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कोयला संकट के बीच कोरबा पहुंच रहे केंद्रीय कोयला मंत्री, एसईसीएल की तीन प्रमुख खदानों का करेंगे दौरा, हालात का लेंगे जायजा

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कोरबा। देशभर में कोयला संकट और संभावित बिजली संकट के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी बुधवार को कोरबा पहुंचने वाले हैं। बताया जा रहा है कि उनके साथ कोल इंउिया के चेयरमैन भी होंगे। दोनो एसईसीएल की तीन प्रमुख खदानों गेवरा, कुसमुंडा और दीपका का जायजा लेंगे। इस दौरान वे कोयला उत्पादन व डिस्पैच बढ़ाने पर अधिकारियों के साथ मंथन करेंगे।

यहां से उनके रांची जाने का कार्यक्रम है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार की टीम कोयला संकट से उबरने मैदान पर उतर गई है। खदान में आने वाली समस्याओं व संसाधनों पर भी चर्चा होगी। कोयला मंत्री के आगमन की खबर के बाद एसईसीएल प्रबंधन खदान में रात को ही तैयारियों में जुट गई। बताया जा रहा है कि प्रबंधन के सामने जमीन की संकट न आए इसके लिए स्थानीय स्तर के प्रशासनिक अधिकारियों के साथ भी महत्वपूर्ण बैठक हो सकती है। कोल इंडिया के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल भी साथ मौजूद रहेंगे।

दो माह पहले ही अग्रवाल ने गेवरा खदान का दौरा कर अधिकारियों की बैठक ली थी। इसके अलावा कोयला मंत्रालय की संयुक्त सचिव विस्मिता व निर्देशक तकनीक विनय रंजन भी खदानों का दौरा कर चुके हैं। लोकसभा सदस्य ज्योत्सना महंत ने कहा कि केंद्र सरकार का कोयला संकट नहीं होने का बयान आश्चर्यजनक है। कहीं ऐसा तो नहीं कि आस्ट्रेलिया की कंपनी से कोयला आयात कराने के लिए माहौल तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोयला संकट देश के साथ प्रदेश व कोरबा जिले में भी है और ऐसे में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री का बयान देना बिल्कुल विपरीत है।

कोरबा की ही बात करें तो बीते एक माह में कोल इंडिया के चेयरमैन व सेक्रेटरी ने खदानों का दौरा किया, वहीं उत्पादन के दावे की पोल खुलती नजर आ रही है। एसईसीएल के कुसमुंडा व गेवरा खदानों में अधिकारी एक पखवाड़े से उत्पादन बढ़ाने को लेकर कवायद कर रहे है, लेकिन नतीजा क्या है। जानकारी मिली है कि कुसमुंडा व गेवरा की खदानों से बिजली संयंत्र को कोयला की आपूर्ति भी ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है। कुसमुंडा में रोड सेल से दी जाने वाली कोयला की आपूर्ति भी 15 दिनों से बंद है और अब यही स्थिति गेवरा खदान में भी उत्पन्ना होने की संभावना है। महंत ने कहा कि दीपका व गेवरा परियोजना में लगातार धरना पर बैठे भूमि पुत्रों की समस्याओं को भी जल्द सुलझाने की जरूरत है। इस पर एसईसीएल के जिम्मेदार अधिकारियों को गंभीरता पूर्वक ध्यान देना चाहिए।

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