स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने नए साल में एक नहीं दो दो संकल्प लिया है। पहला वे पूरे प्रदेश का दौरा करेंगे और दूसरे का खुलासा नहीं किया है। उनके दूसरे संकल्प के बारे में लोग अपने तरह से कयास लगा रहे हैं।
डीएम की बारी
खबर है कि मेयर-उपाध्यक्ष चुनाव निपटने के बाद तीन कलेक्टरों को बदला जा सकता है। इनमें एक सरगुजा संभाग और दूसरे दुर्ग संभाग के हैं। कलेक्टरी के लिए कई नए नाम चर्चा में हैं। लेकिन वर्ष-2008 अनुराग पाण्डेय उन चंद आईएएस अफसरों में हैं जिन्हें कलेक्टरी का मौका नहीं मिला। जबकि उनसे जूनियर मौका पा गए। अनुराग सरल हैं और कामकाज में दक्ष भी हैं। उन्हें ईमानदार अफसर माना जाता है। मगर उनकी पृष्ठ भूमि अच्छी पोस्टिंग में आड़े आ रही है। अनुराग बिलासपुर भाजपा के बड़े नेता और पूर्व मंत्री स्व. मनहरण लाल पाण्डेय के बेटे हैं। हालांकि रमन सरकार में बेहद पॉवरफुल रहे कई अफसर कांग्रेस सरकार में अहम पद पाने में कामयाब रहे। एक के बारे में तो कहा जाता है कि वो ओपी चौधरी के प्रचार में भी गए थे। अनुराग निष्पक्ष रहे हैं। लेकिन सरकार के रणनीतिकारों के नजर में नहीं आए। शायद इस वजह से वे पिछड़ गए।
वृक्षारोपण में बड़ा गोलमाल
रायपुर नगर निगम क्षेत्र के वृक्षारोपण अभियान में बड़ा गोलमाल हुआ है। भाजपा के एक नेता ने मामला उठाया था लेकिन उन्हीं की पार्टी के प्रमुख लोग बचाव में आ गए। कुल मिलाकर सत्ता और विपक्ष के दिग्गजों ने मिलकर करोड़ों के इस मामले को उजागर नहीं होने दिया।
नेताओं का पुत्र मोह
डॉ. चरणदास महंत के अगला चुनाव नहीं लडऩे की घोषणा के बाद कांग्रेस में हड़कंप मचा हुआ है। उनके कई नजदीकी लोग अब नया ठिकाना तलाशने में जुट गए हैं। बताते हैं कि डॉ. महंत अपने विधानसभा क्षेत्र सक्ती में एक निजी एजेंसी के जरिए सर्वे भी करा रहे हैं। वे अपने पुत्र सूरज को आगे करना चाहते हैं। न सिर्फ महंत बल्कि कवासी लखमा भी अपने पुत्र हरीश को विधानसभा में देखना चाहते हैं। हरीश काफी सक्रिय भी हैं। वो मेहनत भी कर रहे हैं। वैसे तो कांग्रेस में नेता पुत्रों का भविष्य उज्जवल ही है।
बेचारे साय
नंदकुमार साय दुखी हैं। उन्हें उम्मीद थी कि कोर ग्रुप में जगह मिलेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी और नितिन नबीन ने तो कुछ लोगों को कह दिया कि कोर ग्रुप की सूची जारी होने से पहले उनसे सलाह मशविरा तक नहीं किया गया। आखिर सूची किसने तैयार की। बताते हैं कि सूची पवन साय ने रमन सिंह और सौदान सिंह से चर्चा कर तैयार की थी। फिर रमन सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से चर्चा कर सूची पर मुहर लगवाई। चर्चा तो यह भी है कि कोर ग्रुप में पहले बृजमोहन को नहीं रखा गया था लेकिन बाद नड्डा ने उनका नाम जोड़ा। नंदकुमार साय ने पिछले दिनों संवैधानिक पद पर बैठे एक प्रमुख नेत्री को अपना दुखड़ा सुनाया है। साय नए साल में दिल्ली जाकर पार्टी प्रमुख नेताओं से मिलेंगे। पार्टी के भीतर रमन सिंह के विरोधी नेता अब एकजुट होकर उनके खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में हैं। अब इसका नतीजा चाहे कुछ न हो लेकिन कांग्रेस की राह आसान तो हो ही रही है।