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रासायनिक खाद के बदले नील हरित शैवाल धान के लिए वरदान

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  • यूरिया के विकल्प के रूप में करें प्रयोग

संजय महिलांग/ नवागढ़ : फसलों की बढ़ोत्तरी में नाइट्रोजन की अहम भूमिका होती है, लेकिन सही फसल चक्र न अपनाने पर इनकी मात्रा मिट्टी में कम हो रही है। ऐसे में किसान नील हरित शैवाल के उपयोग से नाइट्रोजन की मात्रा जैविक तरीके से बढ़ा सकते हैं।

नवागढ़ के युवा किसान किशोर राजपूत वैज्ञानिक नील हरित शैवाल से फायदे के बारे में बताते हैं कि “इसे एक बार खेत में इस्तेमाल करने पर यह अगली फसल के लिए भी उपयोगी तत्व उपलब्ध कराता है। नील हरित शैवाल मिट्टी में पानी संग्रह की क्षमता बढ़ाता है। भूमि के पीएच को एक समान बनाए रखने में मदद करता है और खरपतवारों को पनपने से रोकता है।” वो आगे बताते हैं, “एक पैकेट प्रारम्भिक कल्चर से काफी मात्रा में जैव खाद बनाया जा सकता है। फिर इस बने हुए जैव खाद से और अधिक मात्रा में जैव खाद बनाया जा सकता है।

एक पैकेट में लगभग 200 ग्राम कल्चर होता है।” नील हरित शैवाल जनित जैव उर्वरक में आलोसाइरा, टोलीपोथ्रिक्स, एनावीना, नासटाक, प्लेक्टोनीमा होते हैं। ये शैवाल वातावरण से नाइट्रोजन लेता है। यह नाइट्रोजन धान के उपयोग में तो आता ही है। साथ में धान की कटाई के बाद लगाई जाने वाली अगली फसल को भी नाइट्रोजन और अन्य उपयोगी तत्व उपलब्ध कराता है।

किशोर राजपूत दो साल से निल हरित शैवाल का उपयोग कर रहे हैं उन्होंने कहा, “प्रदेश के विभिन्न नमी वाले क्षेत्रों से नील-हरित शैवाल की पहचान करना जरूरी है, शैवाल के विशेषकर नील-हरित शैवाल से तालाब, पोखरों और अन्य जलश्रोतों के पानी को उपचारित करते हुए सिंचाई करने के लिए काम किया जा रहा है।”

जैव उर्वरक के आर्थिक लाभ
यदि किसान स्वयं इस जैव उर्वरक को बनाएं तो इसकी कीमत लगभग नगण्य होती है और किसान की 25-30 किलो नाइट्रोजन यानी 70 किलो यूरिया की बचत प्रति हेक्टेयर हो सकती है। इस जैव उर्वरक के प्रयोग से कल्ले अधिक बनते हैं और धान की बालियों में दानों का भराव अच्छा होता है, जिससे पांच-सात कुन्तल/हेक्टेयर पैदावार में वृद्धि हो जाती है।

नील हरित शैवाल खाद बनाने के विधि
नील हरित शैवाल खाद के प्रयोग से लगभग 30 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर मिलता है, जो लगभग 65 किलो यूरिया के बराबर है। हरित शैवाल खाद को किसान कम खर्च में अपने घरों के आसपास बेकार पड़ी भूमि में बना सकते हैं। इसके लिए सबसे पहले ऐसे स्थान का चुनाव करना चाहिए जहां सूरज की रोशनी और शुद्ध हवा उपलब्ध हो। इसे बनाने के लिए की शीट से दो मीटर लम्बा, एक मीटर चौड़ा और 15 सेमी ऊंचा एक ट्रे बना लें।

इस प्रकार का ट्रे ईंट और सीमेंट से बना सकते हैं या फिर इसी आकार का गड्ढा खोद कर उसमें नीचे पॉलीथीन शीट बिछा कर पानी डालकर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इस ट्रे में सबसे पहले 10 किलो दोमट मिट्टी में 200 ग्राम सुपरफास्फेट खाद और ग्राम चूना भी मिलाए। इस ट्रे में इतना पानी भरें कि पांच-दस सेमी की ऊंचाई तक हो जाए।

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