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कलेक्टर के निर्देश पर तत्काल हुआ अमल…नववर्ष के पहले ही कस्तूरबा आवासीय विद्यालय के छात्राओं को मिली खेल सामग्री और कंप्यूटर

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50 बिस्तर व गद्दे भी मिले, रंग रोगन का भी हो रहा है काम
आफताब आलम /बलरामपुर / कस्तूरबा आवासीय विद्यालय रामानुजगंज के छात्राओं को नये साल के पूर्व ही खेल सामग्री और कम्प्यूटर मिल गया है। छात्राओं के लिए यह नये साल के उपहार के समान है और उन्होंने कलेक्टर को धन्यवाद भी दिया। दरअसल पिछले दिनों क्षेत्र भ्रमण के दौरान कलेक्टर अचानक कस्तूरबा आवासीय विद्यालय रामानुजगंज का निरीक्षण करने पहुंच गए। निरीक्षण के दौरान आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने कलेक्टर से कहा कि उनके पास खेल सामग्री नहीं है और उन्हें कंप्यूटर भी सीखना है। कलेक्टर ने बच्चियों को भरोसा दिलाया कि वे इसकी तत्काल व्यवस्था करेंगे। कलेक्टर कुंदन कुमार ने न केवल के अधिकारियों को निर्देशित किया कि वह मांग के अनुरूप बच्चों को सुविधाएं उपलब्ध कराएं बल्कि उसकी सतत् समीक्षा भी की। जिसका परिणाम हुआ कि बच्चों को खेल सामग्री और कंप्यूटर मिल गया है। साथ ही 50 बेड और गद्दे की व्यवस्था भी छात्राओं के लिए की गई है और भवन के पुताई का कार्य भी किया जा रहा है।
अक्सर देखा गया है कि जब कोई अधिकारी छात्रावास या स्कूल भ्रमण करने जाते हैं तो निश्चित ही बच्चे कुछ बातें अधिकारियों से साझा करते हैं और उन्हें भरोसा होता है कि जल्द ही उनकी इच्छाएं पूरी होंगी। बच्चों की इच्छाएं और जरूरते छोटी सी कोशिश से पूरी हो सकती है कलेक्टर श्री कुंदन कुमार ने यही काम किया है। फलस्वरूप बच्चों को बैडमिंटन, नेट, बैट, बॉल, शतरंज, फुटबॉल, पॉच कम्प्यूटर सेट मिल गये हैं।
कलेक्टर  कुन्दन कुमार ने बताया कि उनकी मंशा थी कि नये साल के पहले ही बच्चों को यह सामग्रियां मिल जाये ताकि उन्हें नये साल के आने की खुशी भी महसूस हो। नया साल का सबेरा उनके जीवन में खुशियां और उम्मीद लेकर आये और वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए और अधिक उत्साह के साथ आगे बढ़ें। कलेक्टर की बातें बच्चे सूने यह उपलब्धि नहीं है बल्कि बच्चे बिना किसी डर के अपनी बात कलेक्टर से कह पायें यह जरूरी है। बच्चों को ऐसा वातावरण, आत्मविश्वास और ऐसा अवसर दिया जाना चाहिए ताकि वे निर्भिकता के साथ अपनी बात रख सकें। कलेक्टर श्री कुन्दन कुमार ने पिछले दिनों बच्चों के समग्र विकास के अनुकूल वातावरण देने तथा उनसे निरंतर संवाद करने की सार्थक पहल की शुरूआत की है। जिससे बच्चों की जरूरतें पता चलती ही है साथ ही उनका आत्मविश्वास भी बढ़ता है।

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