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विधानसभा में अधिग्रहण विधेयक पेश होने से पहले CM से मिले मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थी, कहा- सरकार के कदम से सुरक्षित हाेगा उनका भविष्य

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रायपुर : चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज दुर्ग के अधिग्रहण के लिए राज्य सरकार आज विधानसभा में एक विधेयक लाने जा रही है। विपक्ष इसको मुख्यमंत्री के रिश्तेदारों की मदद करने की कोशिश बता रहा है। इन विवादों के बीच चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों और अभिभावकों के एक समूह ने आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात की है। विधानसभा रवाना होने से पहले मुख्यमंत्री ने अपने निवास कार्यालय में विद्यार्थियों के इस दल से बात की है। अभिभावकों ने कहा, बच्चों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार ने कॉलेज के अधिग्रहण का जो निर्णय लिया है, वह ऐतिहासिक है। इससे उन्होंने राजधर्म का भी पालन किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चे हमारे भविष्य हैं। इनके भविष्य को बेहतर बनाने के लिए शासन हर संभव प्रयास करेगा।

480 छात्रों का भविष्य सुरक्षित हुआ
हॉस्पिटल बोर्ड के प्रदेश अध्यक्ष और IMA मेडिकल स्टूडेंट नेटवर्क के राज्य संयोजक डॉ. राकेश गुप्ता ने मुख्यमंत्री को बताया कि 2017 के पूर्व बैच के लगभग 300 मेडिकल छात्र इंटर्नशिप पूरा कर रहे हैं। अब वे पीजी NEET की परीक्षा में बैठेंगे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की इस पहल एवं संवेदनशीलता से 480 छात्रों का भविष्य सुरक्षित हुआ है।

मेडिकल छात्र अक्षत ने कॉलेज के MBBS के छात्रों के रिएलोकेशन के निर्णय के लिए मुख्यमंत्री का आभार जताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि छात्रों को उनके गृह जिले के शासकीय जिला चिकित्सालयों एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में इंटर्नशिप करने का अवसर भी दिया जाना चाहिए। इससे इंटर्नशिप के दौरान उन्हें ज्यादा सीखने का मौका मिलेगा। बाद में मुख्यमंत्री ने कहा, चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज के छात्रों और कुछ अभिभावकों ने उनसे मुलाकात की। वे चिंतित थे कि सरकार अधिग्रहण का इरादा न छोड़ दे। मैंने उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार बच्चों के भविष्य के लिए उठाया गया कदम पीछे नहीं खींचेगी। मुख्यमंत्री से मुलाकात करने पहुंचे लोगों में डॉ. बसंत आंचल, डॉ. प्रवीण चंद्राकर, डॉ. छत्तर सिंह, डॉ. रूपल पुरोहित, विश्वजीत मित्रा, डॉ. अक्षत तिवारी आदि शामिल थे।

दूसरे कॉलेजों में दाखिले का भी आदेश
चंदूलाल चंद्राकर मेडिकल कॉलेज, दुर्ग में 2017 बैच के 180 छात्र चौथे वर्ष में अध्ययनरत हैं। यहां इन बच्चों का अध्यापन कार्य प्रभावित होने की वजह से उन्हें अन्य मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज में पुनः आवंटन (रिएलोकेट) किए जाने का आदेश जारी हुआ है।

राज्य सरकार की गारंटी पर ही मिलती है मान्यता
डॉ. राकेश गुप्ता ने कहा, किसी भी राज्य में निजी मेडिकल कॉलेज के लिए MCI तभी अनुमति देती है, जब राज्य सरकार की ओर से यह लिखित में दिया जाता है कि वह इस कॉलेज में अध्ययनरत् बच्चों के हितों की पूरी तरह से सुरक्षा करेगी। कई राज्यों में निजी मेडिकल कॉलेजों की मान्यता समाप्त होने के बाद अध्ययनरत छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए राज्य सरकार द्वारा इस तरह के कदम उठाए गए हैं। उन्होंने उत्तराखंड के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का भी उल्लेख करते हुए बताया कि जिसमें कहा गया है कि राज्य सरकार मेडिकल छात्रों के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए नैतिक रूप से जवाबदार है।

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