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सिलगेर को अब विकास कार्यों की सौगात, CM भूपेश बघेल ने बिजली लाइन का विस्तार और 50 सीटर आश्रम भवन समेत तमाम कामों के लिए दी अनुमति

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सुकमा/बीजापुर : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को अपने निवास कार्यालय से आयोजित वर्चुअल बैठक में सुकमा, बीजापुर के जनप्रतिनिधियों और समाज प्रमुखों से चर्चा की। इस दौरान उन्होंने जनप्रतिनिधियों की मांग पर विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए अनुमति प्रदान की है। सीएम ने इस दौरान जगरगुण्डा में 30 बिस्तरीय अस्पताल के निर्माण की घोषण की है। इसके साथ ही 11 करोड़ 2 लाख लागत राशि के विभिन्न निर्माण कार्यों को स्वीकृति प्रदान की। वहीं सिलगेर गांव में बिजली लाइन का विस्तार और 50 सीटर आश्रम भवन समेत तमाम कार्यों के लिए लिए अपनी स्वीकृति दी है।

सीएम भूपेश बघेल ने बातचीत के दौरान कह है कि सरकार आदिवासियों के हित और अधिकार, जल, जंगल, जमीन के संरक्षण के लिए संकल्पित है। सिलगेर में हुई घटना अत्यन्त ही दुर्भाग्यजनक है। घटना की दण्डाधिकारी जांच की जा रही है, जिसमें कोई भी लापरवाही बरती नहीं जाएगी। सीएम ने पूरे मामले को लेकर कहा है कि जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा उन्होंने जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों से दण्डाधिकारी जांच में सहयोग करने के लिए भी कहा है। वहीं सिलगेर में ग्रामीणों का आंदोलन 25 दिन बाद 9 जून को खत्म हो गया है।

इन निर्माण कार्यों को भी अनुमति

सीएम ने वर्चअल माध्यम से सर्वआदिवासी समाज सहित अन्य समाज प्रमुखों और जनप्रतिनिधियों ने से संवाद किया। इस दौरान जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री को क्षेत्र से जुड़े समस्याओं से अवगत कराया, इसके साथ ही उन्होंने क्षेत्र में विकास कार्य की मांग रखी। जिसके बाद सीएम ने जगरगुण्डा में 30 बिस्तरीय अस्पताल के निर्माण की घोषण की है। इसके साथ ही 11 करोड़ 2 लाख लागत राशि के विभिन्न निर्माण कार्यों को स्वीकृति प्रदान की। जिसमें सिलगेर गांव में बिजली लाइन का विस्तार, उरसांगल में 100 सीटर आश्रम भवन, सिलगेर गांव में ही 50 सीटर आश्रम भवन, कुन्देड़ में सार्वभौमिक पीडीएस भवन का निर्माण, सिलगेर, उरसांगल एवं पेएटाचिमली में देवगुड़ी निर्माण कार्यों के लिए अपनी सहमति दे दी है।

क्या हुआ था सिलगेर में

नक्सलियों के खिलाफ अभियान में जुटे सुरक्षा बल बीजापुर-सुकमा जिले की सीमा पर स्थित सिलगेर गांव में एक कैम्प बना रहे हैं। स्थानीय ग्रामीण इस कैम्प का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों का तर्क है कि सुरक्षा बलों ने कैम्प के नाम पर उनके खेतों पर जबरन कब्जा कर लिया है। ऐसे ही एक प्रदर्शन के दौरान 17 मई को सुरक्षा बलों ने गोली चला दी। इसमें तीन ग्रामीणों की मौत हो गई। भगदड़ में घायल एक गर्भवती महिला की कुछ दिन बाद मौत हुई है। पुलिस का कहना था, ग्रामीणों की आंड़ में नक्सलियों ने कैम्प पर हमला किया था। जिसकी वजह से यह घटना हुई। लंबे गतिरोध और चर्चाओं के बाद 10 जून को ग्रामीण आंदोलन स्थगित कर सिलगेर से वापस लौटे हैं।

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