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विवादित पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके का नया कारनामा… रिश्वत न मिलने पर दस्तावेजों में छ़ेड़छ़ाड़ कर प्रकरण किया खारिज… पीड़ित ने राज्यपाल सहित मुख्यमंत्री से की शिकायत..

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विकास अग्रवाल/खरसिया। खरसिया के पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके के विरूद्व शासकीय दस्तावेजों में कूटरचना किये जाने पर आपराधिक मामला दर्ज करने तथा विभागीय कार्यवाही किये जाने की शिकायत अनुविभागीय अधिकारी के माध्यम से राज्यपाल से की गयी है। शिकायत की प्रतिलिपि मुख्यमंत्री, प्रभारी मंत्री, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक को भी देकर भ्रष्ट अधिकारी पर कड़ी कानूनी कार्यवाही करने की मांग की गयी है।

गौरतलब है कि खरसिया के पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके पर इसे पूर्व भी रिश्वतखोरी तथा भ्रष्टाचार के आरोप ग्रामीणों ने लगाया था जिसकी जांच भी अपर कलेक्टर द्वारा की जा रही थी। जांच के दौरान ही विवादीत एसड़ीएम गिरीश रामटेके को खरसिया से हटा दिया गया था। तबादले के बाद पूर्व एसड़ीएम के द्वारा किये गये भ्रष्टाचार की कलई एक एक कर खुलती जा रही है, एैसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जहां नगर के एक पत्रकार ने पूर्व एसड़ीएम पर दो लाख रूपये की रिश्वत मांगने ओर रिश्वत न देने पर उसके प्रकरण को दुर्भावनावश कूटरचना कर खारिज करने तथा मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है,

शिकायतकर्ता सुनील अग्रवाल ने अपने शिकायती पत्र में लिखा है कि मेरे प्रकरण में अप्रैल 2017 तक समस्त कार्यवाही पूर्ण हो चुकी थी, किंतु अनुविभागीय अधिकारी रा. एवं नजूल अधिकारी श्री गिरीश रामटेके द्वारा अपने पद तथा अधिकारों का दुरूपयोग करते हुये प्रकरण को नियमविरूद्व कई वर्षों से भी अधिक समय तक रोक दिया गया तथा आवेदक के निवेदन करने पर प्रकरण में आदेश करने के एवज में दो लाख रूपये की मांग की गयी। आवेदक के द्वारा उनकी अनुचित मांग को पूरा न कर पाने की वजह से अपने पद का दुरूपयोग करते हुये जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत हो जाने के बाद भी पुनः उसी प्रकरण में 16/3/ 2021 को नगरपालिका से प्रतिवेदन मंगाया गया, जबकि पूर्व में उसी प्रकरण में नगरपालिका द्वारा 4/3/2016 को आवेदक को अनापत्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया जा चुका है, इसके बाद भी नियम विरूद्व पुनः राजस्व निरीक्षक तथा तहसीलदार से प्रतिवेदन मंगाया गया और कब्जा सिद्व नहीं होने का हवाला देते हुये आवेदक के प्रकरण को खारिज कर दिया गया, जबकि वार्ड़ पार्षदों, मोहल्लेवासियों सहित राजस्व निरीक्षक तथा तहसीलदार के द्वारा भी पंचनामा कर आवेदित भूखण्ड़ पर आवेदक का कब्जा पाया तथा तदानुसार प्रतिवेदन प्रस्तूत किया गया था।

गिरीश रामटेक के तबादला हो जाने के पश्चात जब आवेदक द्वारा अपने प्रकरण की नकल निकाली गयी तो आवेदक को ज्ञात हुआ कि रकम न दिये जाने पर श्री गिरीश रामटेके द्वारा उक्त प्रकरण को खारिज कर दिया गया है। साथ ही प्रकरण में कूटरचना कर पूर्व के दिनांक की आपत्ति भी लगायी गयी है जबकि इश्तहार प्रकाशन के समय निर्धारित समयावधि में ऐसी कोई आपत्ति नहीं लगायी गयी थी, ना ही तहसीलदार के प्रतिवेदन और अनु. अधिकारी के उक्त दिनांक के आर्ड़र शीट में ही किसी आपत्ति का उल्लेख है। राजस्व आदेश परिपत्र (रेव्हेन्यू ऑर्ड़र शीट) में दिनांक 25/4/2017 के बाद दिनांक 7/1/2021 को प्रकरण पेश किया गया है अर्थात 4 वर्ष तक प्रकरण को पूर्वरत रखकर उसमें कोई कार्यवाही नहीं किया जाना और 4 वर्ष के बाद प्रकरण में दुबारा प्रतिवेदन मंगाकर प्रकरण को खारिज किये जाने से स्पष्ट है कि पीठासीन अधिकारी के द्वारा आवेदक के प्रकरण में दुर्भावनावश आदेश पारित किया गया है।

शिकायत कर्ता ने कहा है कि एक ही प्रकरण जिसमें जांच प्रतिवेदन प्रस्तूत किया जा चुका है तथा प्रकरण आदेश हेतू नियत है। नियम के विरूद्व उसी प्रकरण में पुनः जांच कराया जाना असंवैधानिक तथा प्रशासनिक आतंकवाद का द्योतक है। साथ ही शासकीय दस्तावेजों में छ़ेड़छ़ाड कर दण्ड़नीय अपराध भी किया गया है, जो प्रकरण के अवलोकन से सपष्ट है। शिकायतकर्ता ने प्रकरण के दस्तावेजों सहित शिकायती पत्र की प्रतिलिपि सूबे के मुखिया भूपेश बघेल, राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल, क्षेत्रीय विधायक एवं उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, रायगढ़ जिले के प्रभारी मंत्री रविन्द्र चौबे, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, छ़त्तीसगढ़ मानवाधिकार आयोग, जिला कलेक्टर रायगढ़, पुलिस अधीक्षक सहित खरसिया थाना तथा चौकी प्रभारी, पुलिस चौंकी खरसिया को देकर खरसिया के पूर्व एसड़ीएम गिरीश रामटेके द्वारा रिश्वत की मांग करने तथा मांग पूरी न करने पर आवेदक के प्रकरण को खारिज कर आवेदक को मानसिक रूप से प्रताड़ित किये जाने, रिश्वत की मांग किये जाने, पद की गरिमा के विरूद्व कार्य कर, पद तथा अधिकारों का दुरूपयोग कर शासकीय दस्तावेजों में छ़ेड़छ़ाड़ कर भ्रष्टाचार किये जाने पर खरसिया के पूर्व एसड़ीएम सहित भ्रष्टाचार एवं कूटरचना में सम्मिलित सभी आरोपियों पर आपराधिक मामला दर्ज किये जाने की मांग की है।

विदित हो कि इससे पूर्व भी गिरीश रामटेके के विरूद्व शिकायतें हो चुकी है, किंतु कोई ठोस कार्यवाही न होने पर उक्त अधिकारी के हौंसलें इतने बुलंद है कि उसके द्वारा इस प्रकार का आपराधिक कृत्य कर शासन की योजनाओं का लाभ जनमानस को मिलने से वंचित किया जा रहा है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में गिरीश रामटेके और उसके सहयोगी आरोपियों पर कोई ठोस कार्यवाही की जाती है या फिर इस मामले को भी ठंड़े बस्ते में ड़ाल दिया जायेगा।

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