जगदलपुर : मां दंतेश्वरी मंदिर की दान पेटी 8 महीने के बाद खोली गईं हैं। मंगलवार की सुबह खुली दान पेटी से निकले पैसों की गिनती देर शाम तक चलती रही। इस दान पेटी से लगभग 13,54,545 रुपए से ज्यादा नगदी निकले हैं। साथ ही माता रानी को भक्तों के द्वारा चढ़ाए गए सोने की बालियां, नथ, मंगलसूत्र सहित अन्य आभूषण भी दान पेटी से निकाले गए हैं। वहीं कोरोना काल के चलते इस बार दान की राशि बेहद कम आई है। मां दंतेश्वरी के प्रति भक्तों की इतनी आस्था है कि वे मां दंतेश्वरी को पत्र भी लिखते हैं। इस पत्र में अपनी-अपनी समस्या, जो मन्नतें होती हैं उसे लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इससे माता रानी भक्तों की मुराद सुनती हैं। मंगलवार को खुली दान पेटी से लगभग 20 से ज्यादा पत्र भी निकले हैं। हालांकि इन पत्रों में क्या लिखा है, मंदिर कमेटी उसे गोपनीय रखती है। इससे पहले भी जब-जब दान पेटी खुली है सबमें दो दर्जन से ज्यादा पत्र मिले ही हैं। कोरोना काल से पहले दंतेश्वरी मंदिर की दान पेटी हर 4 महीने में खुलती थी। मंदिर के प्रधान पुजारी हरेंद्र नाथ जिया ने बताया था कि साल में 3 बार खुली दान पेटी से सालाना लगभग 80 से 90 लाख रुपए की आवक होती थी। लेकिन कोरोना काल में यह आंकड़ा आधा से भी कम हो गया है। 8 महीने बाद खुली दान पेटी से साढ़े 13 लाख से ज्यादा की रकम निकली है, जो हर साल सहित हर 4 महीने की तुलना में काफी कम है।
चैत्र और शारदीय नवरात्र में बंद रहे मंदिर
कोरोना महामारी का सबसे बड़ा असर आस्था पर पड़ा था। आराध्य देवी मां दंतेश्वरी का मंदिर भक्तों के लिए कोरोना की पहली और दूसरी लहर में पूरी तरह से बंद रहा। हर साल चैत्र हो या शारदीय नवरात्र मंदिर में हजारों भक्तों की भीड़ देखने को मिलती थी। लेकिन इस बार कोरोना की वजह से भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा था। इसलिए मंदिर में चढ़ावा भी काफी कम हुआ। हालांकि अब मंदिर भक्तों के लिए खुल गया है।
4 दिन पहले धमतरी के एक परिवार ने किया था गुप्त दान
मां दंतेश्वरी के प्रति भक्तों की आस्था है। भक्त अपनी कई मन्नतें लेकर मां दंतेश्वरी के दरबार आते हैं। धमतरी के एक पवार परिवार ने भी पारिवारिक समस्या को लेकर माता से मन्नत मांगी थी। जिनकी मुराद पूरी हुई और उन्होंने 4 दिन पहले मां दंतेश्वरी को लगभग 50 लाख रुपए के आभूषण चढ़ाए थे। इसी सोने के आभूषण से माता का श्रृंगार किया गया था।
देवी के 52 शक्तिपीठों में से एक है मां दंतेश्वरी का मंदिर
दंतेवाड़ा जिले में स्थित मां दंतेश्वरी मंदिर के साथ मान्यता यह है कि यहां पर माता सती के दांत गिरे थे। इसी वजह से इस इलाके का नाम दंतेवाड़ा और देवी का नाम दंतेश्वरी देवी पड़ा। यह देवी के 52 शक्ति पीठों में से एक है। यह मंदिर 136 साल पुराना है और इसके अंदरूनी हिस्से में लगे स्तंभ सीमेंट या चूना पत्थर के नहीं बल्कि सागौन की लकड़ी के हैं, जिस पर ओडिशा के शिल्पकारों की बनाई नक्काशियां हैं। यहां विराजमान भगवान विष्णु की मूर्ति भी लकड़ी से निर्मित है। जबकि मां दंतेश्वरी की प्रतिमा संगमरमर से निर्मित है।