प्रांतीय वॉच

23 हितग्राहियों ने कोसा फल बेचकर 3 लाख 50 हजार रूपये की प्राप्त की आमदनी

Share this
  • मनरेगा से लगाये गये 40 एकड़ में अर्जुन के 65 हजार पेड़
  • व्यापक पैमाने पर हो रहा रेशम का उत्पादन, नक्सल प्रभावित क्षेत्र के परिवारों को मिल रहा रोजगार

नरसिंग मंडावी/नारायणपुर : अर्जुन के 65 हजार पेड़ वनांचल में उम्मीद की रेशमी किरण बिखेर रही है। मनरेगा के तहत 40 एकड़ रकबे में लगाए गए इन पेड़ों पर रेशम विभाग अब कृमिपालन कर कोसा सिल्क उत्पादन किया जा रहा है। इसके लिए समूह बनाकर स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया गया है। यहां कोसा उत्पादन से नक्सल प्रभावित क्षेत्र के परिवारों को स्थाई रोजगार मिला है। नक्सल प्रभावित नारायणपुर के बोरण्ड ग्राम पंचायत के गोटाजम्हरी गांव में मनरेगा, रेशम विभाग और जिला खनिज न्यास निधि के अभिसरण से अर्जुन के पेड़ लगाये गए हैं। रेशम विभाग गांव के ही श्रमिकों का समूह बनाकर इन पेड़ों पर टसर कोसा कृमिपालन का काम वर्श 2020-21 में शुरु कर दिया है। हितग्राहियांे द्वारा कृमिपालन कार्यकर एक फसल में 76 हजार 602 नग कोसा फल उत्पादन कर 1 लाख 67 हजार 576 रूपये की आय अर्जित की। वहीं वर्श 2021-22 में 11 हितग्राहियों द्वारा टसर कृमिपालन कर 88 हजार नग कोसा फल का उत्पादन किया गया। जिससे इन्हें 1 लाख 80 हजार रूपये की आय हुई। टसर कृमिपालन का कार्य 40 से 45 दिनों का होता है। रेशम विभाग द्वारा समूह के सदस्यों को 35-40 दिनों का प्रशिक्षण देकर कृमिपालन से लेकर कोसा फल संग्रहण तक का काम सिखाया गया है। कृमिपालन के लिए पूरे 40 एकड़ के वृक्षारोपण को अलग-अलग भागों में बांटा गया है। समूह द्वारा उत्पादित कोसाफल को शासन द्वारा स्थापित कोकून बैंक के माध्यम से क्रय किया जा रहा है। कोसा फल के विक्रय से प्राप्त राशि समूह के खाते में हस्तांतरित होगी। इस तरह कोसा सिल्क के उत्पादन से एक साथ 12 परिवारों को नियमित रोजगार मिल रहा है। वे रेशम उत्पादन में दक्ष होकर अब 15 हजार रूपये की कमाई कर बेहतर जीवन व्यतीत कर रहे हैं।

वृक्षारोपण से 10561 मानव दिवस का रोजगार, 18 लाख से अधिक का मजदूरी भुगतान
नारायणपुर जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर गोटाजम्हरी में मनरेगा, रेशम विभाग और डीएमएफ के अभिसरण से अर्जुन के पेड़ों का रोपण किया गया था। रेशम विभाग ने इस साल मार्च महीने तक इनका संधारण और सुरक्षा की। डीएमएफ से मिले सात लाख 34 हजार रूपए से पौधों की नियमित सिंचाई के लिए नलकूप खनन और सुरक्षा के लिए फेंसिंग की व्यवस्था की गई। पौधरोपण के बाद से ही मनरेगा के अंतर्गत पिछले वर्षों तक इनका संधारण किया गया। इस दौरान बोरण्ड ग्राम पंचायत के 294 जरूरतमंद परिवारों को दस हजार 561 मानव दिवस का सीधा रोजगार मिला। इसकी मजदूरी के रूप में ग्रामीणों को 18 लाख 20 हजार रूपए का भुगतान किया गया।
बोरण्ड की मनरेगा श्रमिक श्रीमती जागेश्वरी बताती हैं कि उन्होंने यहां वृक्षारोपण और पौधों के संधारण के लिए 2016-17 से 2019-20 तक कुल 191 दिन काम किया। इसकी मजदूरी के रूप में उसे 31 हजार 448 रूपए प्राप्त हुए। वहीं एक और मनरेगा श्रमिक श्री मोहन सिंह राना को 334 दिनों का रोजगार मिला जिसमें उसे कुल 57 हजार 620 रूपए की मजदूरी मिली। मनरेगा से गांव में ही हासिल रोजगार से इन दोनों ने लंबे समय तक अपनी जरूरतों को पूरा करने में सहयोग मिलेगा।

बिजली बिल हॉफ योजना से जिले की सुगंतीबाई को मिला लाभ, परिवार की मुखिया को मिली सहायता
जिले के 8 हजार विद्युत उपभोक्ता को 2 करोड़ 37 लाख रूपए की मिली छूट
नारायणपुर : छत्तीसगढ़ राज्य की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। छत्तीसगढ़ के किसान समृद्ध होंगे, तो प्रदेश और देश में खुशहाली आएगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा इसे सार्थक करने के लिए अनेक योजनाओं का संचालन किया जा रहा है। इसी कड़ी में विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत देयक में राहत देने के लिए मुख्यमंत्री श्री बघेल द्वारा अप्रैल 2019 से बिजली बिल हॉफ योजना शुरू की गई है। इसके तहत 400 यूनिट तक बिजली की खपत पर उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत की छूट का प्रावधान किया गया है। कार्यपालन अभियंता, विद्युत संभाग नारायणपुर ने बताया कि योजना के तहत अप्रैल 2019 से जुलाई 2021 तक जिले के 8 हजार विद्युत उपभोक्ता लाभान्वित हुए हैं, जिन्हें बिजली बिल के भुगतान में 2 करोड़ 37 लाख रूपए की छूट मिली है। इससे विद्युत उपभोक्ताओं को बेहद राहत मिली है। इस संबंध में जिले के लाभान्वित उपभोक्ताओं ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि मार्च 2019 के पहले बिजली बिल आने पर उसे जमा करने के लिए सोचना पड़ता था। परिवार की अन्य आवश्यकताओं में कटौती कर बिजली बिल पटाते थे। अब प्रदेश सरकार की बिजली बिल हॉफ योजना के तहत बिल की आधी राशि का ही भुगतान करना पड़ता है। इस बचत राशि से परिवार की अन्य जरूरतों को पूरा करने में सहूलियत हो रही है। नारायणपुर जिला मुख्यालय के वार्ड क्रमांक 13 कुम्हारपारा निवासी श्रीमती सुगंती बाई बघेल ने जुलाई माह में आए 800 रुपए के बिजली बिल के बदले सिर्फ 400 रुपए पटाए। सरकार की इस योजना से गरीब एवं मध्यम वर्ग परिवार को सहायता मिली। उन्होंने कहा कि उसने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के प्रति आभार प्रकट करते हुए बिजली बिल हॉफ करने की योजना पर प्रसन्नता जाहिर की है।

दूरस्थ वनांचल नारायणपुर में जीवन बनकर दौड़ रही बाइक एम्बुलेंस, 1 हजार 111 हितग्राही हुए लाभान्वित
गर्भवती माताओं के लिए बाइक एम्बुलेंस हो रही वरदान साबित
नारायणपुर : नक्सल प्रभावित नारायणपुर जिले का एक बड़ा हिस्सा विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण आज भी मुख्य मार्ग से नहीं जुड़ पाया है। अबूझमाड़ वह क्षेत्र है, जहां वनांचल और नदी-नाले बहुत हैं। यही कारण है कि लोगों को शासन की मूलभूत सुविधाओं के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवाओं के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ती है। स्वास्थ्य सेवाओं की सरलता से उपलब्धता को ध्यान में रखकर बाइक एम्बुलेंस का प्रयोग किया गया। जिले में शुरूआती दौर में पहले दो बाइक एम्बुलेंस अंदरूनी ईलाकों के छोटे नदी-नालों, पगडंडियों, उबड़-खाबड़ रास्तों में दौड़ायी गयी, जो सफल हुई। इसकी सफलता को देखकर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करने के लिए मोटर बाईक एम्बुलेंस की सेवाओं का विस्तार किया है। इस वर्ष खनिज न्यास निधि से 4 नई मोटर बाईक एम्बुलेंस स्वास्थ्य विभाग को दी है। जिससे अंदरूनी क्षेत्र के मरीजों को स्वास्थ्य केन्द्रों तक लाने-ले-जाने में सुविधा होगी।
विशेष पिछड़ी जनजाति माड़िया बाहुल्य ओरछा विकासखण्ड के धनोरा, ओरछा, आकाबेड़ा एवं बड़ेजम्हरी जैसे सुदूर और दुर्गम वनांचल में रहने वाले बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं के लिए बाईक एम्बुलेंस वरदान साबित हो रही है। प्रसव पीड़ा गर्भवती महिलाओं के लिए कठिन समय होता है और यह उनके जीवन-मरण का काल बन सकता है। अंदरूनी ईलाके के ऐसे गांव जहां बड़ी एम्बुलेंस न पहुंच पाये या सड़क मार्ग न हो उन जगहों की महिलाओं को प्रसव काल में मुसीबत से उबारा जा सके, इसके लिए जिले में बाइक एम्बुलेंस का सहारा लिया जा रहा है। यह प्रसव काल में महिलाओं के लिए वरदान से कम नहीं है।
बता दें कि बाईक एम्बुलेंस की सेवाएं मिलने से अब तक 1 हजार 111 मरीजों को इस सुविधा का सीधा लाभ मिला है। बाईक एम्बुलेंस के माध्यम से वनांचल क्षेत्र के गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए स्वास्थ्य केन्द्र तक लाया जाता है तथा शिशुवती माताओं को प्रसव के बाद सुरक्षित घर पहुंचाया भी जाता है। इसके साथ ही गर्भवती माताओं को नियमित स्वास्थ्य परीक्षण, बच्चों का टीकाकरण एवं मौसमी बीमारियों के उपचार के लिए भी बाईक एम्बुलेंस का उपयोग किया जाता हैं। बाईक एम्बुलेंस के आने से शिशु एवं मातृ मृत्युदर में भी कमी आई है।

