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प्रदूषण के गंभीर हालात को लेकर केजरीवाल सरकार पर SC सख्त, कहा- हमें मजबूर न करें….

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नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली की हवा में घुले जहर यानी प्रदूषण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को अहम सुनवाई हुई. इसमें सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली सरकार, केंद्र सरकार की दलीलें सुनी गईं. साथ ही विज्ञापन का मामला भी इस दौरान उठा और कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कह दिया कि ऑडिट का आदेश देने को मजबूर ना करें. सुनवाई से पहले अपने एफिडेविट और फिर सुनवाई के दौरान भी दिल्ली सरकार ने कहा कि वह पूर्ण लॉकडाउन को तैयार है लेकिन लॉकडाउन NCR और पड़ोसी राज्यों में भी लगना चाहिए, वर्ना वह बेअसर होगा.

अब इस मसले पर बुधवार को सुबह 10.30 बजे सुनवाई होगी. सुनवाई के आखिर में कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार, एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग कमीशन मिलकर NCR के राज्यों से आज या कल में मीटिंग करे.इसमें पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी के मुख्य सचिव होने चाहिए. इसके साथ-साथ केंद्र और दूसरे राज्यों से वर्क फ्रॉम होम को लागू करने पर विचार करने को कहा.सुनवाई में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दिल्ली और उत्तरी राज्यों में वर्तमान में पराली जलाना प्रदूषण का प्रमुख कारण नहीं है क्योंकि यह प्रदूषण में केवल 10% योगदान देता है, वहीं फिलहाल धूल की वजह से होने वाला प्रदूषण ज्यादा है.

कोर्ट ने पूछा – धूल साफ करने वाली कितनी मशीनें हैं?

आगे सुनवाई में कोर्ट ने पूछा कि दिल्ली सरकार बताए कि उसने प्रदूषण को काबू करने के लिए क्या कदम उठाए. उसके पास रोड से धूल-मिट्टी हटाने की कितनी मशीने हैं?इसपर दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा ने कहा कि रोड को साफ करने वाला तंत्र MCD के अंदर आती है. इसपर कोर्ट तल्ख हुआ. बाद में राहुल मेहरा ने बताया कि दिल्ली में 69 रोड साफ करने वाली मशीने हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मशीनों को कैसे बढ़ाया जा सकता है. इसपर मेहरा ने कहा कि उपराज्यपाल और सरकार इसके लिए प्रतिबद्ध है. इसपर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की और कहा कि सब प्रतिबद्ध हैं, लेकिन मशीने कैसे आएंगी और कितनी मशीनें चाहिए ये बताएं.सपर मेहरा ने कहा कि ये बात MCD कमिश्नर बताएंगे. इसपर चीफ जस्टिस ने कहा कि मेरी दादी एक चेन की कहानी सुनाती थी और बताती थी कि कैसे मछली मर गई. आप लोग MCD पर आरोप लगा रहे हैं.

कोर्ट में आया विज्ञापनों का जिक्र

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत ने दिल्ली सरकार से कहा कि इस तरह का रवैया उनको ऑडिट का ऑर्डर देने को मजबूर कर देगा, जिसमें देखा जाएगा कि कितना पैसा कहां खर्च हुआ. देखा जाएगा कि कितना पैसा विज्ञापनों पर भी खर्च किया जाता है. हमें ऐसा करने को मजबूर ना करें.

कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि MCD की तरफ से पहले ही कोर्ट को बताया गया था कि उनके पास कर्मचारियों को सैलरी देने तक के पैसे नहीं हैं. इसपर दिल्ली सरकार ने कहा कि वे MCD को फंड देने को तैयार हैं.सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हम चाहते हैं कि प्रदूषण कम हो. हम यहां आपको हर कदम के लिए सलाह नहीं दे सकते. कारखानों, ट्रैफिक को कंट्रोल करना आपका (सरकार) काम है.

सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्र और राज्य सरकार से कल शाम तक जवाब मांगा है कि किन उद्योगों को रोका जा सकता है, किन वाहनों को चलने से रोका जा सकता है और किन बिजली संयंत्रों को रोका जा सकता है और आप तब तक वैकल्पिक बिजली कैसे उपलब्ध करा सकते हैं.

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