बिलासपुर : प्रदेश के चर्चित IPS और निलंबित ADG जीपी सिंह की दो याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई हुई। मामले में शासन ने अपने जवाब में उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक प्रकरण को तथ्यपूर्ण बताया है। साथ ही कहा है कि IPS जीपी सिंह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। प्रकरण में अंतिम सुनवाई होनी थी, लेकिन IPS के वकील ने जवाब के लिए समय मांग लिया। जिस पर कोर्ट ने सुनवाई 8 दिसंबर तक टाल दी है।
जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच में शासन ने जीपी सिंह की याचिका पर जवाब प्रस्तुत किया। इसमें बताया गया कि शासन ने कानूनी प्रावधान के तहत ही कार्रवाई की है। मामले की जांच में जीपी सिंह पुलिस को सहयोग नहीं कर रहे हैं। शासन का जवाब आने के बाद जीपी सिंह के वकील आशुतोष पांडेय ने जवाब के लिए समय मांग लिया। इस पर कोर्ट ने मामले को 8 दिसंबर तक के लिए टाल दिया है।
राजद्रोह और भयादोहन मामले में लगाई है याचिका
IPS जीपी सिंह ने हाईकोर्ट में अलग-अलग दो याचिकाएं दायर की है। इन याचिकाओं में रायपुर में दर्ज राजद्रोह के साथ ही भिलाई में भयादोहन के मामले में की गई FIR को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि साल 2016 में की गई शिकायत को आधार बनाकर उनके खिलाफ भयादोहन का केस दर्ज किया गया है।
व्यापारी को झूठी कार्रवाई का भय दिखाकर 20 लाख रुपए उगाही की गई थी। आरोप है कि पांच साल पुरानी शिकायत पर उन्हें राज्य शासन के इशारे पर फंसाया गया है। याचिका में उन्होंने FIR को निरस्त करने की मांग की है। साथ ही अंतरिम राहत के तौर पर पुलिस कार्रवाई पर रोक लगाने की मांग की गई है। इसी तरह उन्होंने रायपुर में दर्ज राजद्रोह के मामले को भी चुनौती देते हुए FIR रद्द करने की मांग की है।
प्रावधान के तहत नहीं हुई FIR
जीपी सिंह के अधिवक्ता आशुतोष पांडेय ने कोर्ट को बताया कि किसी भी लोक सेवक के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करने से पहले कानूनी राय लेने के साथ ही नियुक्ति कर्ता अधिकारी से अनुमति लेना आवश्यक है, लेकिन जीपी सिंह के खिलाफ अपराध दर्ज करने से पहले केंद्र सरकार से अनुमति तक नहीं ली गई है।