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छत्तीसगढ़ में सरकारी अस्पताल के लिए कोरोना की दवा और उपकरण के टेंडर निरस्त, जांच लैब और आपरेशन थियेटर के लिए होनी थी यह खरीदी

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  • 400 दवाओं और उपकरणों की खरीदी के एक दर्जन टेंडर किए निरस्त

रायपुर : छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच स्वास्थ्य विभाग की बेपरवाही सामने आई है। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कार्पोरेशन (सीजीएमएससी) ने 400 दवाओं और उपकरणों की खरीदी के करीब एक दर्जन टेंडर को एक दिन पहले ही निरस्त कर दिया है। इसमें पैथोलाजी लैब, आपरेशन थियेटर सहित अन्य सर्जिकल उपकरण की खरीदी होनी है। इसके साथ ही कोरोना की दवाओं की खरीदी के टेंडर को भी निरस्त कर दिया गया है।

सीजीएमएससी ने कई टेंडर तो दूसरी और तीसरी बार निरस्त किए हैं। इनमें से अधिकांश उपकरण और दवा का कोरोना के इलाज से सीधा संबंध है। चौंकाने वाली बात यह है कि कोरोना की दूसरी लहर में जब मरीज रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए परेशान थे, तब सीजीएमएससी ने खरीदी में देरी की। हाल यह है कि वर्तमान में रायपुर, दुर्ग और जगदलपुर जिलों में 18 हजार एक सौ रेमडेसिविर इंजेक्शन एक्सपायरी डेट के नजदीक पहुंच चुके हैं। इसके कारण हर टेंडर में दो से तीन बोलीकर्ता ही भाग ले रहे हैं। मंगलवार को निरस्त हुए टेंडर को सिर्फ इसलिए फाइनल नहीं किया गया, क्योंकि टेंडर में एक या दो लोगों ने ही भाग लिया था। टेंडर में भाग लेने वाली कंपनियों की मानें तो सीजीएमएससी के एमडी कार्तिकेय गोयल के आने के बाद से टेंडर की प्रक्रिया काफी पेचीदा हो गई है। अधिकांश टेंडर को उनके हस्तक्षेप के कारण अंतिम रूप नहीं दिया जा रहा है। इस मामले को लेकर कार्तिकेय गोयल से संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

इन दवाओं की नहीं हुई खरीदी

कोरोना के इलाज के लिए उपयोग होने वाली दवाओं की खरीदी का टेंडर भी पूरा नहीं हो पाया है। सीजीएमएससी के गोदाम में ग्लूको टेस्ट स्ट्रीप, एमाक्सिलीन कैप्सूल, फेविपिरा टैबलेट, एलबेंडाजोल टैबलेट, क्लाक्ससिलिन टैबलेट, कोवटोक टोसिलइजुंब टैबलेट, कोविन इनोक्जाप्रिन इंजेक्शन और आइब्रुफेन टैबलेट का स्टाक खत्म हो गया है। ये आंकड़े सीजीएमएससी की वेबसाइट से लिए गए हैं। ये दवाएं आपात स्थिति में कोरोना के लिए उपयोग की जाती हैं।

जानकारी नहीं है

सीजीएमएससी ने किस कारण से टेंडर निरस्त किए हैं, इसकी जानकारी नहीं है। कोरोना की तीसरी लहर की पूरी तैयारी है। मंत्री टीएस सिंहदेव ने समीक्षा की है, जिसमें उन्होंने संतोष व्यक्त किया है।

डा. आलोक शुक्ला, प्रमुख सचिव, स्वास्थ्य विभाग

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