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चट्टान तोड़नें में ही गुजर गया समय, बरनारा डायवर्सन का निर्माण अधूरा, किसानों में आक्रोश

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तिलमराम मंडावी/डोंगरगढ़ : सरकार बदलतें ही महत्वकांक्षी योजना कैसे औपचारिक हो जाती है। इसका सबसें बड़ा उदाहरण ब्लॉक के घोटिया फिडर में व्यपवर्तन योजना के अंतर्गत पोशक नहर (बरनारा डायवर्सन) का निर्माण 20 वर्शों से आज तक पूरा ही नहीं हो सका है। जल संसाधन विभाग के माध्यम से कराएं जा रहे कार्य में पहलें तो स्वीकृति में देरी हुई और जब स्वीकृति हो गई तो निर्माण कार्य अधूरा पड़ा है। षुक्रवार को क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों व किसानों ने बरनारा डायवर्सन पहुंचकर अधूरें कार्य की जानकारी ली। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के जिलाध्यक्ष विश्णु लोधी, किसान नेता लखन जंघेल व क्षेत्र के किसानों ने निरीक्षण कर विभाग के एसडीओ को पत्र लिखा और किसानों को हो रही समस्याओं से अवगत कराया। ग्राम ढ़ारा से 5 किलोमीटर दूर स्थित डंगबोरा जलाषय में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल संग्रहण नहीं होनें की वजह से साल 2002 में आमनेर नदी में बरनारा डायवर्सन व्यपवर्तन योजना के तहत पोशह नहर निर्माण कार्य की स्वीकृति तत्कालीन जोगी सरकार में मिली थी। डंगबोरा जलाषय में बरनारा डायवर्सन के माध्यम से पर्याप्त पानी का स्टोरेज हो सकें और इसका लाभ क्षेत्र के किसानों को मिलता। लेकिन योजना में षुरूआत से ही देरी हो रही है। जोगी सरकार में स्वीकृति के बाद रमन सरकार में यह काम 15 साल में दोबारा षुरू ही नहीं हो पाया। सरकार बदलनें की पीड़ा अधूरें निर्माण के रूप में अंचल के किसान आज तक झेल ही रहे है।

जानिए, अब तक महत्वकांक्षी योजना में हुआ क्या- बरनारा डायवर्सन बनाकर डंगबोरा जलाषय की सिंचाई क्षमता को बढ़ानें का उद्देष्य रखा गया है। योजना में नहर लाइनिंग के लिए पत्थर के बड़े-बड़े चट्टानों को तोड़ना है। भूपेष सरकार में यह कार्य दोबारा षुरू हुआ। लेकिन कुछ महीनें चलनें के बाद यह काम भी बंद हो गया। विभागीय अफसरों का कहना है कि पत्थर के चट्टानों को तोड़नें में काफी समय लग रहा है और जंगल होनें से कार्य विलंब से चल रहा है। एक योजना का लाभ नहीं मिलनें का दंष अंचल के किसान 20 वर्शों से झेल रहे है।

30 गांवों के एक हजार एकड़ खेत होती सिंचित– जनता कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विश्णु लोधी ने कहा कि डायवर्सन निर्माण अधूरा होनें से ढ़ारा के अलावा सलोनी, खैरबना, छपारा, ठाकुरटोला, पलांदुर, दोड़की, छीपा, कातलवाही, कोलिहापुरी, मुसरा, भानपुरी समेत करीब 30 गांवों के खेत सिंचित नहीं हो पा रहे है। करीब एक हजार एकड़ में पर्याप्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध होती और किसान साल में दो बार फसल ले सकतें। लेकिन योजना के पूरें होनें में ही 20 साल से अधिक समय गुजर गया।

सरकारों के बीच ही पिस रही यह योजना- साल 2017 में पूर्ववर्ती सरकार ने इस कार्य के लिए करीब पौने तीन करोड़ रूपए की स्वीकृति दी। किंतु बार-बार टेंडर निरस्त होनें की वजह से समय पर काम षुरू नहीं हो सका। कांग्रेस सरकार में टेंडर होनें के बाद योजना का श्रेय कांग्रेस नेताओं ने लेना षुरू कर दिया। जोर-षोर से निर्माण षुरू कराया गया लेकिन 60 फीसदी काम के बाद निर्माण आज तक अधूरा ही पड़ा है। विभागीय स्तर भी संबंधित ठेकेदार को अब तक न तो नोटिस दी गई है और न ही मॉनीटरिंग की जा रही है। जिस वजह से ही निर्माण में लगातार देरी हो रही है। बारिष का बहाना बनाकर काम बंद रखा गया है।

दोनों सरकार ने केवल राजनीतिक बयानबाजी ही की- जनता कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विश्णु लोधी ने कहा कि सिंचाई सुविधा से किसान आज तक सिर्फ योजना के पूर्ण नहीं होनें से वंचित है। जनता जानना चाहती ळै कि राज्य में 15 साल बीजेपी की सरकार रही व तीन साल से कांग्रेस राज कर रही है। लेकिन इतनें वर्शों में दोनों ही सरकार की किसानों की उपेक्षा ही की। राजनीतिक श्रेय लेनें की होड़ में दोनों ही पार्टी ने किसानों का नुकसान किया। दोनों दलों ने योजना के नाम पर एक-दूसरें पर आरोप-प्रत्यारोप के ही बाण चलाएं। पत्र लिखनें के बाद भी यदि काम षुरू नहीं होता है तो आंदोलन की रणनीति तय की जा रही है।

बारिष के बाद षुरू होगा काम- एसडीओ नादियाः जल संसाधन विभाग के एसडीओ पीके नादिया ने बताया कि बारिष की वजह से काम तो पूरा बंद है। बारिष के बाद ही दोबारा षुरू होगा। काम व एरिया जटिल होनें की वजह से धीमी गति से चल रहा है।

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