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छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने मनाया वीरांगना महारानी दुर्गावती बलिदान दिवस

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रायपुर : तेलीबांधा के दुर्गावती चैक पर स्थित महारानी दुर्गावती की विशाल मूर्ति पर छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग ने वीरांगना महारानी दुर्गावती जी का बलिदान दिवस मनाया। इस अवसर पर जनजाति मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम, खाद्य मंत्री, अमरजीत भगत, उद्योग एवं आबकारी मंत्री, कवासी लखमा, पी.सी.सी. चीफ मोहन मरकाम, आयोग के उपाध्यक्ष, राजकुमारी दीवान, आयोग के सदस्य नितिन पोटाई आदि ने रानी दुर्गावती की मूर्ति को माल्यार्पण कर उनके बलिदान को याद किया। आज सुबह से ही रानी दुर्गावती को श्रद्धा सुमन अर्पित करने लोगों का आना-जाना लगा रहा । रानी का विवाह गढमंडला के 49वें राजा दलपत शाह से हुआ था, परन्तु उनकी बदकिस्मती ही थी कि राजा विवाह के तीन साल में ही इस दुनिया से विदा हो गये। रानी को इस विकट परिस्थिति में अपने राज्य को बचाने के लिए मुगलों के आक्रमण का सामना करना पड़ा। रानी ने गढमंडला का शासन अपने हाथों में ले लिया , इसी समय बाज बहादुर का आक्रमण हुआ , जिसका रानी ने मजबूती से सामना करते हुए आक्रमण को विफल कर दिया। बाद में अकबर के प्रभाव में आने के पश्चात अकबर के सेनापती आसफखान ने मंडला राज्य में आक्रमण कर दिया। रानी ने अपने राज्य की रक्षा के लिए उससे लड़ने की ठान ली। उनके दीवान ने मुगलों की विशाल सेना एवं ताकत के बारे में रानी को अवगत कराया, परन्तु रानी ने कहा कि गुलामी से अच्छा है लड़ते-लड़ते मर जाना। नर्मदा और गौर नदी के समीप मुगलों की बारूदी तोपों से सुसज्जित सेना और रानी की छोटी सेना का मुकाबला हुआ। रानी ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए इस सेना का मुकाबला किया। युद्ध के दौरान रानी की सेना ने तीन मौकों पर मुगल सेना को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। परन्तु इस दौरान रानी घायल हो गई। रानी के महावत ने रानी को युद्ध भूमि छोड़ने की सलाह दी, परन्तु रानी ने उनकी सलाह को अस्वीकार कर दिय, युद्ध में रानी वीरगती को प्राप्त की। उनकी शहादत पर सम्पूर्ण आदिवासी समाज 24 जून को ‘‘बलिदान दिवस’’ के रूप में मनाता है।

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