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राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला रुकवाने की थी साजिश, पूर्व CJI रंजन गोगोई का सनसनीखेज खुलासा

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नई दिल्ली। अयोध्या में राम मंदिर और बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट का फैसला रुकवाने की साजिश थी। ये दावा और खुलासा इस मामले में फैसला सुनाने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच के प्रमुख और पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने किया है। अपनी आत्मकथा Justice for the Judge में रंजन गोगोई ने लिखा है कि अंतिम सुनवाई के दिन एक शख्स बिना पास के उनकी मंजूरी लेकर कोर्ट में आना चाह रहा था। जस्टिस गोगोई ने पूरे मामले की तफसील से जानकारी अपनी आत्मकथा में दी है। गोगोई ने लिखा है कि किस तरह उन्होंने राम मंदिर पर फैसला रुकवाने की इस कोशिश को नाकाम कर दिया।

 

अपनी आत्मकथा जस्टिस फॉर द जज के पेज नंबर 188-189 में जस्टिस गोगोई ने पूरा मामला बताया है। उन्होंने लिखा है कि अंतिम सुनवाई के दिन बेंच बैठी थी। तभी करीब साढ़े 11 या 12 बजे सुप्रीम कोर्ट के महासचिव ने कागज पर एक नोट लिखकर भेजा। उन्होंने लिखा है कि एक वादी का प्रतिनिधि कोर्ट में दाखिल होने की मंजूरी मांग रहा है। जस्टिस गोगोई ने लिखा कि उस वक्त जस्टिस एसए बोबडे मेरी दायीं और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ मेरी बाईं तरफ बैठे थे। दोनों ने जानना चाहा कि इस नोट में क्या लिखा है। मैंने उन्हें बताया और फिर बेंच ने फैसला लिया कि किसी भी सूरत में किसी को अंदर नहीं आने देना है। जस्टिस गोगोई ने लिखा है कि मैंने महासचिव से कहा कि ये शख्स भीतर नहीं आना चाहिए।

Ram Temple

उन्होंने लिखा कि लंच के दौरान महासचिव ने फिर पूछा कि इस शख्स के बारे में क्या करना है। गोगोई ने लिखा है कि उसे और 2 घंटे के लिए रोका जाए। आगे अपनी आत्मकथा में जस्टिस गोगोई ने लिखा है कि सुनवाई के बाद उन्होंने दोपहर करीब 3 बजे सभी पक्षों से कहा, ‘बहुत हुआ, इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा जाता है।’ जस्टिस गोगोई के मुताबिक उन्हें लग गया था कि कोर्ट में आने की चाह रखने वाला शख्स किसी तरह हंगामा बरपाकर सुनवाई और फैसला रुकवाने की कोशिश करने वाला था। क्योंकि जो भी वादी होता है, उसे वकील के जरिए पास मिल जाता है। पूर्व सीजेआई ने लिखा है कि अगर इस व्यक्ति को मैं प्रवेश दे देता, तो मामले की सुनवाई शायद टालनी पड़ जाती।

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