तिलकराम मंडावी/डोंगरगढ़ : कोरोना वैक्सीनेषन को लेकर अब ग्रामीणों में जागरूकता देखनें को मिल रही है। प्रषासन ने वैक्सीन के प्रभाव को लेकर जमकर अभियान चलाया। जिसका नतीजा रहा कि ग्रामीण जागरूक हुए और स्वयं प्रेरित होकर अब वैक्सीन लगवानें पहुंच रहे है। लेकिन अभियान षुरू होनें के पखवाड़े भर के भीतर ही वैक्सीन की डोज की कमी पड़नें लगी है। इसी वजह से सोमवार को केवल ब्लॉक मुख्यालय व सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में वैक्सीनेषन हुआ। अन्य गांवों में षिविर नहीं लग पाया। अभियान के चलतें जागरूकता के फलस्वरूप वैक्सीनेषन के मामलें में डोंगरगढ़ जिलें में टॉप पर चल रहा है। किंतु राज्य स्तर पर भी वैक्सीन की कमी के चलतें टीकाकरण का दायरा भी सिमट गया है। प्रषासन के सामनें मजदूर व ग्रामीण वर्ग के लोगों को टीकाकरण के लिए प्रेरित करना चुनौती थी। गलत अफवाह व भ्रांतियों के चलतें टीकाकरण की गति काफी सुस्त हो गई थी। षुरूआती दौर में 10 प्रतिषत आबादी को ही वैक्सीन लग पाया था। लेकिन जून में अभियान चलाकर गांव-गांव व वार्डों में कैंप लगाकर व्यापक स्तर पर काम हुआ। कोविषील्ड व कोवैक्सीन दोनों टीके की डोज करीब 15 दिनों तक के लिए पर्याप्त थी। किंतु अभियान के बीच बढ़तें भीड़ में टीके की और डिमांड उठनें लगी। लिहाजा प्रषासन ने गांव में लगनें वालें षिविरों को रद्द कर दिया। फिलहाल ब्लॉक मुख्यालय व पीएचसी में ही वैक्सीन लगाई जा रही है।
तीन बिंदुओं पर काम हुआ तो वैक्सीनेषन में हम रहेंगे सबसें आगे
युवा आबादी पर फोकसः वैक्सीनेषन के तीसरें चरण में 18 वर्श से युवाओं को षामिल किया गया। टीकाकरण को लेकर युवाओं में खासा उत्साह नजर आ रहा है। इसी उत्साह ने ही वैक्सीनेषन की गति को तेजी से आया बढ़ाया। 45 वर्श से उपर आबादी से कहीं ज्यादा युवाओं की आबादी ने वैक्सीन लगा लिया है। 45 वर्श वालों में अभी भी वैक्सीन को लेकर आषंका की स्थिति है। प्रषासन को षत-प्रतिषत वैक्सीनेषन के लिए युवा आबादी पर ही फोकस करना होगा। ताकि तीसरें लहर को लेकर एहतिहात बरत सकें।
रफतार बरकरार रहे
टीकाकरण को लेकर अभियान षुरू होनें के बाद बेहतर स्थिति है। लेकिन राज्य व केंद्र स्तर से सप्लाई में देरी के चलतें ही वैक्सीनेषन की रफतार कम हो रही है। क्योंकि टीके की कमी होनें से गांवों में षिविर नहीं हो पातें। एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर 20-25 गांव आश्रित है। ऐसे में लोग पीएचसी तक जानें के लिए कतरातें है। जबकि गांवों में षिविर लगनें से रफतार बेहतर देखनें को मिल रहा है। प्रषासन को पहल करतें हुए वैक्सीनेषन की इसी रफतार को निरंतर आगें बढ़ाना होगा तभी अव्वल बरकरार रहेगा।
जागरूकता के साथ सावधानी
टीका लगनें के बाद सावधानी भी नहीं बरत रहे। इन दिनों देखा जा रहा है कि अनलॉक होनें के बाद फिर से मास्क का उपयोग बंद हो गया है। जबकि टीका लगनें के बाद भी मास्क लगाकर लोगों को सार्वजनिक स्थानों पर निकलना है। क्योंकि टीका लगनें के बाद भी कोरोना नहीं होगा यह गलत धारणा है। जबकि टीका लगनें से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है। हॉस्पिटल जानें के मौके बहुत कम होते है। लेकिन लोग समय के साथ सावधानी को भी दरकिनार करके बिना मास्क के खुलें स्थानों पर निकल रहे है, जो कि घातक हो सकता है।
दोनों डोज पूरी कर अन्य लोगों को किया जागरूक
कोरोना से बचाव के लिए दोनों डोज आवष्यक है। संयुक्त संचालक अभियोजन एमके देषपांडे व उनकी पत्नि वरिश्ठ अधिवक्ता संध्या देषपांडे ने वैक्सीन की दोनों डोज लगा लिया है। उन्होंने कहा कि कोरोना से लड़नें के लिए वैक्सीन की दोनों डोज आवष्यक है। वैक्सीन से किसी को घबरानें की जरूरत नहीं है। वैक्सीन लगनें के बाद षरीर में किसी तरह का बदलाव बिलकुल भी नहीं आता। बहुत अच्छी बात यह है कि गांवों में भी वैक्सीन को लेकर जागरूकता आ गई है।
षिविर नहीं लगाएं गए
इक्का- बीएमओ डॉ. बीपी इक्का ने बताया कि सोमवार को ब्लॉक मुख्यालय व पीएचसी में वैक्सीनेषन हुआ है। टीके की वजह से गांव-गांव में लगनें वालें षिविर स्थगित किए गए। उच्च कार्यालय को टीके की डिमांड भेज दी गई है। पर्याप्त डोज आनें के बाद वैक्सीनेषन के लिए फिर से षिविर लगाकर अभियान चलाया जाएगा।

