अंबिकापुर : बलरामपुर जिले में पंडो जनजाति समुदाय के सदस्यों की मौत को लेकर राज्य में भूचाल मचा हुआ है। इसी बीच प्रसूता पंडो महिला के साथ इसी जिले से दुव्यर्वहार करने का मामला सामने आया है। यह घटना रामचंद्रपुर ब्लॉक में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दावा खोखला साबित कर रहा है। एक पंडो जनजाति महिला की डिलीवरी उप स्वास्थ्य केंद्र पहुंचने से पहले ही रास्ते में हो गई। परिजन अस्पताल पहुंचे तो ड्यूटी पर पदस्थ स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा जच्चा-बच्चा का नाल काटना तक उचित नहीं समझा गया। नर्स द्वारा यह कह कर नाल काटने से इनकार कर दिया गया कि वह नहा चुकी है।नर्स ने प्रसव पीडि़ता को नाल लगे बच्चे सहित बाहर बैठा दिया और स्वास्थ्य केंद्र में ताला मारकर घर चली गई। ऐसी स्थिति में परिजन महिला को उसी हालत में घर ले गए। बाद में समाज के अध्यक्ष की शिकायत पर जच्चा-बच्चा को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बलरामपुर जिले के रामचंद्रपुर ब्लाक क्षेत्र अंतर्गत महादेवपुर निवासी मानकुंवर पण्डो पति इंद्रजीत पण्डो गर्भवती थी। गुरुवार की अलसुबह प्रसव पीड़ा बढऩे पर परिजन उसे पैदल ही उप स्वास्थ्य केंद्र महादेवपुर ले जा रहे थे।इसी बीच रास्ते में उसका प्रसव हो गया। इसके बावजूद परिजन उसी हालत में महिला व बच्चे को लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र महादेवपुर पहुंचे। यहां उन्हें इलाज की बजाय अपमान का सामना करना पड़ा। उप स्वास्थ्य केंद्र में मौजूद सिस्टर (नर्स) प्रसूता व उसके परिजन को खरी-खोटी सुनाने लगी। सिस्टर द्वारा उसे टच तक नहीं किया गया और कहा कि वह नहा चुकी है, अब नाल नहीं काटूंगी। नर्स ने काले प्लास्टिक में नाल को रखवा दिया और प्रसूता तथा नवजात को अस्पताल से बाहर बैठाकर गेट में ताला मार दिया गया। इस दौरान काफी देर तक नाल लगे बच्चे को लेकर महिला अस्पताल के बाहर बैठी रही। काफी देर तक बैठने के बाद स्वास्थ्य कर्मचारी वापस नहीं आई तो महिला व उसके परिजन नाल लगे बच्चे को लेकर घर लौट गए।
जिला अस्पताल में कराया गया भर्ती
इस मामले की जानकारी जब समाज के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडो को हुई तो उन्होंने इसकी जानकारी अधिकारियों को दी। स्वास्थ्य अधिकारियों ने टीम भेज कर महिला व नवजात को जिला अस्पताल बलरामपुर में भर्ती कराया गया। इस मामले में प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडो ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि इसी तरह दुव्र्यवहार किए जाने के कारण पंडो जनजाति के लोग बीमार पडऩे पर भी अस्पताल नहीं जाते हैं। उन्होंने दोषी सिस्टर के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
बारिश में हुई परेशानी
नॉर्मल डिलीवरी के बाद भी जच्चा-बच्चा को 24 घंटे तक मेडिकल आब्जर्वेशन में रखा जाता है, लेकिन इस मामले में नर्स द्वारा प्रसूता को डांट कर छुआछूत मानते हुए दरवाजा बंद कर दिया गया। इस दौरान बारिश के बीच पीडि़ता व परिजनों को आने-जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
जांच करवाता हूं
जानकारी मिलने पर तत्काल टीम को भेजकर महिला व बच्चे को जिला अस्पताल बलरामपुर में भर्ती कराया गया है। यहां जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। वही इस मामले में जांच के बाद दोषी पाए जाने पर स्वास्थ्य कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
-डॉक्टर बसंत, डीएचओ, बलरामपुर