प्रांतीय वॉच

किसान ने रेड राइस की खेती से कमाया सामान्य धान से चौगुना और गेहूं से तिगुना फायदा

Share this
  • सिर्फ वर्मी कम्पोस्ट का किया उपयोग,10 किलो बीज से एक एकड़ में ली 8 क्यूंटल उपज
  • आँनलाइन 100 रुपये प्रति किलो की दर से बिकी धान

संजय महिलांग/नवागढ़/बेमेतरा : परम्परागत खेती करते आये किसान किशोर राजपूत ने अपने एक एकड़ खेत में रेड राइस ( लाल धान/लजनी सुपर) की फसल लगाकर सामान्य धान से चौगुना और गेहूं से सातगुना ज्यादा फायदा कमाया है। इसको देखकर युवा प्रगतिशील किसान किशोर राजपूत काफी उत्साहित है और कहते है कि उन्होंने परम्परागत फसल से हटकर रेड राइस की खेती की। जिससे उन्हें अस्सी हजार सात सौ सत्तर रुपये की शुद्ध आय मिली, जो इतनी ही भूमि पर ग्रीष्म कालीन धान लगाने पर लगभग 23 हजार 990 रुपये और गेहूं लगाने पर 22 हजार रुपये का लाभ मिलता है। इस लिहाज से रेड राइस की फसल से ग्रीष्म कालीन धान से चौगुना और गेहूं की फसल से सात गुना लाभ मिला है। रेड राइस की खेती से मिले फायदे से अब आगे वे खरीफ सत्र 2021 में भी अपने 2.5 हेक्टेयर जमीन में रेड राइस लगाने जा रहे है। उन्होंने पूर्णत: जैविक पद्धति से रेड राइस की खेती की जिसमें उन्होंने खाद के रूप में 6 क्यूंटल वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया। बेमेतरा जिला के नगर पंचायत नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत बताते है कि पहले वे पूरी भूमि में खरीफ में धान की फसल तथा रबी में सिंचित क्षेत्र के 1 हेक्टेयर में गेहूं की फसल उगाते रहे है। गत वर्ष उन्हें गेहूं की 25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज प्राप्त हुआ था। जिसको बाजार में 1600 रुपये की दर से बिक्री किया। इस साल समृद्धि स्वदेशी बीज बैंक से युवा कृषक किशोर राजपूत को रेड राइस की फसल के बारे में बताया। उन्होंने जानकारी एवं प्रदर्शन, बीज उत्पादन कार्यक्रम से जैविक खेती संबंधित प्रशिक्षण से प्रभावित होकर एक हेक्टेयर में रेड राइस फसल लगाने का निश्चय किया। कृषक किशोर राजपूत ने बीज बैक से रेड राइस का 10 किलो बीज नि:शुल्क प्राप्त किया। उन्होंने 6 क्विंटल वर्मी खाद खुद बनाया। रेड राइस उत्पादन के लिये उन्होंने मई माह के अंतिम सप्ताह से खेत की तैयारी शुरू कर दी। नर्सरी की तैयारी के लिये एक मीटर चौड़ा, 7.5 मीटर लम्बा तथा 4 इंच ऊंचा बेड तैयार किया गया। नर्सरी में एक क्विंटल वर्मी कम्पोस्टर एवं 10 क्विंटल गोबर की खाद का उपयोग किया। इस बीच देशी बीज बैंक के सदस्यों का लगातार खेत में आना जारी रहा तथा उनका मार्गदर्शन भी मिलता रहा। रोपाई पूर्व बेस डोज खाद के रूप में खेत में दो ट्रोली गोबर की खाद एवं 2 क्विंटल वर्मी खाद का उपयोग किया गया। कतार से कतार की दूरी 9 से.मी. एवं पौध से पौध की दूरी 10 से.मी. रखने का निर्णय लिया गया। रोपाई का कार्य नर्सरी से पौधा उखाडऩे के तत्काल बाद किया गया। रोपाई के 25 दिन बाद हल्का निदाई किया गया इससे निंदा नियंत्रण से हो गया। रासायनिक उर्वरक एवं पौध संरक्षण कार्य में रासायनिक दवाओं का उपयोग करना नहीं पड़ा। तना छेदक , माहू कीट नियंत्रण के लिये एक लीटर नीम का तेल का स्प्रे किया इससे काफी हद तक कीट नियंत्रण हो गया। फसल कटाई करने पर प्रति एकड़ 8 क्यूंटल उपज प्राप्त हुआ। जिससे उन्हें अस्सी हजार सात सौ सत्तर रुपये की शुद्ध आय मिली, जो इतनी ही भूमि पर ग्रीष्म कालीन धान लगाने पर लगभग 37 हजार 990 रुपये और गेहूं लगाने पर 22 हजार रुपये का लाभ मिलता है। इस लिहाज से रेड राइस की फसल से ग्रीष्म कालीन धान से दुगुना और गेहूं की फसल से तिगुना लाभ मिला है। किसान किशोर राजपूत कहते है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने धान के लिये समर्थन मूल्य 25 रुपये प्रति किलो घोषित किया है। जिससे बेमेतरा जिले में रेड राइस की खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा। उन्होंने अन्य किसानों को आग्रह किया कि वे भी कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाली रेड राइस फसल को लगायें। स्वयं पौष्टिक अन्न खायें तथा बिक्री कर अधिक लाभ कमायें।

Share this

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *