बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के जस्टिस संजय के अग्रवाल ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि आपराधिक प्रकरण दर्ज करने से पहले पुलिस किसी भी अनावेदक को बार-बार थाना नहीं बुला सकती। कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 91 प्रारंभिक जांच में लागू नहीं होगी।
सरकंडा थाने की पुलिस जमीन विवाद के मामले में स्कूल संचालक की शिकायत पर अनावेदक को बार-बार उन्हें थाने बुलाकर परेशान कर रही थी। इस पर उन्होंने हाई कोर्ट की शरण ली थी। छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट आफ एजुकेशन बोर्ड के डायरेक्टर ने जमीन विवाद को लेकर राजेश्वर शर्मा के खिलाफ सरकंडा थाने में शिकायत दर्ज कराई थी। इसमें राजेश्वर पर आरोप लगाया गया कि उनकी जमीन में कब्जा कर लिया है। इस शिकायत के आधार पर सरकंडा पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और इस बहाने दंड प्रक्रिया संहिता के बहाने धारा 91 के तहत राजेश्वर शर्मा को नोटिस जारी कर थाने बुलाया गया। राजेश्वर ने प्रकरण में अपना बयान दर्ज करा दिया। साथ ही उन्होंने अपनी जमीन के दस्तावेज भी प्रस्तुत किए। बावजूद इसके पुलिस उन्हें बार-बार थाने बुलाकर परेशान करती रही और उन पर पुलिसिया दबाव बनाकर प्रताडि़त करती रही।
पुलिस के इस रवैए से तंग आकर उन्होंने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसमें बताया कि पुलिस बिना रिपोर्ट दर्ज किए उन्हें दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के तहत नोटिस जारी कर बार-बार थाने बुला रही है। उनका आरोप था कि पुलिस धारा 91 का दुरुपयोग रही है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि बिना रिपोर्ट दर्ज किए पुलिस धारा 91 की नोटिस कैसे जारी कर सकती है।
इस प्रकरण की सुनवाई जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता के तर्कों से सहमत होकर कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 154 के अंतर्गत रिपोर्ट के पूर्व प्रारंभिक जांच में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 91 लागू नहीं होगी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को इस तरह से नोटिस देकर थाने बुलाने पर ऐतराज भी जताया है।
आपराधिक प्रकरण के पहले लागू नहीं होगी सीआरपीसी की धारा 91 : हाईकोर्ट
