- जंगलो में वन्यप्राणियों के लिए पानी की कमी के चलते जंगली जानवरो का हो रहा है शिकार
- वन विभाग के आला अधिकारियों का दावा जंगल मे जानवरो के लिए पर्याप्त पानी होने का पर जमीनी हकीकत कुछ और बंया कर रही है
यामिनि चंद्राकर/छुरा : गरियाबंद वन मण्डल में जंगली जानवरों का शिलशिला थमने का नाम ही नही ले रहा है और आये दिन बेजुबान जंगली जानवर अपनी जान गंवा रहे है परंतु इस गम्भीर मामले पर विभाग के आला अधिकारियों का चुप्पी समझ से परे है आखिर अधिकारी इस बात का पता क्यू नही लगा रहे है कि गरियाबंद वन मण्डल के वन क्षेत्रों में जंगली जानवरो की असमय मौत का कारण क्या है और बेजुबान जंगली जानवरों का मौत के सिलसिला रोकने के लिए विभाग द्वारा कोई ठोस पहल क्यू नही किया जा रहा है यह अपने आपमे बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है जानकारों का मामना है कि सबसे ज्यादा जंगली जानवरों का शिकार मार्च अप्रेल मई और जून में होता है जिसका मुख्य कारण जंगल क्षेत्र में भीषण गर्मी के चलते नदी नाले व पोखर का सुख जाना है जंगल मे पानी नही होने के कारण वन्यप्राणी अपनी प्यास बुझाने गांवों की तरफ आते है और शिकार हो जाते है बीते तीन माह के अंदर पानी की तलाश में तीन वन्यप्राणी की मौत सामने आई है सबसे पहले छुरा वन परिक्षेत्र के ग्राम खरखरा के पास एक नर बारह सिंगा का सड़क किनारे मौत हो गया प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि बारह सिंगा अपनी प्यास बुझाने खरखरा डेम पहुचा था जिसे शिकारियों द्वारा दौड़ाया जा रहा था जो दौड़ते दौड़ते मुख्य मार्ग पर गिर कर फड़ फड़ा रहा था जिसे गरियाबंद तरफ से आ रहे पुलिसकर्मियों ने जान बचाने बारह सिंगा को पानी पिलाया लेकिन फिर भी उस बेजुबान जानवर को नही बचाया जा सकी वही दूसरी घटना भी वन परिक्षेत्र छुरा के जंगल मे एक मादा भालू भी अपनी प्यास बुझाने एक तालाब के पास पहुचा था लेकिन तालाब में पानी नही होने की वजह से प्यास के चलते मादा भालू ने भी दम तोड़ दिया। वही तीसरी ग्राम तौरेगा के कमार पारा में देखने को मिला जहां 3 कुत्तों ने एक हिरण को दौड़ते हुए बुरी तरीके से पकड़ कर नोच लिया लिया और जान बचाने के चक्कर में हिरण तार को कुदने की चक्कर में फस गए उसके बाद कुत्तों ने हमला तेज कर दिया और हिरण के बच्चे को बुरी तरीक़े से ज़ख़्मी कर दिया
पास में रहने वाले ग्रामीण नागेश तिवारी कुशल राम पकालूराम आदि ने हिरण को बचाने के लिए कुत्तों से छुड़ाकर घर लाया और पानी पिलाकर रखे थे इसके बाद इसकी जानकारी तत्काल परिक्षेत्र अधिकारी पांडुका को दी गई फिर उन्होंने तत्काल गाड़ी और कर्मचारी भेजने की बात कही पर गाड़ी के पहुचने तक हीरण की मौत हो चुकी थी वहीं मौके पर कुसुम पानी के बीट गार्ड नेहरू राम वा चौकीदार मौक़े पर पहुँचे पर हिरण को बचाने में वे नाकामयाब रहे और-देखते हिरण की हालत खराब होते ही प्राण त्याग दिया समय रहते अगर उसे उचित उपचार मिल जाता तो शायद हिरण बच सकता था। जंगलो में पानी की कमी किसी से छुपी नही है लेकिन इस सच्चाई को वन विभाग के आला अधिकारी मानने को तैयार ही नही है गरियाबंद वनमण्डल अधिकारी श्री मयंक अग्रवाल को जब जंगलो में पानी की कमी के बारे में बताया गया तो उन्होंने बताया कि जंगल मे जंगली जानवरों के पीने के लिए पर्याप्त पानी होने का दावा करते है लेकिन जब जंगल मे जाकर देखा जाए तो आला अधिकारियों की सारे दावे खोखले नजर आते है।इधर लगातार वन्यजीवों के शिकार को लेकर वन्यप्राणी प्रेमियों में विभाग के प्रति काफी नाराजगी बढ़ रही है उनका आरोप है कि वन विभाग जानवरो की सुरक्षा को लेकर गम्भीर नही है इस सम्बंध में वन्यजीव प्रेमी अनीश सोलंकी ने बताया कि जंगलो में वन्यप्राणियों के पीने के लिए पर्याप्त पानी की व्यवस्था को लेकर छत्तीसगढ़ के वनमंत्री मो अकबर के साथ प्रदेश के मुख्य वन सरंक्षक को पत्र लिखकर गरियाबंद वनमण्डल के जंगलों में पर्याप्त पानी की सुविधा बनाने की मांग करने की बात कही साथ ही मुख्य वन सरंक्षक महोदय से आग्रह करेंगे कि वर्तमान समय मे जंगलो में वन्यप्राणी के लिए पानी है कि नही इसकी भी जांच प्रदेश की वन विभाग की टीम बनाकर करवाये ताकि विभाग के आला अधिकारियों के दावे में कितनी सच्चाई है इसकी भी पता चल सके l