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नासा की तस्वीरों में दिखने लगी दिल्ली-हरियाणा की आग, 5 साल का पैटर्न हो रहा फॉलो

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नई दिल्ली : पंजाब और हरियाणा दोनों में पराली जलाने की घटनाओं ने अब नासा के VIIRS सेटेलाइट इमेजरी पर दिखना शुरू कर दिया है. 1 सितंबर से पंजाब के माझा क्षेत्र में 200 से ज्यादा खेतों में आग की गिनती पहले ही दर्ज की जा चुकी है. ये गिनती ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (CEEW) के किए गए एक विश्लेषण के आधार पर है. आंकड़ों के मुताबिक, पंजाब में बुधवार को 66 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं. वहीं हरियाणा में उसी दिन 23 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं.

हर साल सितंबर के अंत में सेटेलाइट इमेजरी पर पराली जलाने से आग की घटनाएं दिखने लगती हैं. अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक इनकी संख्या काफी बढ़ जाती है. विशेषज्ञों ने कहा कि आंकड़ों की अभी तुलना करना जल्दबाजी होगा. पंजाब और हरियाणा दोनों की स्थिति कैसी है, इसका बेहतर संकेत अक्टूबर के मध्य तक मिलेगा. इस सप्ताह से पहले, पंजाब, हरियाणा, यूपी और दिल्ली के कुछ हिस्सों में बारिश हो रही थी, जो फिर से आग के पैटर्न को प्रभावित कर सकती है. पंजाब के माझा क्षेत्र (अमृतसर और तरनतारन) में अब तक 200 से अधिक खेत में आग लगने की सूचना मिली है.

पांच साल के पैटर्न जैसी आग
पिछले कुछ सालों में सेटेलाइट से दिखने वाली आग की घटनाओं का डेटा सितंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होने वाले क्षेत्र में बढ़ते हुए क्रम में दिखाई देता है. सीईईडब्ल्यू के कार्यक्रम सहयोगी एलएस कुरिंजी ने कहा अब तक दर्ज की गई खेत में आग की घटनाओं का विश्लेषण करना फिलहाल जल्दबाजी था. पंजाब सरकार को फसल अवशेष प्रबंधन के समाधानों को समय पर सुनिश्चित करने की आवश्यकता थी. इन दिनों हम जो आग देख रहे हैं, वह पिछले पांच सालों में देखे गए पैटर्न के जैसी ही है.

जागरुकता और निगरानी की जरूरत
आग की घटनाओं को रोकने के लिए गांवों में जागरुकता फैलाने और निगरानी की जरूरत है. पिछले साल IIT दिल्ली द्वारा किए गए एक अध्ययन में पंजाब और हरियाणा दोनों में 554 ऐसे गांवों की पहचान की गई थी, जहां आमतौर पर पराली जलाने की घटनाएं सामने आती हैं. पिछले 3 सालों में लगातार इन गांवों में पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही थीं.

क्या कहती है स्टडी
अक्टूबर और नवंबर में दिल्ली की हवा खराब होने के संबंध में किए गए अध्ययन ने पंजाब में अमृतसर, तरनतारन, फिरोजपुर, लुधियाना, फरीदकोट, बठिंडा, मनसा, पटियाला और संगरूर और हरियाणा में हिसार, सिरसा और कैथल को सबसे बड़े पराली जलाने वाले केंद्रों के रूप में पहचाना. दिल्ली से निकटता, हवा की दिशा और आग की तीव्रता इसका प्रमुख कारण रहा. पिछले हफ्ते, एनसीआर में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने कहा था कि पंजाब और एनसीआर राज्यों ने पराली जलाने से निपटने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की है.

आग की घटनाओं को रोकने का प्लान
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित जैव-डीकंपोजर समाधान का इस सर्दी के मौसम में हरियाणा और पंजाब और उत्तर प्रदेश में इस्तेमाल किया जाएगा. बायो डीकंपोजर घोल का छिड़काव हरियाणा में 6 लाख एकड़, हरियाणा में 1 लाख एकड़ और पंजाब में 7,413 एकड़ में किया जाना है. CAQM ने कहा कि प्रत्येक राज्य के लिए उसके द्वारा बनाए गए ढांचे के आधार पर विस्तृत योजनाएं तैयार की गई हैं और प्रत्येक राज्य में योजनाओं को सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं.

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