रायपुर : फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर सरकारी नौकरी कर रहे लोगों पर कार्रवाई की कोशिश फिर शुरू हुई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों, संभाग आयुक्तों और कलेक्टरों को पत्र जारी कर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रहे कर्मचारियों की सेवाएं तत्काल समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। ऐसे लोगों को हटाने से पहले उच्च न्यायालय में विभाग की ओर से कैविएट दायर करने को भी कहा गया है।
सर्व आदिवासी समाज ने उठाया था मुद्दा
बताया जा रहा है, पिछले दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात के दौरान सर्व आदिवासी समाज के प्रतिनिधियों ने यह मुद्दा उठाया था। उद्योग मंत्री कवासी लखमा से शनिवार को ही आदिवासी नेताओं की इस विषय पर चर्चा हुई। उसके बाद मुख्यमंत्री ने इसके लिए सामान्य प्रशासन विभाग को निर्देशित किया था। विभाग ने शाम को कार्रवाई के लिए विस्तृत परिपत्र जारी कर दिया। इसमें कहा गया है, मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए निर्देश के अनुपालन में विभागों से संबंधित ऐसे प्रकरण जिनके जाति प्रमाण, जाति प्रमाण-पत्र छानबीन समिति द्वारा फर्जी अथवा गलत पाए गए हैं, उन्हें तत्काल सेवा तथा महत्वपूर्ण पदों से पृथक किया जाए।
ऐसे संपूर्ण प्रकरणों में महाधिवक्ता, छत्तीसगढ़ के माध्यम से शीघ्र सुनवाई करने के लिए उच्च न्यायालय से अनुरोध किया जाए तथा ऐसे प्रकरण जिनमें न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त नहीं है, उन्हें तत्काल सेवा से बर्खास्त किया जाए। परिपत्र में कहा गया है कि सेवा समाप्ति का आदेश जारी करने के पूर्व प्रशासकीय विभाग द्वारा उच्च न्यायालय में कैविएट दायर किया जाए। सामान्य प्रशासन विभाग ने संबंधित फर्जी अथवा गलत जाति प्रमाण-पत्र धारकों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी 07 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने को भी कहा है। इस आदेश पर कार्रवाई हो पाती है या नहीं यह तो वक्त बताएगा। लेकिन अभी तक अनुभव यही रहा है कि ऐसे अधिकतर मामलों में सरकार किसी कर्मचारी को बर्खास्त नहीं कर पाई है।
जिन मामलों में स्थगन है उसकी समीक्षा होगी
सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र में कहा गया है, जिन प्रकरणों में न्यायालय का स्थगन प्राप्त हो, उनमें सामान्य प्रशासन विभाग के निर्देशों के अनुसार विधि विभाग द्वारा समीक्षा की जाए। प्रशासकीय विभाग द्वारा स्थगन समाप्त करने की कार्रवाई तत्परतापूर्वक की जाए।
250 से अधिक अधिकारी-कर्मचारियों की नियुक्ति फर्जी
जानकारी के मुताबिक आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग की उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी कर रहे 250 से अधिक अधिकारियो-कर्मचारियों को चिन्हित किया है। ये मामले पिछले 20 वर्षों में खुले हैं। वर्षवार आंकड़ों को देखें तो वर्ष 2001 में 1, 2002 में 4, 2004 में 2, 2005 में 10, 2006 में 5, 2007 से 21, 2008 से 8, 2009 से 6 और 2010 में 6 मामले सामने आए। वर्ष 2011 से 2020 तक फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नियुक्ति के 186 प्रकरण हैं।
पिछले साल तो सीएम को दी थी 245 की सूची
संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी की अगुवाई में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मिलने गए आदिवासी नेताओं ने पिछले वर्ष 245 ऐसे अधिकारियों-कर्मचारियों की सूची सौंपी थी जो आदिवासी के फर्जी जाति प्रमाणपत्र पर नौकरी कर रहे हैं। आदिवासी नेताओं ने उस सूची के साथ सर्वोच्च न्यायालय के एक आदेश की प्रति भी जोड़ी थी जिसमें कहा गया था कि जिनके जाति प्रमाणपत्र जाली साबित हो गए हैं, वे किसी भी विभाग में किसी भी पद पर बने नहीं रह सकते।
अदालतों से स्थगन लाए हैं पकड़े गए लोग
अधिकारियों ने बताया जाति प्रमाणपत्रों की जांच के लिए बनी उच्च स्तरीय छानबीन समिति में पकड़े गए लोग अदालतों से स्थगन लाने में सफल रहे हैं। उच्च न्यायालय में ऐसे तीन दर्जन से अधिक मामले लंबित हैं। सरकार हर साल ऐसा एक रश्मी परिपत्र जारी कर देती है। पिछले वर्ष पांच दिसम्बर को भी ऐसा ही एक आदेश निकालकर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर शासन के उच्च पदों में नौकरी पाने वाले अधिकारीयों-कर्मचारीयों की सेवाओं को तत्काल खत्म करने के लिए कहा गया था।