में ठंडा पड़ गया है.

हालांकि कुछ सियासी अलाप ये भी हैं कि अगर पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति ठीक नहीं होती है तो सिंहदेव का पलड़ा राज्य में भारी पड़ सकता है. अगर परिणाम बेहतर हुए तो राज्य में भूपेश बघेल का कद बरकरार रहेगा. यह सभी अटकलें हैं. आइए नजर डालते हैं कि इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष, विपक्ष और राजनीतिक जानकार क्या कहते हैं

बघेल सरकार में स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का हो रहा अपमान- बीजेपी

टीएस सिंहदेव और बघेल के बीच बढ़ती दूरियां कांग्रेस में हावी है. इस पर बीजेपी लगातार तंज कस रही है. बीजेपी प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि भूपेश बघेल की सरकार में लगातार स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का अपमान हो रहा है. बीजेपी ने इसे कांग्रेस का कल्चर और डीएनए बताया है. बीजेपी का मानना है कि यहां कांग्रेस पार्टी में एक नेता दूसरे नेता को नीचा दिखाने की कोशिश करता रहता है. संजय श्रीवास्तव ने राहुल गांधी के बहाने कांग्रेस पर निशाना साधा उन्होंने कहा कि, जिस तरह राहुल का कद बढ़ाने और उन्हें पार्टी का अध्यक्ष बनाने के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेताओं दरकिनार किया जा रहा है. उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी हो रहा है. यही स्थिति टीएस सिंहदेव और भूपेश बघेल में चल रही है

सिंहदेव और बघेल में नहीं है कोई दूरियां- सुशील आनंद शुक्ला

कांग्रेस के प्रदेश मीडिया विभाग के प्रदेश अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने बीजेपी के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है. सिंहदेव और बघेल के बीच किसी भी तरह की दूरी से उन्होंने इंकार किया है. सुशील आनंद शुक्ला ने ढाई-ढाई साल के फॉर्मूले को बीजेपी का प्रपंच बताया है. उन्होंने कहा कि सिंहदेव के पास प्रदेश के कई बड़े मंत्रालय का जिम्मा है. ऐसे में उनकी उपयोगिता को कम करने की बात कहना गलत है.

‘कांग्रेस में ऑल इज नॉट वेल’

राजनीतिक जानकार की मानें तो कांग्रेस में ऑल इज नॉट वेल की स्थिति है. यह पार्टी साल 2018 की पार्टी नहीं दिखाई दे रही है. जिसमें सिंहदेव और बघेल एक साथ पार्टी की अगुवाई करते देखे जाते थे. उनका मानना है कि हाल के दिनों में पार्टी के अंदर वर्चस्व की लड़ाई चल रही है. जिसकी वजह से सिंहदेव अलग-थलग दिखाई दे रहे हैं. रामअवतार तिवारी ने कहा कि ऐसा दिख रहा है. लेकिन टीएस सिंहदेव अभी भी सरकार में मंत्री है. उनके पास कई बड़े विभाग है. इसके अलावा वह सरगुजा के कद्दवार नेता हैं. उन्होंने कहा कि वर्चस्व की लड़ाई में यह भी देखना होगा कि शीर्ष नेतृत्व के कौन करीबी है. शीर्ष नेतृत्व किन को जिम्मेदारी दे रही है. सिंहदेव के कम हो रहे दिल्ली दौरे को लेकर भी रामअवतार तिवारी ने कहा कि अभी परिस्थितियां अलग है. इसलिए सिंहदेव दिल्ली दौरे पर कम जा रहे हैं

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