(दल्लीराजहरा ब्यूरो ) इमरान अहमद | बस्तर सभाग में गोंडी , दोरली , भतरी व हल्बी बोली अलग अलग भूभाग में प्रचलित है जहाँ इन सभी सभी बोली भाषाओ को बोलने वाली जनजातीयो को एक सूत्र में बाँधने का कार्य किया जा रहा है जिसमे किसी भी भाषा को मान्यता मिली है तो वह है हल्बी भाषा है। इन सभी तथ्यो से हल्बी परिपूर्ण है | 26 जनवरी को प्रातः 10:00 बजे छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के करकमलों द्वारा विमोचन किया गया। साथ ही लिपि व व्याकरण के बाद अब इसका शब्दकोश भी रचा जा चुका है। जगदलपुर के वरिष्ठ साहित्यकार रूद्र नारायण पाणिग्रही ने बताया कि हल्बी के 7 हजार से अधिक शब्दों का संकलन कर हिन्दी हल्बी शब्दकोश पुस्तक का लेखन किया है |
273 पृष्टों में छपे शब्दकोश में हल्बी के शब्दकोष में उसका अर्थ , स्वर , व्यंजन लिखा गया है |
इस पुस्तक के प्रकाशक सरस्वती बुक्स के आकाश माहेश्वरी ने बताया की सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ में उन्हों ने छत्तीसगढ़ी भाषा मे व्यकारण, शब्दकोश, इतिहास, जनजाति, कला एवं संस्कृति यहां के क्रांतिकारियों एवं अभुझमाण्ड , मुरिया जनजाति पर अनेकों पुस्तकें प्रकाशित की है |
अब समय के साथ – साथ हमारा प्रकाशन बस्तर की आँचलिक बोली हल्बी , गोण्डी व भतरी पर विशेष रूप से काम कर रहा है |
माहेश्वरी ने ये बताया कि
हिन्दी – हल्बी शब्दकोश के साथ ही साथ हल्बी व्यकारण बस्तर के लोकपर्व हल्बी मुहावरे के साथ अन्य किताबो का भी विमोचन किया गया जिसमें इस कार्यक्रम में उपस्थित सरस्वती बुक्स के प्रकाशक आकाश माहेश्वरी पुस्तक के लेखक रुद्रनारायण पाणीग्राही एवं शिव कुमार पाण्डेय जी ने छत्तीसगढ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं कलेक्टर रजत बंसल एवं जिले के समस्त अधिकारियों व पत्रकारों का एवं जिले की जनता जनार्दन का आभार व्यक्त किया |