- बरसों से उपेक्षित पड़ी इस योजना के मुख्यमंत्री ने दिये थे जीर्णाेद्धार के निर्देश, इस बार खरीफ फसल में नहर के अंतिम छोर के निकट के खेतों में भी पहुँचा पानी
- नहरों की लाइनिंग हुई दुरूस्त, किसान हैं खुश
- 447 हेक्टेयर में सिंचाई की व्यवस्था दुरुस्त हुई
तापस सान्याल/दुर्ग : मोखली डायवर्सन बीते 15 बरसों से उजाड़ पड़ा था। डायवर्सन टूटफूट का शिकार था, नहर लाइनिंग रखरखाव के अभाव में जर्जर थी और एक समय दरबार मोखली, बरबसपुर, खर्रा और बोरीद को संजीवनी देने वाली इस डायवर्सन से मामूली सिंचाई ही हो पा रही थी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने अधिकारियों को इस डायवर्सन के जीर्णाेद्धार के लिए निर्देशित किया। चार करोड़ 73 लाख रुपए की लागत से इस डायवर्सन के जीर्णाेद्धार का कार्य आरंभ हुआ। अभी इस डायवर्सन का काम 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है और इस बार खरीफ फसल में अच्छी सिंचाई डायवर्सन के माध्यम से हुई है। जलाशय में पानी लबालब है। गांव के किसान बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि इस संबंध में जनप्रतिनिधियों के माध्यम से मुख्यमंत्री महोदय को अवगत कराया था। हमें भरोसा था कि यह काम हो जाएगा लेकिन इतनी शीघ्र गति से होगा और इतनी जल्दी इसका लाभ हमें मिलना लगेगा, यह हमें नहीं मालूम था। इस संबंध में जानकारी देते हुए कार्यपालन अभियंता श्री सुरेश पांडे ने बताया कि औसतन दो मीटर तक मिट्टी साफ की गई और लाइनिंग की मरम्मत की गई। एसडीओ जलसंसाधन श्री एसके देवांगन ने बताया कि जलाशय में पर्याप्त पानी है और इससे आसपास वाटर रिचार्ज भी तेजी से होगा। लगभग 30 हेक्टेयर क्षेत्र में रबी फसल के लिए भी सिंचाई हो सकेगी। उन्होंने कहा कि योजना में छह किमी की नहर लाइनिंग करनी थी और इसमें 4 किमी तह नहर लाइनिंग हो चुकी है। शीर्ष कार्य में वियर का कार्य पूर्ण हो चुका है। पुल पुलिया का निर्माण भी किसानों की माँग के अनुसार किया गया है। योजना का शेष कार्य खरीफ फसल में सिंचाई के बाद हो सकेगा।
राहत कार्य के लिए सत्तर के दशक में हुआ था मोखली व्यपवर्तन का निर्माण- मोखली डायवर्सन का कार्य 1974-75 के दौरान राहत कार्य के लिए हुआ था। लगभग तीन दशक तक डायवर्सन से अच्छी सिंचाई होती रही। फिर इसकी क्षमता कम होती गई। अब पुनः 447 हेक्टेयर क्षेत्र में इसके माध्यम से सिंचाई हो सकेगी और चार गांवों के ग्रामीणों को इसका लाभ मिल सकेगा। बरसों से बंद पड़ी योजनाओं का हो रही जीर्णाेद्धार- बरसों से बंद पड़ी सिंचाई योजनाओं का जीर्णाेद्धार हो रहा है और इसके माध्यम से बड़े रकबे तक सिंचाई हो पा रही है। इसके साथ ही लिफ्ट इरीगेशन परियोजनाओं का जीर्णाेद्धार भी हो रहा है। इनके माध्यम से खरीफ के साथ ही रबी फसल की सिंचाई के लिए भी रास्ता खुल गया है।