तापस सन्याल/कुम्हारी l वार्ड क्रमांक 2 स्थित मानस भवन के प्रांगण में भव्यता पूर्ण ढंग से सप्त दिवसीय गरुड़ पुराण कथा का श्रवण करने नगर वासियों की अपार भीड़ में सनातन धर्म की व्याख्या करते हुए अत्यंत सरल सहज भाषा का प्रयोग कर पंडित शिवकुमार शुक्ला ने गरुड़ पुराण के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि मनुष्य अपने पूर्व एवं वर्तमान कर्मों के अनुसार प्रतिफल प्राप्त करता है हम सभी पुनर्जन्म की अवधारणा में विश्वास करते हैं और इसके कई प्रत्यक्ष प्रमाण भी मिले हैं ।
पूर्वजों की आत्मा को पूर्ण शांति एवं मोक्ष प्रदान कराना प्रत्येक पुत्र का धर्म है, माता-पिता की कृपा एवं उनके आशीर्वाद से ही पुत्र समाज में परिवार में उच्चता को प्राप्त करता है । पापी और पुण्यात्मा के संबंध में उन्होंने बताया कि अपने कर्मानुसार आत्मा स्वर्ग या नरक में विचरण करता है, तथा इसी आधार पर उसे भूलोक अर्थात कर्मभूमि में प्रवेशित होना पड़ता है । यहां पर माया के प्रभाव में आकर वह भ्रमित हो जाता है, व्यास जी को गरुड़ जी कहते हैं कि हे ऋषिवर इससे मुक्त होने का एकमात्र उपाय ईश भक्ति में स्वयं को लीन कर सांसारिक मोह का त्याग करना ही है । अनेक रोचक प्रसंगों का उदाहरण देकर जनमानस को भाव-विह्वल करते हुए पंडित शिव कुमार शुक्ला ने गरुड़ पुराण के महत्व को प्रतिपादित किया, पिंड दान की महत्ता को अत्यंत ही सरल और रोचक तरीके से व्याख्या करते हुए प्रस्तुत किया ।
7 दिनों तक चलने वाले गरुड़ पुराण कथा का आयोजन समस्त कुम्हारी नगर वासियों द्वारा कोरोना संक्रमण से असमय काल कवलित हुए वीर जवानों की स्मृति में जिन्होंने समाज को, हम सब को सुरक्षित रखा, ऐसे वीरगति को प्राप्त शहीदों के आत्मा की शांति हेतु यह आयोजन किया गया, साथ ही इस आयोजन का मुख्य एवं पवित्र उद्देश्य भी यही है कि करोना संक्रमण में अनपेक्षित रूप से दिवंगत समस्त जनों की आत्मा को ईश्वर शांति प्रदान करें । गरुड़ पुराण कथा का समापन 3 अक्टूबर को भव्य ढंग से किया जावेगा ।

