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भागवत कथा को सुनने वाले को मिलती है मुक्ति : पं अरुण दुबे

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श्रीमद्भागवत के दूसरे दिन सुनाई परीक्षित श्राप की कथा

संजय महिलांग/ नवागढ़। मिश्रा पारा नवागढ़ में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथाव्यास पं अरुण दुबे (बिल्हा) ने द्वापर युग समाप्त होने और कलयुग के शुभारंभ की कथा सुनाई। कथा में बताया कि राजा परीक्षित ने शिकार के दौरान देखा कि एक पैर वाले बैल और गाय को कोई पीट रहा था। राजा परीक्षित क्रोधित हुए और उस व्यक्ति से कहा कि तुझे मृत्युदंड मिलना चाहिए। राजा का क्रोध देख कलयुग उनके चरणों में क्षमा-याचना करने लगा। राजा इस माया को समझ गए कि एक पैर वाला बैल धर्म है और गाय के रूप में धरती मां हैं। मारने वाला कलयुग है। राजा ने कलयुग को राज्य की सीमा से बाहर चले जाने का आदेश दिया। कलयुग ने कहा कि महाराज आपका शासन पूरी धरती पर है, ऐसे में मैं कहां जाऊं। आप ही कुछ उचित स्थान दें जहां मैं रह सकूं।

ऋषि पुत्र ने दिया श्राप

पं दुबे ने बताया कि कलयुग के गिड़गिड़ाने पर राजा परीक्षित ने उसे धरती पर रहने के लिए जुआं, मदिरा, परस्त्रीगमन और हिंसा जैसी चार जगह दे दी। कलयुग को मौका मिल गया और वह सूक्ष्म रूप में राजा के सिर पर स्वर्ण मुकुट में बैठ गया। राजा शिकार के लिए आगे बढ़े तो प्यास लगी। वे शमिक ऋषि के आश्रम में गए और जल के लिए आवाज लगाई। ऋषि शमिक ध्यान में लीन थे। सिर पर कलयुग के बैठे होने की वजह से राजा परीक्षित को लगा कि ऋषि उनका अपमान कर रहे हैं। वे क्रोधित हो गए और ऋषि शमिक के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया। उसी समय नदी से स्नान कर लौट रहे ऋषि शमिक के पुत्र श्रृंगी ने जब पिता के गले में मरा सांप देखा तो राजा परीक्षित को श्राप दे दिया कि सात दिनों के भीतर तक्षक नाग के डसने से उसकी मौत हो जाएगी।

उन्होंने बताया कि श्राप मिलने पर राजा परीक्षित ने अपने पुत्र जन्मेजय को राजपाट सौंपकर गंगातट पर मृत्यु की प्रतीक्षा करने लगे। शुकदेव भगवान ने राजा को मुक्ति पाने के लिए भागवत कथा सुनने कहा। राजा ने सात दिन कथा सुनी और मुक्ति को प्राप्त हुए। कथावाचक ने कहा कि भागवत कथा को सुनने वाले को मुक्ति अवश्य प्राप्त होती है।

पहले दिन निकली कलशयात्रा

प्रथम दिवस संध्या बेला में मिश्रा पारा से महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश धारण कर कलश यात्रा मानाबंद तालाब पहुंचे। पं. कमलेश शर्मा ने विधि विधान से वेदिका का निर्माण कर यजमान से पूजा अर्चना कराकर देवी देवताओं का आह्वान किया। कथावाचक ने गोकर्ण कथा के पूर्व भागवत महापुराण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए भागवत सुनने वह कराने के लाभ को बताया तत्पश्चात गोकर्ण कथा की शुरुआत किया जो रात तक चलता रहा । इस अवसर पर महेश मिश्रा, राजेन्द्र मिश्रा, मनभर मिश्रा, राकेश जायसवाल, दारा मिश्रा, रामावतार, संतोष, दिनेश, बीरबल, सन्तु, विनोद, कृष्णकुमार, बबला, रमेश चौहान, तुलसीराम चौहान, सालिकराम श्रीवास्तव सहित भक्तजन उपस्थित रहे।

आज जड़भरत और प्रहलाद कथा

कथावाचक पं अरुण दुबे ने बताया कि सोमवार को जड़भरत चरित्र, कपिलो उपाख्यान, भक्त प्रहलाद, अजामिल चरित्र का वर्णन किया जाएगा।

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