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अवैध रेत खनन परिवहन के विरुद्ध पत्रकारों का अनिश्चितकालीन धरना 

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  • कार्यवाही नही होने से रुष्ट पत्रकार बैठे धरने पर 
टीकम निषाद/गरियाबंद। जिले में चल रहे अवैध रेत खनन व परिवहन के विरुद्ध कार्यवाही की मांग को लेकर स्थानीय पत्रकार आज गांधी मैदान में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गये है। पत्रकारों का आरोप है कि रेत के अवैध खनन व परिवहन को लेकर लगातार खबरों के प्रकाशन और शिकायतों के बावजूद स्थानीय प्रशासन व खनिज विभाग कोई ठोस कार्यवाही नही कर रहा है। खनिज विभाग की लापरवाही के चलते मालगांव पैरी नदी मजरकट्टा घाट पर खनन अनुज्ञा प्राप्त नही होने के बावजूद ट्रेक्टर चालकों से प्रति ट्राली 200 रु की वसूली की जाती रही है , यहां रैम बनाकर बड़े स्तर पर अवैध रेत खनन की तैयारी कर ली गई है। इस विषय पर पूर्व में ही छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट वेलफ़ेयर यूनियन के पत्रकारों द्वारा अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को ज्ञापन सौंप दिया गया है। ज्ञापन के अनुसार लागतार मीडिया में अवैध संचालित रेत खनन व परिवहन के समाचारों के प्रकाशन प्रसारण के बावजूद किसी प्रकार की ठोस प्रशानिक कार्यवाही नही की जा रही है।
पत्रकारों ने की कार्यवाही की मांग 
छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट वेलफेयर यूनियन जिला इकाई गरियाबंद के पत्रकारों ने जिले की विभिन्न रेत खदानों में चैन माउंटिंग मशीन से खुदाई बंद करने , अनुज्ञा प्राप्त रेत भंडारण की जांच , साथ ही रेत खुदाई के लिये चिन्हित स्थलों के रकबे की जांच की मांग की  है। विदित हो कि जिले में 9 समूहों में 14 रेत खदानें है।
सरकारी संरक्षण के आरोप 
जिले में रेत के अवैध कारोबार को सरकारी संरक्षण देने के आरोप भाजपा नेता प्रीतम सिन्हा द्वारा अक्सर लगाये जाते रहे हैं। यहाँ तक की इस मामले में रायपुर के प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता व कबीर संचार शोधपीठ के अध्यक्ष कुणाल शुक्ला का जिलाधीश गरियाबंद के नाम एक पत्र भी इसी वर्ष फरवरी माह में सोशियल मीडिया में वायरल हुआ था , जिसमें उन्होंने जिले की रेत खदानों के अवैध ढंग से संचालन और जिले के ही खनिज निरीक्षक मुदुल गुहा की रेत खदानों में पार्टनरशिप का आरोप लगाया था। अब इस मामले को लेकर पत्रकार भी सामने आ चुके हैं।
इस मामले को लेकर धरने पर बैठे छत्तीसगढ़ जर्नलिस्ट यूनियन के जिला अध्यक्ष हिमांशु साँगानी का कहना है कि लगातार खबरों के प्रकाशन तथा लिखित मौखिक शिकायतों के बावजूद स्थानीय प्रशासन कुम्भकर्णीय निंद्रा में लीन है। खनिज संपदा का अवैध दोहन रोकने हम पत्रकारों को धरना देने पर बाध्य होना पड़ रहा है । जल्द ही इन पर कार्यवाही नहीं होती तो हमारे द्वारा भूख हड़ताल की जावेगी ।
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