अक्कू रिजवी/कांकेर : वन विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के क्षमता विकास के लिए भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद, देहरादून से पहुंचे प्रशिक्षकों द्वारा 06 से 08 सितबर तक बस्तर संभाग स्तरीय तीन दिवसीय ’’वन कार्बन स्टॉक मापन’’ का प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान जंगल में सैंपल प्लाट डालना, मिट्टी एवं पौधों के नमूने लेना, मृत काष्ठ नापना एवं पेड़ की गोलाई नापना के बारे में विस्तार से बताया गया तथा छत्तीसगढ़ के जंगलां में मौजूद कार्बन कार्बन स्टॉक की विस्तृत चर्चा की गई। प्रशिक्षक डॉ.मोहम्म्द शाहिद, परामर्शदाता द्वारा परितंत्रा सेवाएं सुधार परियोजना के अंतर्गत जंगल में मौजूद वन कार्बन की जानकारी दी गई, जो कार्बनडाई ऑक्साइड को सोंखते हैं और पर्यावरण को हानिकारक गैसों से बचाते हैं।
वन कार्बन पांच पूल में रहती है जैसे किशोर पेड़-झाड़ियां, पौधे, करकट, मृत काष्ठ एवं मृदा। उन्होंने कहा कि प्रशिक्षण का मूल उद्देश्य वन विभाग के वनरक्षक से लेकर वनमण्डलाधिकारी तक वन कार्बन स्टॉक मापने के लिए मास्टर ट्रेनर बनाया जाना है, जो जंगल-जलवायु परिवर्तन को रोकने कि लिए बहुत उपयोगी है। श्री अरविन्द पी.एम., (भा.व.से.) वनमण्डलाधिकारी कांकेर ने बताया कि कांकेर वनमण्डल में विश्व बैंक द्वारा सहायता प्राप्त परितंत्रा सेवाए सुधार परियोजना का क्रियन्वयन किया जा रहा है। वन कार्बन मापन एक महत्वपूर्ण विषय है जिससे जंगल में मौजूद वन कार्बन के बारे में जानकारी होती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रधान मुख्य वन संरक्षक (संयुक्त वन प्रबंधन) छ.ग.रायपुर के.मुरूगन, वन संरक्षक आलोक तिवारी, (से.नि. स.व.सं.) जितेन्द्र सिंह ठाकुर तथा बस्तर संभाग के समस्त वनमण्डलाधिकारी एवं अन्य कर्मचारियों ने भाग लिया।