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शिक्षक दिवस पर कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच ने किया काव्य गोष्ठी का आयोजन

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  • पांचवा वर्चुअल काव्य पाठ राम रतन श्रीवास की अध्यक्षता में पांचवीं मासिक काव्य गोष्ठी आयोजन हुआ , शिक्षक दिवस पर “गुरु के ओ ज्ञान लिखूंँ”

कमलेश लव्हात्रे/बिलासपुर : कन्नौजिया श्रीवास समाज साहित्यिक मंच छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में राम रतन श्रीवास की अध्यक्षता में पांचवीं मासिक काव्य गोष्ठी हुआ । यह मंच नए सोपान गढ़ता हुआ निरंतर उभरता हुआ सामने आ रहा है । शिक्षक दिवस पर ऑनलाइन काव्य पाठ के रूप में शिक्षकों को सम्मानित करते हुए विधिवत काव्य पाठ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि- भूपेंद्र श्रीवास (व्याख्याता सेवा निवृत्त केन्द्रीय विद्यालय बिलासपुर) एवं विशिष्ट अतिथि – पुष्पेंद्र कौशिक सहायक शिक्षक शासकीय प्राथमिक शाला परसदा खुर्द एवं जिला शिक्षा प्रशिक्षण आयुक्त स्काउट गाइड सक्ति सम्मिलित हुए । कार्यक्रम का आगाज मांँ सरस्वती की वंदना “हे स्वर की देवी मांँ वाणी में मधुरता दे ” मेनका श्रीवास जी के सुरीले स्वरों से प्रारंभ हुआ ।तत्पश्चात अतिथियों का स्वागत सुष्मलता श्रीवास द्वारा स्वागत गीत “है उदित सौभाग्य हमारा” के साथ किया गया। मुख्य अतिथि भूपेंद्र श्रीवास ने अपने उद्बोधन में शिक्षक दिवस और उसके प्रणेता डॉक्टर राधाकृष्णन जी के जीवनी के बारे में बताया और पांच सितंबर को शिक्षकों के सम्मान के लिए शिक्षक दिवस मनाने की घोषणा की ।उन्होंने शिक्षण कार्य मे अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया , भारतीय संस्कृति में भारतीय दर्शन से बढ़कर कोई दर्शन नहीं है । मानवता को बढ़ाने में भारत की अहम भूमिका रही है ।उद्बोधन की कड़ी में बड़ी ही सटीकता के साथ विशिष्ठ अतिथि श्री पुष्पेन्द्र कौशिक जी ने सबको शिक्षक मानते हुए नव सृजन करने के संदेश देते हुए कहा की एक शिक्षक शिक्षा प्रदान करता है एवं दूसरा नवसृजन प्रदान करता है और समाज को लाभान्वित करता है । हमें इस बात से गौरव महसूस हो रहा है कि शिक्षकों का सम्मान के लिए हमें या अवसर मिला। यह मंच नई दिशा के साथ नए आयाम की ओर अग्रसर कर रहा है । सभी रचनाकारों के द्वारा साहित्य की नई सृजन करते हैं ,बहुत गौरव की बात है ।काव्यपाठ की प्रारंभिक कड़ी के रूप में सांस्कृतिक एवं कला के जाने माने कलाकार घनश्याम श्रीवास ने “तीजा आगे तीजा रैंबो तीजा जाबो ए दीदी”और “जो राम का नही वो किसी काम का नहीं” गीत से पटल को शुशोभित व अलंकृत कर दिया। कवि जयेन्द्र कौशिक जी ने गुरु द्रोण और एकलव्य के बीच के गुरु शिष्य के रिश्ते को “जानते सब दौड़ ने एकलव्य से लेकर अंगूठा” का मार्मिक पाठ किया । आगे चंद्रकांत श्रीवास ने “ऊंचाइयांँ छूने की तमन्ना होती बड़ी प्यारी ” से शमां बांधा। मंच के कोषाध्यक्ष रविशंकर श्रीवास ने “गुरु को प्रणाम है” नामक रचना का पाठ किया । आगे की कड़ी में शिक्षक दिवस विषय विशेष पर घनाक्षरी “ज्ञान का पिटारा लेके आते रोज शिक्षक जी “के साथ साथ “मिट्टी से उपजा है ये तन मिट्टी में मिल जाएगा ” नामक गीत महासचिव डॉ. हितेन्द्र श्रीवास के द्वारा गाकर सुनाया गया। इसी तरह नोबेल श्रीवास द्वारा “गुरुदेव तुम्हारे चरणों की मैं चंदन लेने आया हूँ ” । उपाध्यक्ष उषा श्रीवास द्वारा “गुरु सृष्टि का अभिमान है ,गुरु की महिमा महान है ” नामक रचना बहुत ही सुंदर ढंग से काव्य पाठ किया । कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव में अध्यक्ष राम रतन श्रीवास द्वारा “गुरु के ओ ज्ञान लिखूं” का काव्य पाठ कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया और साथ ही शिक्षक पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शिक्षक राष्ट्र का निर्माता होता है जो हमें हर संभव ज्ञान प्रदान करता है और गुरु ही ऐसा है जो विद्यार्थियों के सफलता को अपना सफलता मानता है। शिक्षा का महत्व हमारे जीवन में उंचाईयों को प्रगति प्रदान करता है साथ ही इस आभासी पटल पर उपस्थित सभी विभूतियों रचनाकारों का हृदय से स्वागत किया जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय देकर इस कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। अंत मे कार्यक्रम के संयोजक एवं संस्थापक साथ ही संचालन कर रहे इंजीनियर रमाकांत श्रीवास द्वारा बहुत ही सुंदर ढंग से प्रभु श्री राम जी पर आधारित दोहा का पाठ कर सभी को भाव विभोर कर दिया। गूगल मीट के माध्यम से जुड़े दर्शको ने सभी रचनाकारों के उत्साह बढ़ाने के लिए तालियों से स्वागत भी करते रहे । अंत में आगंतुकों का आभार प्रकट करते हुए संचालन कर रहे इंजीनियर रमाकांत श्रीवास ने कार्यक्रम के समापन की घोषणा की । इस कार्यक्रम की सभी ने सराहना की ।

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