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बांस पतर ग्राम से तिरियार पानी तक बन रहे करोड़ों की लागत से सड़क , पुल , पुलिया निर्माण को छोड़कर भागा ठेकेदार…!

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  • काम अधूरा छोड़कर भागा ठेकेदार…? सरकार को लगा करोड़ों का चूना…?

अक्कू रिजवी/कांकेर : कांकेर ठेकेदारी सिस्टम से भारत देश को जितना नुक़सान हो चुका है , उतना नुक़सान किसी अन्य सिस्टम से नहीं हुआ है क्योंकि ठेकेदार चाहे जितना भी ईमानदार हो , उसे अपने लिए एक तगड़ा मार्जिन रखना ही पड़ता है। इसलिए कि उसी मार्जिन में उसका लाभ तथा भ्रष्ट अफसरों कर्मचारियों का हिस्सा रहता है और वह तगड़ा मार्जिन उस समय सरकार के लिए बहुत बड़ा बजट घाटा बन जाता है जब कोई ठेकेदार आवश्यक रकम सरकारी खज़ाने से निकालकर काम नहीं करवाता और भाग जाता है, ऐसी जगह जिसका कोई अता पता नहीं । जिला उत्तर बस्तर कांकेर में ऐसी ही घटना हुई है, जिसमें ठेकेदार ने फ़रार होकर राज्य सरकार को करोड़ों का चूना लगा दिया है। बताया जाता है कि बांस पतर ग्राम से तिरियार पानी ग्राम तक अनेक सड़क / पुल आदि के कार्यों हेतु पैसा निकाल कर ठेकेदार एक लंबे अरसे से गायब है जिसकी वजह से क्षेत्र का विकास रुक गया है तथा ग्रामीण बहुत तकलीफ में हैं। इस प्रस्तावित मार्ग में तथा पुलों में कहीं भी जानकारी वाले बोर्ड नहीं लगाए गए हैं जोकि निर्माणाधीन स्थलों पर अनिवार्य होते हैं, जिनमें ठेकेदार के नाम सहित निर्माण की लागत, लंबाई और चौड़ाई ,समय अवधि जो निर्धारित हो । इस प्रकार का बोर्ड इस मार्ग में कहीं नहीं है । लोक निर्माण विभाग के ज़िम्मेदार अधिकारी बांस पतर क्षेत्र की इस घटना को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं और राज्य सरकार को करोड़ों का नुकसान होने दे रहे हैं । ऐसे में इस पिछड़े हुए क्षेत्र का विकास कैसे हो सकेगा ,यह एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है। शासन को चाहिए कि ठेकेदार का पता लगवा कर उसी से अनुबंध के अनुसार सारा काम पूर्ण करवाये अथवा ठेकेदार के ना मिलने पर विभागीय इंजीनियर से ही सारा काम संपूर्ण कराया जाए । यह ग्रामीण क्षेत्र पहले से ही उपेक्षित है । अब उसकी और कितनी उपेक्षा की जाएगी..?

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