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अंतरराष्ट्रीय बौद्ध स्थल सिरपुर एवं प्रज्ञागिरी डोंगरगढ़ को बौद्ध समाज की भावनाओं के अनुरूप सरकार विकसित करें, अंबेडकरवादी विचारकों,चिंतकों की मांग

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कमलेश लव्हात्रे/बिलासपुर : डॉ.अंबेडकर महापरिनिर्वाण भूमि सम्मान समारोह समिति नई दिल्ली की छत्तीसगढ़ प्रदेश इकाई एवं बौद्ध महासंघ छत्तीसगढ़ प्रदेश के संयुक्त तत्वाधान में प्रदेश के प्रमुख अंबेडकरवादी विचारकों ,चिंतकों, कार्यकर्ताओं एवं बौद्ध समाज के प्रमुख पदाधिकारियों, प्रतिनिधियों की बैठक मध्य प्रदेश के पूर्व केबिनेट मंत्री एवं डॉ. अंबेडकर महापरिनिर्वाण भूमि सम्मान समारोह समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंद्रेश गजभिए के मुख्य आतिथ्य एवं बौद्ध महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप वासनीकर की अध्यक्षता में आयोजित की गई ।

सर्वप्रथम उपस्थित अतिथियों ने तथागत गौतम बुद्ध एवं बोधिसत्व भारत रत्न डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के छाया चित्र पर माल्यार्पण किया तत्पश्चात सामूहिक रूप से बुद्ध एवं धम्म वंदना की ।बैठक को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि इंद्रेश गजभिए ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने सन 1932 में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए पृथक निर्वाचन प्रणाली मंजूर करवाई थी जिसके खिलाफ महात्मा गांधी ने आमरण अनशन किया एवं पूना पैक्ट के बाद यह व्यवस्था समाप्त हो गई किंतु आज के परिवेश में पुनः इस व्यवस्था की आवश्यकता है अतः अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्रों में केंद्र सरकार पृथक निर्वाचन प्रणाली ( सेप्रेट इलेक्ट्रोल ) लागू करें ताकि आरक्षित सीटों पर सिर्फ एस सी/ एस टी के मतदाता अपना प्रतिनिधि चुन सकें।

डॉ. भीमराव अंबेडकर महापरिनिर्वाण भूमि दिल्ली में बड़ा भूमि परिसर प्रदान किया जाए एवं संविधान पिता डॉ .बाबासाहेब आंबेडकर की निर्वाण भूमि को राजघाट जैसा दर्जा प्रदान किया जाए ताकि जो भी विदेशी राजनयिक भारत आए वह बाबा साहेब की निर्वाण भूमि पर पुष्प अर्पित करने अवश्य जाएं । इस अवसर पर समिति के प्रदेश अध्यक्ष अनिल खोबरागड़े ने स्वागत भाषण देते हुए समिति द्वारा प्रदेश स्तर पर किए गए कार्यों ,आयोजनों एवं धार्मिक सामाजिक प्रदर्शनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

बैठक को संबोधित करते हुए समिति के राष्ट्रीय महासचिव एवं सेल एस सी /एस टी फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील रामटेके, बौद्ध महासंघ छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष दिलीप वासनीकर ,भारतीय बौद्ध महासभा छत्तीसगढ़ प्रदेश के महासचिव भोजराज गौरखेड़े, द बुद्धिस्ट सोसायटी आफ इंडिया के प्रदेश अध्यक्ष अनिल मेश्राम , बौद्ध समाज बिलासपुर के अध्यक्ष सारंग राव हुमने ,डोंगरगढ़ के पूर्व विधायक एवं प्रज्ञागिरी ट्रस्ट के अध्यक्ष विनोद खंडेकर ,बौद्ध युवा महासंघ छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष चकेश्वर गड़पायले ने संबोधित करते हुए प्रदेश सरकार से मांग की कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में डॉ. अंबेडकर यूनिवर्सिटी एवं बुद्धिस्ट यूनिवर्सिटी बनाई जाए । जाति प्रमाण पत्र बनाने के लिए सन 1950 के पूर्व के दस्तावेज की अनिवार्यता समाप्त की जाए ।

अनुसूचित वर्गों के लिए शासकीय सेवा में रोजगार के अवसर बढ़ाए जाए। अंतरराष्ट्रीय बौद्ध स्थल सिरपुर एवं प्रज्ञागिरी डोंगरगढ़ को बौद्ध समाज की भावनाओं के अनुरूप भव्य दर्शनीय स्थल बनाने हेतु प्रदेश सरकार विशेष कार्य योजना बनाकर बजट का प्रावधान करें। छत्तीसगढ़ प्रदेश में भारतीय संविधान के निर्माता ,भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल को नगर , जिला एवं प्रदेश स्तर पर भव्य रूप से मनाने के लिए प्रदेश सरकार 2 करोड रुपए का बजट आवंटित करें ।

बैठक का संचालन पेंथर सेना के प्रदेश अध्यक्ष अनिल गजभिए एवं आभार प्रदर्शन भारतीय बौद्ध महासभा भिलाई के अध्यक्ष नरेंद्र खोबरागड़े ने किया । इस अवसर पर प्रमुख रूप से अखिल भारतीय परिसंघ के प्रदेश अध्यक्ष हर्ष मेश्राम, अशोक डोंगरे, समिति की प्रदेश महिला अध्यक्ष श्रीमती मीरा बोरकर, मेहर समाज के प्रदेश अध्यक्ष किशोर कन्नौजे, समता सैनिक दल के प्रदेश अध्यक्ष आनंद रामटेके ,हरीश वाहने ,सुनील नागदौने, अशोक धवले, अलंकार भिवगड़े , सुजाता रामटेके ,अनीता मेश्राम , संगीता पटेल ,डॉ प्रज्ञा तारा, विनोद श्रीरंगे ,शैलेंद्र डोंगरे ,धीरज मेश्राम, देवेंद्र मोटघरे , विनोद वासनिक ,चित्रसेन कोसरे, शैलेश बड़गे, योगेश रावत ,आर. एस. चौहान ,प्रमोद गजपाल ,अनिल कांबले ,मधुकर ठवरे, अरुण वैद्य, संजय मेश्राम ,रामेश्वर तुरकाने ,रिखीराम मोटघरे ,भीमराव भैसारे सहित छत्तीसगढ़ प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए लगभग 200 प्रतिनिधि उपस्थित हुए ।

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