“देवार है कला प्रवीण जाति”
गंडई पंडरिया- जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी संस्कृति परिषद भोपाल द्वारा दिनांक 25 से 27 दिसम्बर 2021तक जनजातीय संग्रहालय भोपाल में त्रिदिवसीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया।”विमुक्त एवं घुमंतू जातियों की शिल्प व कला परम्परा” विषय पर केंद्रित इस आयोजन में छत्तीसगढ़ के सुपरिचित साहित्यकार डॉ.पीसी लाल यादव ने छत्तीसगढ़ की घुमंतू जाति देवारों के लोकवादयों एवं लोकगीतों पर अपना शोधपूर्ण व्याख्यान दिया।उन्होंने कहा कि देवार गरीबी में जीते हैं।ये सुख- सुविधा की दृष्टि से भले ही विपन्न हैं, किन्तु कला की दृष्टि से सर्वाधिक सम्पन्न हैं।सुप्रसिद्ध देवार लोक गायिका स्व. दुखिया बाई के गीतों का उल्लेख करते हुये ग्राम चेचान मेटा के लोक कलाकार फन्नू देवार, कवर्धा की शान्ति बाई देवार और कुकुसदा बिलासपुर की रेखा देवार की कलाओं पर पीपीटी के माध्यम प्रकाश डाला।जिसे देश भर से आये लोक अध्येयताओं व शोधार्थीयों ने सराहा।इस अवसर पर अकादमी की ओर से डॉ.पीसी लाल यादव को प्रतीक चिह्न और प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
भोपाल में शोध संगोष्ठी सम्पन्न
