प्रांतीय वॉच

उदंती अभ्यारण में एक और दूलर्भ राजकीय पशु वनभैंसा सोमू की मौत

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पुलस्त शर्मा/मैनपुर :बाड़े में दुर्लभ वन्य जीव राजकीय पशु वनभैंसों की वंशवृध्दि संरक्षण और संवर्धन के लिए लाखों, करोडो रूपये पानी की तरह खर्च किया जा रहा है लेकिन भारी भरकम राशि खर्च करने के बाद भी लगातार वनभैंसो की मौत सवालिया उत्पन्न कर रहा है। छत्तीसगढ़ प्रदेश के राजकीय पशु वनभैसों की लगातार हो रही मौत पर संकट की बादल मंडरा रही है लगातार इन वनभैसों की संख्या घट रही है जो पूरे प्रदेश के लिऐ चिंता का विषय है। उदंती सीतानदी टाईगर रिजर्व के उदंती अभ्यारण में फिर एक राजकीय पशु नर वनभैसा की मौत हो गई मिली जानकारी के अनुसार उदंती अभ्यारण बाड़े के भीतर रखे राजकीय पशु एक नर वनभैसा का कल गुरुवार शाम को अचानक मौत हो गई और मौत की जानकारी लगते ही वनविभाग में हड़कंप मची हुई है और वनभैसा की मौत की खबर लगते ही विभाग के आला अफसर उदंती अभ्यारण पहुंच चुके हैं हालांकि इस संबंध में जानकारी लेने के लिए विभाग के आला अधिकारियों से संपर्क किया जा रहा है लेकिन कई का मोबाइल बंद बता रहा है।
वन विभाग द्वारा जारी नोट में बताया की
दिनाक 11/11/2021 की सुबह गरियाबंद के दक्षिण उदंती परिक्षेत्र में स्थित वनभैंसा प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र, जुगाड में रखे सभी वनभैंसों का स्वास्थ तथा गतिविधि सामान्य पाया गया। किंतु सुबह लगभग 11.00 बजे मैदानी अमले ने सोमू नामक एक नर वनभैंसे को असामान्य व्यवहार करते हुए पाया। जिसका नजदीक से परीक्षण करने पर उसका पेट फूला हुआ पाया गया जिसको संज्ञान में लेते हुए तत्काल पशुचिकित्सक को इलाज हेतु गरियाबंद से बुलाया गया। पशुचिकित्सक के मौके पर पहूंचने की अवधि दौरान, उनके द्वारा दूरभाष पर दी गई सलाह अनुरूप वन अमले तथा डबल्यू टी आई की टीम द्वारा प्राथमिक उपचार किया गया। परंतु पशुचिकित्सक के पहुंच ने के पूर्व, प्राथमिक उपचार के दौरान ही सोमू वनभैंसे ने अपनी अंतिम सांस ली। इसके पूर्व दिनाक 10/11/2021 को प्रजनन एवं संवर्धन केंद्र में रखे सभी वनभैंसों का डबल्यू टी आई की टीम एवं वन अमले द्वारा निरीक्षण किया गया, जिस दौरान सभी वनभैंसे स्वस्थ हालत में पाए गए। दिनाक 12/11/2021 की सुबह, 3 पशुचिकित्सक के दल द्वारा मुख्य वनसंरक्षक वन्यप्राणी रायपुर, उपनिदेशक उदंती सीतानदी टाइगर रिजर्व, सहायक संचालक उदंती, परिक्षेत्र अधिकारी दक्षिण उदंती तथा अन्य वन अमले की मौजूदगी में पोस्ट मार्टम किया गया पोस्ट मार्टम में एकत्रित सैंपल की रिपोर्ट के उपरांत ही मृत्यु का सही कारण ज्ञात हो पाएगा।
ज्ञात हो कि पिछले दो वर्षो के भीतर उंदती अभ्यारण्य में पांच वनभैंसांे की मौत कई सवालों खडा कर रहा है एक तरफ पुरे प्रदेश व देश में तेजी से घट रहे अति दुर्लभ वनभैंसा को छत्तीसगढ राज्य निर्माण के बाद छत्तीसगढ शासन ने राजकीय पशु का दर्जा दिया है और इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए लाखों, करोडो रूपये पानी की तरह खर्च किया जा रहा है बावजूद इसके वन भैंसों की संख्या बढने की बजाए तेजी से घटी है जो वन विभाग के लचर कार्यप्रणाली को बताने के लिए काफी है। तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 38 किलोमीटर दूर दक्षिण उंदती अभ्यारण्य कक्ष क्रमांक 82 मंें वन विभाग द्वारा लगभग 32 हेक्टेयर घने ंजंगल को चारो तरफ से बडे बडे लोहे के एंगल और तार से बाडा घेराकर रेसक्यू सेंटर का निर्माण किया गया है और इस वन भैंसा सरंक्षण और संवर्धन केन्द्र के भीतर खुशी नामक एकमात्र मादा वनभैंसा व अन्य नर वनभैंसों को रखकर संरक्षण तथा संवर्धन का कार्य किया जा रहा था । उदंती अभ्यारण्य में लाख जतन के बाद भी वनभैंसा की मौत की सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा है अभ्यारण क्षेत्र के संरक्षण संवर्धन केन्द्र मे बाड़ा मे व स्वतंत्र विचरण को रखे गये दूलर्भ राजकीय पशु वनभैंसो को बचाने शासन प्रशासन व वन विभाग लाखों करोडो खर्चा करने के बाद भी राजकीय पशुओं की मौत पर अंकुश नही लगा पा रहे है पिछले तीन वर्ष के भीतर पांच वनभैंसा की मौत से क्षेत्र के लोग वन विभाग की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे है। ज्ञात हो कि ढाई वर्ष पहले मुख्यालय मैनपुर के नजदीक नाहनबिरी के जंगल में श्यामू नामक वन भैंसा की मौत हो गई थी और इसके गले में कालर आईडी लगाया गया था बावजूद वनभैंसा के मौत के जानकारी तीन दिन बाद विभाग को इसके बारे मंे पता चल पाया था जबकि वन विभाग कालर आईडी के माध्यम से पल- पल की जानकारी का दावा करते नही थकते वही 04 मई 2019 को जूगांडू नामक वनभैंसा की मौत अभ्यारण्य क्षेत्र में बीमारी के चलते हो गई थी, फिर 19 फरवरी को 2020 को आशा मादा वनभैंसा की मौत हो गई जिसके बाद बीते अगस्त माह में एक मात्र मादा वनभैंसा खुशी की मौत हो जाने के बाद पूरा अभ्यारण क्षेत्र मादा वनभैंसा से विरान हो गया है अब खुशी मादा वनभैंसा की मौत के बाद गुरूवार को सोमू वनभैंसा ने अभ्यारण में अपनी अंतिम सांस ली। तीन वर्ष के भीतर पांच वनभैंसों की मौत हो जाने से पर्यावरण प्रेमियो में निराशा देखनें को मिल रहा है, और क्षेत्र के लोंगो ने वनभैंसा के इलाज में बरती जा रही लापरवाही को भी इसके कारण बताए जा रहे है जो क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है फिर अचानक जिस वन भैंसा को बचाने वन विभाग पानी की तरह पैसा बहाया था आखिर मौत कैसे हो गई निष्पक्ष जांच के बाद ही वास्तविकता पता चल पाएगी ।

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