समैया पागे/जगदलपुर : बीजापुर जिले के सिलेगर में हुए घटना को लेकर सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश ठाकुर का कहना है कि कोरोना काल आदिवासियों पर 18 मार्च लगातार फर्जी हत्या , फर्जी , मुठभेड़ फर्जी समर्पण पुलिस द्वारा किया जा रहा है ।आदिवासियों को न्यायिक जांच रिपोर्ट नही दिया गया है न्यायिक जांच के नाम पर खाना पूर्ति किया जा रहा है सोमवार को बीजापुर सुकमा सीमावर्ती गॉव में घटनाओं आदिवासी आकोश हैं ।फर्जी मुठभेड़ होने के बाद जब शिकायत की जाती है तो पुलिस की टीम द्वारा उन्हें सही ठहरा दिया जाता है। ऐसी घटनाओं का न्यायाधीश पुलिस विभाग के आला अफसर ही बन जाते हैं वही लोग न्याय कर देते हैं निर्णय कर देते हैं और मीडिया भी उन्हीं के अनुसार केस की पैरवी करके मामले को दबा दिया जाता है यह कोई नया मामला नहीं है ऐसे मामले बस्तर में हजार हो सकते हैं इसके पूर्व भी कई बड़े-बड़े हत्या हुए हैं उनकी न्यायिक जांच आयोग बने हुए हैं कई साल बीत जाने के बाद भी उन आयोगों की रिपोर्ट अभी तक नहीं आए हैं 12 आयोग की रिपोर्ट आए हैं लेकिन उसमें हत्यारे गुनाहगार को सजा देने के बजाय ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है बीजापुर सिलगेर में हुई घटना को सर्व आदिवासी समाज के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रकाश ठाकुर ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा है कि घटना को लेकर पुरे राज्य व देश के आदिवासी समाज मे भारी आक्रोश है क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों द्वारा शासन प्रशासन से घटना को लेकर चर्चा करनी चाहिए। जिन जनप्रतिनिधियों को बस्तर में शांति एवं सामुदायिक विकास के लिए क्षेत्र की जनता ने वोट देकर जनप्रतिनिधि बनाया वे जनप्रतिनिधि 1 दिन बीत जाने के बाद भी इस घटना से कोई बयान वक्तव्य नहीं आना बहुत सारी आशंकाओं को जन्म देता है। प्रकाश ठाकुर द्वारा इस घटना से आहत होकर अनुसूचित क्षेत्र की संरक्षिका महामहिम राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर इस घटना की प्रारंभिक जानकारी से अवगत करा दिया गया है और आदिवासी समाज की कैंप खोलकर संबंधित गांव की ग्रामीण आदिवासी भाइयों की मौलिक स्वतंत्रता को हनन करते हुए फोर्स के द्वारा जांच के नाम पर लगातार प्रताड़ित किया जाता है जिसके कारण ग्रामीण आदिवासी त्रस्त होकर कैंप स्थापित करने का विरोध करते हैं इस बात की जानकारी दी गई है इस देश में प्रत्येक नागरिक को स्वतंत्रता पूर्वक उसके जन्म भूमि ग्राम में आने-जाने घूमने एवं आजीविका हेतु वनोपज एवं किसानी कार्य करने की स्वतंत्रता संविधान प्रदत है लेकिन बस्तर संभाग के अंदरूनी क्षेत्रों में जहां कैंप स्थापित है वहां पर उनकी मौलिक स्वतंत्रता को ही छीन लिया जाता है बाजार जाने आने से फोर्स की जांच से जनजाति लोग त्रस्त हो जाते हैं पहली चीज उनकी भाषा और जनजातियों की भाषा कोई समाधि स्थापित नहीं हो पाता है इस स्थिति में फोर्स द्वारा ज्यादा थी करते हुए उनको प्रताड़ित किया जाता है जिसके कारण आदिवासी समुदाय स्वस्फर्त विरोध करते हैं व्यक्ति की मौलिक स्वतंत्रता पर जब हनन लगातार होती है तो उसका विरोध होना नैसर्गिक रूप से जायज है इसलिए पुलिस प्रशासन और राज्य सरकार को इस बात का आभास होना चाहिए कि किसी भी व्यक्ति की मौलिक स्वतंत्रता पर हनन क्यों किया जा रहा है इसका जवाब बस्तर के आईजी को देना चाहिए गलत गलत बयान देकर फर्जी मुठभेड़ को नक्सली बताया जा रहा है वीडियो इस हत्याकांड हत्याकांड की सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं उसमें साफ तौर पर निर्दोष निहत्थे आदिवासी समाज के भीड़ पर गोलियां बरसा कर दी गई जिसके कारण नाव आदिवासी मारे गए एवं 2 दर्जन से अधिक घायल बताए जा रहे हैं और आधा दर्जन ग्रामीण अभी भी लापता की खबर है और बस्तर के आईजी द्वारा मीडिया में अलग-अलग तरह की बयाने प्रकाशित हुई हैं अलग-अलग तरह की बयान आ रही है यह सब साबित कर रहे हैं कि वहां पर निर्दोष आदिवासियों को खुले भीड़ में मारा गया है पुलिस प्रशासन गोली चलाने वाले के ऊपर हत्या का मुकदमा दर्ज करें सर्व आदिवासी समान मामले को गम्भीरता से लेते हुए टीम गठित कर घटना की रिपोर्ट राज्यपाल महोदया को सौंपेगी। सिलगेर में जो कल घटना घटी है उससे साफ कर दिया है कि भाजपा और कांग्रेस के बीच में आदिवासियों पर अत्याचार करने की एक बड़ी राजनैतिक साठगाट आज देखने को मिलता है। इस घटना को एक दिन बीतने जा रहा है ना पूर्व सरकार भाजपा ओर वर्तमान छत्तीसगढ़ कांग्रेस सरकार ने भी निंदा नहीं की है । यह बड़ी दुख की बात हैं जो भाजपा शासन में निर्दोष आदिवासियों को पर गोलियां चलाया था आज उससे तो उम्मीद नहीं है कि आज यह कांग्रेस है जिसको कि आज बहुत से बुद्धिजीवी और भी वामपंथी एवं भाजपा के दूसरे विकल्प के तौर पर सुनती है और समाजवादी ताकत साम्यवादी ताकत विकल्प के तौर पर कई राज्यों में संस्था चलाती है । लेकिन आज कांग्रेसी किस प्रकार किस तरह से आज पुराना काल में भी सारे राज्य लड़ाई लड़ रहे हैं ऐसे समय में आज भूपेश बघेल की सरकार अपने आदिवासी समाज के लोगों को गोली मार रहे हैं व कारपोरेट घराने को जमीन देने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण कर रही है। भूपेश सरकार ग्राम सभा का अधिकार होते हुए भी उसको नजरअंदाज करते हुए मनमाने तरीके से बस्तर के सारे आदिवासी इलाकों में भूपेश सरकार ने संविधानिक अधिकार उल्लंघन करते हुए गांव गांव में उनके अधिकारी को उल्लंघन करते हुए कारपोरेट घरानों को प्रदेश से बेच रहे हैं सुकमा जिले के बॉर्डर पर 11 तारीख को अचानक जो है बिना आदिवासियों के पूछे बिना कैंप खोल दिया और उस कैंप के विरोध में हजारों आदिवासी 11 तारीख से ही विरोध में जुटे हुए थे इसकी खबर सोशल मीडिया पर और समाचार पत्रों पर चल रहा था उसके बाद भी आईजी पी सुंदर राज आज कह रहे हैं कि माओवादियों ने हमला किया है माओवादी कभी भी ग्रामीणों के बीच में बीच में रहकर आदिवासियों के बीच में रहकर कभी हमला नहीं करते हैं वहां आदिवासी थे अगर इसी प्रकार से ग्रामीणों के बीच में रहकर हमला करते तो वह कब के उखड़ जाते आपको आपकी बातें झूठ है किस प्रकार के खूनी खेल को बस्तर की जनता सदैव याद रखेगी। राज्य सरकार व पुलिस प्रशासन बस्तर संभाग के अंदरूनी गांव में क्या चीज की जरूरत है उसकी जानकारी वहां के स्थानीय निवासी आदिवासी ग्रामीणों से चर्चा क्यों नहीं करती है उनको क्या चाहिए इस पर कभी बात नहीं करती है जबरन थोपने वाला काम कर रहे हैं। नक्सली व पुलिस आदिवासी समाज के लिए दोनों उतने ही जिम्मेदार हैं आदिवासी समाज को हत्या इन दोनों के द्वारा किया जा रहा है नक्सलियों को अगर पुलिस से लड़ाई लड़ाई लड़ना है तो आमने सामने आकर लड़ाई लड़े अप पुलिस को नक्सलियों से लड़ाई लड़ना है वह भी आमने-सामने आकर लड़ाई लड़ी बीच में आदिवासी लोगों को क्यों घसीटा जा रहा है जब पाकिस्तान में जाकर सर्जिकल स्ट्राइक कर के आतंकवादियों को मार सकते हैं जो बड़े-बड़े नक्सलियों को सर्जिकल स्ट्राइक करके मार दो 50 60 हजार से ज्यादा फोर्स है इतना फोर्स ढाई सौ 500 1000 नक्सलियों को काबू नहीं कर पा रहे हैं कैसा रणनीति कैसा नक्सली उन्मूलन चलाया जा रहा है नक्सली उन्मूलन की आड़ में आदिवासियों का उन्मूलन किया जा रहा है ऐसा ही समझ आ रहा है। इस घटना को लेकर छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज एक जांच टीम गठित करके वहां से बयान दर्ज करके इसकी सीधे रिपोर्ट अनुसूचित क्षेत्र की संरक्षक की का प्रदेश की राज्यपाल महोदय को मेल करेंगे राज्यपाल महोदय ने वहां की वस्तु स्थिति का रिपोर्ट लेकर सीधे अवगत कराने के निर्देश समाज को दिए हैं एक तरफ प्रदेश की सत्ताधारी दल चुनाव घोषणा पत्र में बस्तर संभाग में शांति स्थापित करने की बात करके सत्ता में आई अब शांति स्थापित करना तो दूर आदिवासियों का हत्या करवा रही है इसका मुंहतोड़ जवाब आने वाले चुनाव में बस्तर संभाग में दिया जाएगा चाहे कोई भी पार्टी हो जिम्मेदारी से नहीं बच सकते संविधान सर्वोपरि है संविधान में पांचवी अनुसूची पेशा कानून ग्रामसभा वन अधिकार शब्द प्रावधान है इन प्रावधानों का खुलम खुला उल्लंघन करके संविधान के विरुद्ध जाकर कार्य किया जा रहा है सुप्रीम कोर्ट कई बार इस बाबत निर्देश दे चुकी है कि संविधान सर्वोपरि है ना संसद ना विधायिका कार्यपालिका नाही न्यायपालिका सबसे सर्वोच्च इस देश का संविधान है संविधान के अनुसार सत्ताधारी दल के सरकार और प्रशासनिक अधिकारी इस क्षेत्र में प्रशासन चलाना सुनिश्चित करें संविधान की कसम खाकर पद को धारण करके भारत सरकार की ट्रेजरी से वेतन ले रहे हैं तो भारत के संविधान का पालन भी सुनिश्चित करना उनका कर्तव्य होता है संविधान के विरुद्ध जाकर निर्दोष आदिवासियों का हत्या करना बंद किया जाए।
बीजापुर के सिलगेर में निर्दोष आदिवासियों पर पुलिस द्वारा गोली- बारी किया गया है : प्रकाश ठाकुर
