- पहली बरसात में ही पड़ने लगे जगह,जगह दरारे
यामिनि चंद्राकर/छुरा : सरकार की मंशा रही है कि जनता का पैसा उनके हितों और विभिन्न निर्माण व क्रियान्वयन के लिए प्रशासनिक ढांचा तैयार किया गया है।लेकिन सरकार के नुमाइंदे क्या योजनाओं का सही क्रियान्वयन कर रहा है? क्या शासन द्वारा दिए गया राशि का सही उपयोग व धरातल पर मापदंडों के तहत काम हो रहा है?ये सबसे बड़ा सवाल है।
अपने कारनामों को लेकर लगातार सुर्खियों में रहने वाले भ्रष्टाचार का बन गया जलसंसाधन विभाग गरियाबंद में हो रहे निर्माण कार्य में सबसे बड़े बंदरबाट की बात कर रहे है। जंहा शासन की महत्वपूर्ण कार्य नहर लाइनिंग में विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार द्वारा करोड़ो रुपए की राशि को बंदरबाट करने की नियत से बत्तर से बत्तर घटिया और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य किया जा रहा है।जिसके कारण नहर लाइनिंग का कार्य निर्माण हुए ठीक से एक माह भी नही हुआ और दरारें पड़ना शुरू हो गया है।जगह जगह नहर लाइनिंग में आए दरारे इस बात की गवाही दे रही है की किस तरह किसानों के हितों के लिए बनाए जा रहे नहर लाइनिंग कार्य कमिशन के चलते भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रहा है।
गौरतलब है कि गरियाबंद जिले के जलसंसाधन विभाग अन्तर्गत पैरी नहरों को लाइनिंग करने शासन द्वारा अरबों रुपए की राशि दिए है।जन्हा राजिम,फिगेश्वर और पांडुका सब डिवीजन में पैरी दाई मुख्य नहर व फिंगेश्वर डिस्ट्रीब्यूटर शाखा नहर में लाइनिंग का काम चल रहा है।लेकिन लापरवाह और भ्रष्टाचारी विभागीय अधिकारियों की वजह से नहर लाइनिंग का कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहा है।जिस पर जिले के कलेक्टर सहित जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बन शासन को चुना लगाने वाले जिम्मेदार और लापरवाहो को।खुली छूट दे रखे है।
आपको बता दे की उक्त नहर लाइनिंग कार्य के लिए जलसंसाधन विभाग द्वारा अशोक मित्तल को टेंडर दिया गया था लेकिन अनिल सिंह चंदेल पेटी कांट्रैक्ट लेकर काम कर रहा है। जंहा ठेकेदार अनिल सिंह चंदेल विभागीय अधिकारियों के साथ सांठ गांठ कर निर्माण कार्य में लीपापोती कर स्टीमेट के विपरित ,खराब मटेरियल का इस्तेमाल कर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य कर सरकार को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे है।ठेकेदार अधिक पैसा कमाने के लोभ में सारे नियमो को ताक में रखकर शासन के सभी नियम कायदा,कानून को सरेआम ठेंगा दिखा रहे है।लेकिन जिम्मेदारो को इस पूरे मामले पर कोई सरोकार नहीं है।लोग ये भी कह रहे है कि ठेकेदार अनिल सिंह चंदेल की ऊपर से लेकर नीचे तक तगड़ी सेटिंग है।जिसके कारण बेखौफ घटिया निर्माण कार्य कर रहे है।
10 वर्ष पुराने टूटे – फूटे स्ट्रेक्चर पर नया निर्माण विभाग के 5 दोसी अधिकारियों पर गिरा था गाज
बताना लाजमी है कि जलसंसाधन विभाग अन्तर्गत पांडूका और फिंगेश्वर सब डिवीजन में वर्ष 2011 में पैरी नहर लाइनिंग का कार्य स्वीकृत हुआ था लेकिन उस समय विभाग के अधिकारियों और ठेकेदार की भ्रष्ट नीतियों की वजह से कार्य अधूरा रहा गया था और तत्कालीन 5 दोषी अधिकारियों को कार्य में अनियमितता के चलते सस्पेंड कर दिया है था लेकिन 10 साल बाद आज फिर उसी नीतियों को दोहराते हुए जलसंसाधन विभाग के अधिकारी 10 साल पुराने टूटे फूटे स्लीपर और स्ट्रेक्चर पर कांक्रीटीकरण कर लीपापोती करने में लगे है। न तो टूटे फूटे स्लीपर को रिपेयरिंग किया गया और न ही पूर्ण रूप से टूट गए स्लीपर के जगह कोई नया स्लीपर निर्माण किया गया।जिससे साफ जाहिर होता है कि विभाग के अधिकारी और ठेकेदार कमिशन के चक्कर में10 साल पहले की भ्रष्ट नीति की पुनरावृत्ति करते हुए नहर लाइनिंग कार्य को लीपापोती का अमलीजामा पहनाकर सरकार को पलीता लगाने में लगे है।
कमिशन और गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य ने खोल दी एक माह में नहर लाइनिंग की पोल
आपको एक बार पुनः बता दे कि करोड़ों अरबों रुपये की लागत से बन रहे नहर लाइनिंग कार्य में पांडुका और फिंगेश्वर सब डिवीजन के नहरों मे बड़े बड़े दरारो की बाढ सी आ गई है।नहर लायनिंग कार्य हुए एक माह भी नहीं हुआ है और जगह जगह दरार बता रही है कि विभाग के अधिकारी और ठेकेदार निर्माण कार्य में किस तरह से लीपापोती की है। कोपरा, पांडुका,श्यामनगर, किरवई के नहरों में कई किलोमीटर तक जहा देखो दरार ही दरार दिखाई देता है।जिसे गैरजिम्मेदार विभागीय अधिकारियों और ठेकेदार द्वारा रिपेयरिंग कर छुपाने का कुत्सित प्रयास किया जा रहा है।जिसे देखने वाला कोई नहीं है।
जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की कार्यशैली पर उठ रहे है सवाल
सरकार की न खाऊंगा और न खाने दूंगा की नीति गरियाबंद जिले में इसके विपरीत नजर आ रही है।जिले के विभिन्न विभागों में निर्माण व विकास कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढ रहा है।लेकिन जिम्मेदार मौन साधे हुए है।चुनाव के वक्त आम नागरिकों को तरह तरह का वादा करना और उन वादों के सहारे चुनाव जीतकर लोकतंत्र की सुरक्षा और ईमानदारी पूर्वक काम करने शपथ लेते है।फिर बाद में ये सब मात्र कोरी कल्पना साबित होती है। जलसंसाधन विभाग द्वारा नहर लाइनिंग कार्य में हो रहे अनियमितता को लेकर लगातार खबर प्रकाशन के बाद न तो जिले के कलेक्टर ने कोई गंभीरता दिखाई और न राजिम विधायक अमितेश शुक्ल ने इस और कोई दिलचस्पी दिखाई।निर्माण कार्य में हो रहे भारी अनियमितता पर आखिर विधायक अमितेश शुक्ल चुप्पी क्यों साधे हुए है।जबकि कांग्रेसी विधायक अमितेश शुक्ल की प्रदेश में सरकार है उसके बावजूद भी सरकार की महत्वपूर्ण कार्य में हो रहे घोर लापरवाही पर चुटकी क्यों नहीं ले रहे है? जनप्रतिनिधियों का कार्य आम जानता कि समस्याओं को निराकरण के साथ साथ सरकार द्वारा किए जा रहे निर्माण व विकास कार्य की मॉनिटरिंग करना भी है।लेकिन राजिम विधायक अमितेश शुक्ल को सत्ता और संगठन से दूर इन मामलों से कोई लेना देना नहीं है।जिसके कारण इतने बड़े मामले पर हो रहे अनियमितता पर उन्होंने न तो निर्माण कार्य का मौके पर जाकर जायजा लिया और न ही अपने किसी प्रतिनिधि को दिखवाने भेजा।विधायक की ढुलमुल रवैया से जनता जनार्दन के बीच किरकिरी होना लाजमी है।