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मजदूर की बेटी की जान बचाने 16 करोड़ का अमेरिकी इंजेक्शन लगेगा- कोल इंडिया के चेयरमेन ने पिता को सौंपा चेक

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दीपका: कोल इंडिया अपने मजदूर की दो साल की बच्ची के इलाज के लिए 16 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। यह रकम एक दुर्लभ बीमारी के इलाज में काम आने वाले इंजेक्शन को खरीदने में खर्च होंगे। कंपनी ने इलाज के लिए इस रकम की मंजूरी दे दी है। कोल इंडिया के प्रबंधक ने बच्ची के पिता को चेक सौंप दिया है। जल्दी ही इसकी खरीद प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। कोल इंडिया की सहयोगी कंपनी साउथ ईस्टर्न कोल फिल्ड्स लिमिटेड के दीपका कोयला क्षेत्र में सतीश कुमार रवि एक ओवरमैन के तौर पर काम करते हैं। उनकी बेटी सृष्टि रानी स्पाइनल मस्क्यूलर एट्रॉफी नाम की एक बेहद ही दुर्लभ बीमारी से पीड़ित है। इस बीमारी में स्पाइनल कॉर्ड और ब्रेन स्टेम में नर्व सेल की कमी से मांसपेशियां सही तरीके से काम नहीं कर पातीं। धीरे-धीरे यह बीमारी बढ़ती है और जानलेवा हो जाती है। अपने जन्म के 6 महीने के भीतर ही सृष्टि काफी बीमार रहने लगी। इस बीच कोविड महामारी की वजह से उसके माता-पिता उसे बेहतर इलाज के लिए बाहर नहीं ले जा सके और स्थानीय स्तर पर उसका इलाज चलता रहा। हालत में सुधार न होता देख सतीश दिसंबर 2020 में बच्ची को लेकर क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेल्लोर गए। यहां उन्हें इस बीमारी के बारे में पता चला। डॉक्टरों ने इलाज के लिए जोलजेंस्मा इंजेक्शन की जरूरत बताई। इसको किसी भारतीय नियामक ने अनुमोदित नहीं किया है, लेकिन अमेरिका के नियामक ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है। इसकी कीमत करीब 2 मिलियन डॉलर यानी करीब 16 करोड़ रुपए होगी. SECL के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. सनीश चंद्र ने बताया, कंपनी प्रबंधन ने सतीश की समस्या का पता लगने पर मदद करने का फैसला किया। इसके लिए कोल इंडिया के अनुमोदन की जरूरत थी। पिछले दिनों कोल इंडिया के चेयरमेन ने इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर शुक्रवार को बच्ची के पिता को 16 करोड़ का चेक प्रदान कर दिया। डॉ. चंद्रा का कहना है, कंपनी ने न सिर्फ अपने परिवार की बेटी की जान बचाने के लिए यह बड़ी पहल की है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के अन्य उपक्रमों और दूसरे संस्थानों के लिए भी एक मिसाल पेश की है।

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