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छत्तीसगढ़ी समाज का पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 28 जुलाई को धरना प्रदर्शन, आगामी विधानसभा सत्र को छत्तीसगढ़ी भाषा में संचालित किये जाने की मांग  

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रायपुर। छत्तीसगढ़ी समाज द्वारा आगामी विधानसभा सत्र को छत्तीसगढ़ी भाषा में संचालित किये जाने की मांग छत्तीसगढ़ी समाज के अध्यक्ष एम.एल. टिकरिहा ने की है। श्री टिकरिहा ने आज प्रेस क्लब में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ी भाषा में विधानसभा में कार्यवाही हो एवं मंत्री एवं विधायकगण छत्तीसगढ़ी में ही सवाल-जवाब करेें, सरकारी कामकाज छत्तीसगढ़ी में हो, स्कूल पाठ्यक्रम में छत्तीसगढ़ी भाषा अनिवार्य करने सहित संविधान की अष्टम सूची में छत्तीसगढ़ी भाषा को शामिल करने की मांग की है। टिकरिहा ने आगे बताया कि पांच सूत्रीय मांगों को लेकर 28 जुलाई को बूढ़ातालाब में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन किया जायेगा। श्री टिकरिहा ने कहा छत्तीसगढ़ के 2 करोड़ 17 लाख निवासियों की मातृ भाषा है इस भाषा को राजभाषा का दर्जा देना सरकार का प्रथम कर्तव्य है। संविधान की आठवीं सूची में देश के 22 भाषाओं को शामिल किया गया है। जिस भाषा को 15 लाख लोग बोलते है उस भाषा को भी शामिल कर लिया गया है। फिर छत्तीसगढ़ की उपेक्षा क्यों हो रही है। उन्होंने आगे बताया भाषा विज्ञान के अनुसार किसी भाषा का 6 बुनियादी लक्षण रहता है। क्रिया पद, कारक रचना, सर्वे नाम, शब्द भंडार, शैली और लिखित या मौखिक पारंपरिक साहित्य छत्तीसगढ़ में ये सब विशेषता है। छत्तीसगढ़ी भी एक पूर्ण भाषा है इसी कारण हमारा मांग है कि छत्तीसगढ़ी को और देरी किये बिना राजभाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए। यह बहुत गंभीर मुद्दा है क्योंकि मातृ भाषा का संबंध जन साधारण के संस्कृति और सम्भयता से रहता है। लोग हमारी भावनाओं को मातृ भाषा में बड़ी आसानी से बता सकते है। इसलिये उनकी मातृ भाषा की उपेक्षा से उनका मन हीन भावना से घिर जाता है। मानसिक विकास रूक जाता है वे शोषण अत्याचार और अन्याय भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करना भूल जाता है। उनका प्राण शक्ति भी मर जाता है और धीरे-धीरे हालात यहा तक पहुंचा जाता है कि ऐसे लोगों का नामुनिशान धरती से खत्म हो जाता है। बीते वर्षों में छत्तीसगढ़ी भाषा के कुछ अध्याय मीडिल स्कूल में शुरू किये गये है लेकिन प्रायमरी हाई स्कूल में अब पहल नहीं की गई। अहम बात ये है कि जिन अध्यायों को शुरू किया गया है उन्हें पढ़ाने के लिये विशेषज्ञ शिक्षकों की भर्ती नहीं की जा रही है। जबकि प्रदेशभर में हजारों छात्रों ने छत्तीसगढ़ी में स्नाकोत्तर की डिग्री ले रखी है l 100 से ज्यादा छात्रों ने पीएचडी की है।

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