पत्तियों पर जल संग्रहण की क्षमता बढ़ाता हैं
नवागढ़ बेमेतरा संजय महिलांग
छत्तीसगढ़ राज्य में इन दिनों तीवरा, चना, की फसल पर बेमौसम बारिश,ओलावृष्टि, तूफान सहित कई आपदाओं की मार पड़ रही हैं। जिससे फसलों को भारी नुकसान हो रहा है। इन प्राकृतिक आपदाओं ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दिए हैं। पूरे जिले में बारिश और ओलावृष्टि ने कहर ढ़ाया है। ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश में गौ मूत्र एक संजीवनी बन कर उभरा है।
यह प्रयोग किशोर राजपूत ने अपने खेत की फसल पर किया है, जिसकी वजह से तीवरा,चना, मटर,मसूर, सरसों की फसल सुरक्षित है।
किशोर राजपूत बताते हैं कि ओला वृष्टि से आलू, टमाटर, चना,और सब्जियों की फसल सबसे जल्दी प्रभावित होती हैं। फसल बचाने के लिए किसान उस पर पानी में सलफ्यूरिक एसिड मिलाकर छिड़काव करते हैं। यह प्रक्रिया काफी जोखिम भरी होती हैं, एसिड की अधिक मात्रा होने पर फसल खराब हो सकता है। इससे अच्छा 13 लीटर पानी में 2 लीटर गौ मूत्र मिलाकर उसे फसल पर छिड़काव कर ओलावृष्टि से बचाया जा सकता है।
गौ मूत्र इसलिए कारगर साबित होता है
किशोर राजपूत के मुताबिक गौ मूत्र में 32 तरह के तत्व होते हैं। इसमें यूरिया,यूरिक एसिड, नाइट्रोजन,सल्फर,अमोनिया, तांबा,लोहा,फास्फेट,पोटेशियम, मैंगनीज,कैल्सियम, कार्बोलिक एसिड, आदि प्रमुख हैं। गौ मूत्र का छिड़काव पत्तियों पर किसी कवच की तरह काम करता है। गौ मूत्र से फसल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाता हैं
गौ मूत्र के छिड़काव से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाता हैं, फसल की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, पत्तियों में जल धारण क्षमता बढ़ती है और ओलावृष्टि से बर्फ पत्तियों पर नहीं जमती पाती और पला से फसल सुरक्षित रहता है।
प्राकृतिक तरीका है कारगर
बेमौसम बारिश से फसल को सुरक्षित रखने के लिए प्राकृतिक तरीका कारगर साबित हो रहा है । लगातार बेमौसम बारिश ने पूरी किसानी चौपट कर दिया है। पहले जमाने में इसी विधि से फसल सुरक्षित रखा जाता था।