वाशिंगटन । जलवायु परिवर्तन को लेकर बार-बार चेतावनी दी जा रही है। कई देश की मार साफतौर पर झेल भी रहे हैं। तेजी से ग्लेशियर पिघल रहे हैं समुद्र का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस बीच नासा की चेतावनी और डराने वाली है। दरअसल, नासा ने कहा है कि मौसमी बदलाव के पीछे एक बड़ी वजह चांद भी हो सकता है। नासा ने निकट भविष्य में चांद के अपनी ही धुरी पर डगमगाने की भी संभावना जताई है। अपनी एक रिपोर्ट में अमेरिका की स्पेस एजेंसी ने कहा है कि जिस तरह से जलवायु परिवर्तन में तेजी आ रही है और समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है ऐसे में 2030 में चांद भी डगमगा सकता है। चांद के इस तरह से डगमगाने से धरती पर प्रलयकारी बाढ़ तक आ सकती है।
नासा द्वारा किया गया ये शोध क्लाइमेट चेंज पर आधारित जर्नल नेचर में पिछले माह पब्लिश हुआ था। इस रिसर्च रिपोर्ट में चाद पर होने वाली हलचल की वजह से धरती पर आने वाली विनाशकारी बाढ़ को न्यूसेंस फ्लड कहा है। हालांकि जब कभी भी धरती पर हाई टाइड आता है उसमें आने वाली बाढ़ को इसी नाम से जाना जाता है। लेकिन नासा के शोध में कहा गया है कि 2030 तक धरती पर आने वाली न्यूसेंस फ्लड की संख्या काफी बढ़ जाएगी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले इनकी तादाद भले ही कम होगी लेकिन बाद में इसमें तेजी आ जाएगी।
नासा का शोध बताता है कि चांद की स्थिति में आया थोड़ा सा भी बदलाव धरती पर जबरदस्त बाढ़ ला सकता है। यूनिवर्सिटी ऑफ हवाई के सहायक प्रोफेसर फिल थॉम्पसन का कहना है कि जैसे-जैसे जलवायु परिवर्तन बढ़ेगा वैसे-वैसे ही धरती पर प्राकृतिक मुश्किलें भी बढ़ जाएंगी। आपको बता दें कि चांद अपने लूनार साइकिल में जो 18.6 वर्ष का समय लेता है उसके आधे वक्त में धरती पर बढ़ते समुद्र के जलस्तर के चलते हाई टाइड की संख्या अधिक हो जाएगी। बाकी समय में इसका असर देखा जा सकेगा। इस दौरान धरत का समुद्रीय जलस्तर एक दिशा की तरफ अधिक रहेगा।
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेलसन के मुताबिक चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति जो ज्वार की वजह बनती है और क्लाइमेट चेंज धरती पर आने वाली बाढ़ की बड़ी वजह होगा। इसकी वजह से समुद्र तट के पास रहने वाले और निचले इलाकों में खतरा बढ़ जाएगा। उनका ये भी कहना है कि धरती पर आने वाली बाढ़ चांद, धरती और सूरज की स्थित पर निर्भर करेगा कि इसमें कितना बदलाव होता है।