इतवारिन बाई का सपना हुआ साकार, बना खुद का पक्का मकान, पक्का आवास मिलने से जिले के 441 हितग्राहियों का सपना हुआ पूरा
नारायणपुर : मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं में रोटी, कपड़ा और मकान को गिना जाता है। हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका स्वयं का एक सर्व सुविधा युक्त मकान हो, लेकिन विभिन्न परिस्थितियों के कारण बहुत से लोग स्वयं का मकान नहीं बना पाते हैं या उन्हें बनाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। रोटी, कपड़ा और मकान किसी भी व्यक्ति के सबसे जरूरी आवश्यकता मानी जाती है। आज के समय में गरीब आदमी मेहनत मसक्कत के साथ रोटी और कपड़ा की व्यवस्था तो कर लेता पर मकान की व्यवस्था कर पाना कठिन होता है। ऐसे लोगों को शासन-प्रशासन से सहयोग की उम्मीद होती है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश के साथ-साथ जिले की प्रशासनिक टीम भी लोगों की इन उम्मीदों को पूरा करने के लिये समर्पित होकर कार्य कर रही है।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा है कि प्रदेश का हर व्यक्ति सुखी हो, संपन्न हो, उसे किसी प्रकार की परेशानी न हो। लोगों के आवास की समस्या को लेकर वे संवेदनशीलता के साथ कार्य कर रहे हैं। राज्य शासन के निर्देशानुसार कलेक्टर श्री पी एस एल्मा के निर्देशन एवं मुख्य नगर पालिका अधिकारी, नगर पालिका नारायणपुर के मार्गदर्शन में जिले में आवासहीनों के आवास तेजी से बनाये जा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि नगर पालिका क्षेत्र नारायणपुर के अंतर्गत 543 स्वीकृत मकान में से 441 हितग्राहियों को पक्का मकान उपलब्ध करवाया गया है। सरकार ने गरीबों की इस समस्या को अच्छी तरह समझा है और लोगों को पक्के मकान की व्यवस्था करने का कार्य कर रही है। मोर जमीन मोर मकान योजनांतर्गत जिनके पास पक्का मकान नहीं उन्हें पक्का मकान उपलब्ध करा रही है।
नारायणपुर नगर पालिका क्षेत्र के महावीर चौक वार्ड क्रमांक 8 में रहने वाली श्रीमती इतवारिन बाई का सपना था कि उनका पक्का मकान हो। मोर जमीन मोर मकान अंतर्गत श्रीमती इतवारिन का पक्के मकान का सपना पूरा हो गया है। बता दें कि शहर क्षेत्रों के परिवार को पक्के आवाास उपलब्ध कराने के उद्देश्य से मोर जमीन-मोर मकान योजना लागू की गयी है। इस योजना का लक्ष्य शहरी क्षेत्र में रहने वाले कमजोर आय वर्ग एवं आवासहीन परिवार को मूलभूत सुविधाओं सहित पक्का आवास उपलब्ध कराना है। प्रदेश में यह योजना सभी नगरीय निकायों में क्रियान्वित है। इस योजना के तहत् हितग्राहियों को सरकार द्वारा 2 लाख 28 हजार रूपये तक अंशदान दिया जाता है। जिसमें हितग्राही अपनी सुविधानुसार और राशि लगाकर अपने पक्के मकान का निर्माण कर सकता है।

आजादी का अमृत महोत्सवः बिंजली डेम में की गई साफ-सफाई
नारायणपुर : आजादी का अमृत महोत्सव अभियान अन्तर्गत पर्यटन स्थल बिजली डैम (खैराभाट) में चलाया गया स्वच्छता अभियान’ सत्याग्रह से स्वच्छाग्रह अभियान अंतर्गत ज़िला कलेक्टर धर्मेश साहू और मुख्य कार्यपालन अधिकारी ज़िला पंचायत पोषण लाल चंद्राकर के निर्देशन में पर्यटन स्थल बिंजली डैम (खैराभाट) में वृहद स्वच्छता अभियान चलाया गया, जिसमें पर्यटन स्थल के पास गार्डन की साफ-सफाई कर स्वच्छता का संदेश दिया गया। इस अवसर पर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत और जिला पंचायत उपाध्यक्ष श्री देवनाथ उसेंडी ने फावड़ा उठाकर हैंड पम्प के पास नाली निर्माण में सहयोग किया और अनावश्यक कचरे को ग्रामीणों के साथ श्रमदान कर साफ सफाई कर सिंगल यूज प्लास्टिक के हानि और बीमारियों से बचने के लिये स्वच्छता को जीवन मे महत्त्व देने की अपील की गई। कार्यक्रम में सरपंच श्री अंकालू दुग्गा, सचिव सकेश्वर रावटे, एपीओ रामेश्वर जायसवाल, रंजीत सिंह, जीवन लाल, आशुतोष हलदर, रमेश करंगा उपस्थित थे।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *