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कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में युवा किसान करेगा मखाना की खेती,तालाब निर्माण हुआ पूरा

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  • वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर गजेंद्र चन्द्राकर और डॉ. सुदर्शन सूर्यवंशी से बीज से बाजार तक सम्पूर्ण मार्गदर्शन मिल रहा है
  • वैश्विक महामारी करोना काल में लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हुए हैं. ऐसे में पौष्टिक खाने और प्रोटीन युक्त खाने की डिमांड बढ़ी है. जिसकी पूर्ति के लिए किसान भी अब ऐसे सुपर फूड की खेती करने में लग रहे हैं.

संजय महिलांग/नवागढ़/ बेमेतरा: वैश्विक महामारी के दौर में हर व्यक्ति अपनी रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और अच्छे स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है. ऐसे में कृषि प्रधान बेमेतरा जिला में इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर गजेंद्र चन्द्राकर और कृषि विज्ञान केंद्र धमतरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.सुदर्शन चंद्रवंशी के मार्गदर्शन में नगर पंचायत नवागढ़ मे अब सुपर फूड और हाई न्यूट्रीशियन फूड मखाना की खेती होने वाली है इसके लिए आवश्यक संसाधन उपलब्ध हो गया हैं। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में मखाना की खेती से किसानों को बेहद फायदा हो रहा है. मखाना, हमारी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. डॉक्टरों का भी मानना है कि विटामिन और फाइबर से भरपूर मखाने का सेवन न केवल इम्युनिटी बढ़ाने के लिए कारगर होता है, बल्कि हमारे शरीर को स्वस्थ और तंदुरुस्त रखने में भी मदद करता है.

मखाने की खेती से मालामाल

कोरोना काल में जिस तरह से लोग अब अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक हुए हैं, इसके चलते सुपरफूड और स्वास्थ्य से भरपूर चीजों की डिमांड भी खूब बढ़ी है. यही वजह है कि अब छत्तीसगढ़ के किसान भी इन सुपर न्यूट्रीशिंयस फूड से भरपूर चीजों की खेती किसानी को लेकर आगे बढे हैं. बेमेतरा जिला मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर लगे नगर पंचायत नवागढ़ शंकर नगर में एक प्रगतिशील युवा किसान किशोर राजपूत ने 5 एकड़ खेत में मखाना की खेती करने का निर्णय किया है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ में एक मात्र बड़े किसान डॉ.गजेंद्र चंद्राकर जी हैं जो 25 से 30 एकड़ में मखाने की खेती कर रहे हैं. वो न केवल खुद खेती कर रहे हैं, बल्कि आसपास के जिलों के भी किसानों को मखाने की खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं. वे बताते हैं कि धान की खेती करने वाले किसानों की आय में दोगुनी वृद्धि करने के लिए मखाना एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है.

कोरोनाकाल में सुपरफूड मखाना की विश्व स्तर पर मांग बढ़ी है.

औषधीय गुणों से भरपूर मखाना इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ही नहीं बल्कि कुपोषण दूर करने के लिए भी सबसे कारगर माना जाता है. विश्व स्तर पर भी धान के मुकाबले इसकी डिमांड ज्यादा बढ़ी हैं। छत्तीसगढ़ में धान के बाद यानी जहां 6 महीने से 8 महीने तक नमी रहती है, सबसे बड़ी बात है कि धान के मुकाबले इसको न तो ज्यादा बारिश से नुकसान है और न ही जानवरों से. क्योंकि ये पानी के भीतर तालाब नुमा पोखर में होता है.

इम्युनिटी बढ़ाने में कारगर

कोरोना के दौर में इम्युनिटी बूस्ट अप के लिए लोग जिस तरह का ड्राई फ्रूट्स और अन्य चीजों को लेकर पैसा खर्च कर रहे हैं, ऐसे में मखाना एक बेहतर विकल्प हो सकता है. इसके बहुत सारे मेडिसिनल उपयोग भी हैं. विशेषज्ञ इसे डायबिटीज के लिए भी काफी फायदेमंद मानते है. हार्ट पेशेंट के लिए भी ये काफी अच्छा होता है.इसमें शरीर के लिए आवश्यक विटामिन हैं, कैल्शियम है, मैग्निशियम है, आयरन है, जिंक आदि मौजूद है.इसलिए मखाना को सुपर फूड की कैटेगरी में रखा गया है.

मखाने की खेती में कई गुना ज्यादा फायदा

छत्तीसगढ़ के किसान साल में एक बार ही धान की खेती पर निर्भर होते हैं. यही नहीं जब किसानों को अपना धान बेचना होता है तब सरकार पर आश्रित रहना पड़ता है. ज्यादातर किसान खरीफ की फसल के लिए धान की फसल पर आश्रित हैं. चाहे बोनस मिले या फिर सरकार की ओर से समर्थन मूल्य मिले. ऐसे में धान के उत्पादन में जितना संघर्ष करना होता है इससे ज्यादा संघर्ष धान बेचने के लिए करना पड़ता है. बार बार ऑफिस के चक्कर लगाने पड़ते हैं तथा ग्रीष्मकालीन धान का कोई सपोर्ट प्राइस भी किसानों को नहीं मिलता है. प्रति एकड़ का किसानों को 20 हजार से 25 हजार बच जाए तो बहुत बड़ी बात होती है. ऐसे हालात में खेतों में यदि मखाने की फसल को लगाया जाए तो धान की तुलना में मार्केट तलाशने की आवश्यकता नहीं है.

एक लाख रुपये का हो सकता है मुनाफा

प्रगति शील युवा किसान किशोर राजपूत बताते हैं की धान की तुलना में खेतों में दो या तीन फीट तक पानी भरकर मखाने की खेती सरलतापूर्वक की जा सकती है. मखाने की खेती में करीब 6 महीने का समय लगता है. 1 एकड़ में करीब 10 से 15 क्विंटल तक उत्पादन होता है. इसके बीज की कीमत 80 से 100 रुपये पर प्रति किलो होती है. इस लिहाज से 1 एकड़ में 80 हजार से 1 लाख रुपये तक 6 महीने में आराम से कमाई हो सकती है.

प्रोटीन का बेहद अच्छा सोर्स

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नवागढ़ के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बुधेश्वर वर्मा कहते हैं कि, ये बहुत अच्छी खबर है कि नवागढ़ में मखाने की खेती होने जा रही है. मखाना यहां आसानी से नहीं मिल पाता था. आम लोगों की पहुंच से बाहर भी था. मखाना बेहद फायदेमंद होता है. इसकी न्यूट्रिशन वैल्यू बहुत अच्छी होती है. इसमें प्रोटीन बहुत पाया जाता है. फाइबर बहुतायत मात्रा में पाया जाता है. कोविड 19 के संक्रमण काल में प्रोटीन खाने में बहुत ज्यादा जोर दिया जा रहा है. ऐसे में मखाना प्रोटीन का बहुत अच्छा सोर्स है. गर्भवती महिलाओं के लिए भी ये काफी फायदेमंद है.

मखाने खाने से होने वाले फायदे:

मखाने का सेवन किडनी और दिल की सेहत के लिए काफी फायदेमंद है.डायबिटीज के रोगी भी इसका सेवन कर सकते हैं. मखाना कैल्शियम से भरपूर होता है. इसलिए जोड़ों के दर्द, विशेषकर आर्थराइटिस के मरीजों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है.मखाने के सेवन से तनाव कम होता है और नींद अच्छी आती है. रात को सोते समय दूध के साथ मखाने का सेवन करने से नींद न आने की समस्या भी दूर हो जाती है.मखाने का नियमित सेवन करने से शरीर की कमजोरी दूर होती है.मखाना शरीर के अंग को सुन्न होने से बचाता है और घुटनों, कमर दर्द को पैदा होने से रोकता है.मखाने में जो प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, फैट, मिनरल और फास्फोरस आदि पोषक तत्व होते हैं. वे पुरुषों के लिए बेहद फायदेमंद माने गए

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