कमलेश रजक/पलारी : अंचल में शुक्रवार-शनिवार के दरमियानी रात से छाए बदली और बेमौसम बरसात ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें उभार दी है । त्योहार और मौसम के अनिश्चितता के चलते पहले से पिछड़े, फसल कटाई के काम मे पड़ने वाली इस अप्रत्याशित बाधा ने जहां एक ओर उत्पादन में कमी की आशंका पैदा की है वहीं दूसरी ओर किसानों के सर पर अतिरिक्त काम बोझ भी बढ़ गया है ।
इस खरीफ के सीजन में बरसात के लंबा खींच जाने के कारण खेतो का गीलापन सुख नही पाया है । इस स्थिति में अंचल के अधिकांश रकबा में हार्वेस्टर के कटाई संभावना पहले ही समाप्त हो गई है, कुछ रकबा में हार्वेस्टर चलने की संभावना पर भी इस बरसात ने पुरी तरह पानी फेर दिया है। किसानों के पास पारपंरिक तरीके से मजदूरों से कटाई करवा कर खलिहान में मिसाई का विकल्प रह गया है । दीपावली त्योहार के बाद किसान खलिहान के तैयारी में ही लगे थे की बरसात ने इसपर भी विराम लगा दिया । कुछ एक जगहों पे खलिहान में फसल को काट कर इकठ्ठा करना शुरू हुआ भी तो अब उन ढेरियों को भीगने से बचाने का जुगत लगाना पड़ रहा है ।
धान के हरहुना किस्म की फसल खेतों में पक कर पुरी तरह तैयार हो गई है । इस बारिश से खड़ी फसल गिर कर जमीन में लेट गई है । इससे बालियों में से बीज झड़ने की साथ ही जमीन के संपर्क में आए बीजो पर अंकुरण का खतरा बढ़ गया है । नमी वाले जमीन पर बालियों के लेट जाने से कटवा बीमारी भी उत्पादन में कमी का कारण बनेगी जिसमे पुरी की पुरी बाली टूट के अलग हो जाती है यही खतरा खेत मे कट कर रखे हुए फसलों पर भी है,। निर्धारित दिवस के अंदर फसल न कट पाने के कारण कटाई और धुलाई में सूखे पौधे से बालियां झड़ने से भी उत्पादन में गिरावट आएगी ।
किसान रघूंनदन वर्मा ,चैतन्य चद्रवंशी, तरुण वर्मा, जितेंद्र वर्मा, पुरषोत्तम वर्मा, रति राम साहू बताते हैं कि देर रात मौसम बिगड़ने से किसानों में आपाधापी मच गई ।खलिहान में मिसाई के लिए रखे ढेरियों को किसी भी तरह भीगने से बचाने के लिए एक तालपतरी जुगाड़ में भिड़े रहे । बरसते पानी मे भीगते हुए खरही के ऊपर चढ़ के ढ़कने का प्रयास करते रहे । हालांकि किसानों का यह प्रयास सुबह के होने तक नाकाफी नजर आने लगे जब बरसात कम होने के बजाय और बढ़ती गई और शनिवार के पूरी दिन रह रह के बूंदों की झड़ी लगी रही ।
खेतों में कट कर रखा धान का करपा को होगा भारी नुकसान
खेतों के गीले होने के कारण हाथो से काटकर रखा गया धान का करपा बारिश होने के कारण अब उसे उठाने में लेट लतीफी होगा जिसके कारण बाल टूटकर खेत में गिरेगा और ज्यादा भिंग जाने के कारण उसमें अंकुरित होने की संभावना बढ गया है वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी बी पी जवजोरिया पलारी एवम् डी डी ए एस आर पैकरा का कहना है खेतों में कटा हुआ धान को इस बारिश से ज्यादा नुकसान होगा क्योंकि पानी ज्यादा पड़ने और भीगने के कारण बाली भी टूटकर खेतों में गिरेगा और धान में उठाव में देरी हुआ तो अंकुरित होने का भी संभावना है आज की बारिश से फिलहाल चार से पांच दिनों तक धान कि कटाई का काम प्रभावित होगा ।
पहले से ही किसानी में पिछड़े किसानों के लिए यह बारिश बेहद परेशानी का सब बन कर गिरा है । त्योहार के बाद रफ्तार पकड़े काम पर पूरी तरह ब्रेक लग गया है । अब किसानों के सामने बादल के छंटने और मौसम खुलने पर जमीन के सुखने तक का इंतजार करने के अलावा कोई चारा नही रह गया है ।।