टीकम निषाद/देवभोग : मोदी सरकार ने पहले ही किसानों के खिलाफ तीन कृषि कानून पारित कर किसानों की कमर तोड़ चुकी है। और अब उर्वरक खाद की दाम बढ़ाकर किसानों से खेती किसानी छीनने का संकल्प लिया है। किसानों को राहत पहुंचाने की जगह उनके ऊपर आर्थिक बोझ का भार डाल रही है। जिसे कथित किसान हितेषी भाजपा के नेता अनदेखा कर मोदी सरकार की गलत नीतियों का स्वागत कर रहे हैं। मतलब भूपेश सरकार द्वारा राजीव गांधी न्याय योजना से दिए करोड़ों रुपए किसानों के जेब से निकालकर उद्योगपतियों के जेब में डालना चाहती है ।तभी उर्वरक खाद पर 58 फ़ीसदी दाम बढ़ाया है । ऐसे में खेती किसानी से किसान आत्मनिर्भर कैसे बन सकते है । उक्त बातें जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भाव सिंह साहू ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा ।साहू ने आगे बताया कि जो डीएपी खाद 1150 रुपए पर मिलता रहा वह अब 1900 रुपए में लेना पड़ेगा इसके अलावा 1185 रुपए की एमपीके 1747 रुपए पर खरीदने को मजबूर होंगे एवं 850 की 1000 की दाम पर किसानों को दिया जाएगा ।इसके साथ इस तरह की सिंगल सुपर फास्ट की बोरियां में लगभग 36 रुपए बढ़ाया है। ऐसे में स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार किसानों के साथ नहीं बल्कि उद्योगपतियों के साथ खड़ी हुई है । जबकि मोदी सरकार चुनाव से पहले स्वामीनाथन कमेटी की रिपोर्ट लागू करने का घोषणा क्या रहा। जिसमें किसानों को दोगुना लाभ होने का झांसा देकर गद्दी में बैठ गए ।लेकिन वर्तमान केंद्र की भाजपा सरकार किसानों के विरुद्ध एक के बाद एक निर्णय लेकर केवल कारपोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने में लगी हुई है ।जिसका असर छत्तीसगढ़ में काफी बुरा पड़ेगा। क्योंकि राज्य की भूपेश सरकार महंगाई के इस दौर में राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किसानों को मरहम लगाते हुए ।उनके खाते में करोड़ों रुपए डाल रही है। मगर केंद्र सरकार की गलत नीतियों के चलते वह राशि बाहर निकल कर सीधा कारपोरेट कंपनियों के हाथों में चले जाएंगे। भाव सिंह ने यह भी कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार किसानों को पूरी तरह निस्त नाबूत करना चाहती है। तभी उनके खिलाफ इस तरह के फैसले लिया जा रहा है। दुखद बात तो यह है कि देश कोरोना कि वैशयिक महामारी से जूझ रहा है। जहां किसानों की आय पूरी तरह बंद हो गई है ।ऐसे समय खाद का दाम बढ़ाया जाना बिल्कुल अनुचित है।
मोदी सरकार की गलत नीतिया किसानों पर डाल रही आर्थिक बोझ, आत्मनिर्भर कैसे बने किसान : भाव सिंह साहू
