महासमुंद : महिला एवं बाल विकास विभाग के अफसर सुधाकर बोदले अपने आवास पर ही अनशन पर बैठ गए हैं। वह अपने ही विभाग के दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से नाराज हैं। मामला मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और रेडी-टू-इट योजना में 30 लाख रुपए के घोटाले का है। जांच भी पूरी हो चुकी है, लेकिन एक साल बाद भी फाइल ठंडे बस्ते में है। अफसर का कहना है कि कलेक्टर से शिकायत भी की, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
ब्रांडेड की जगह, लोकल सामान बांटा गया
जानकारी के मुताबिक, मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत हितग्राहियों को सामग्री वितरण की जाती है। इसके लिए टेंडर भी होता है। आरोप है कि 2020 और 2021 में ब्रांडेड की जगह लोकल सामग्री का वितरण किया गया। इसका पता सामग्री के सत्यापन के दौरान चला था। इसी साल गुणवत्ता विहीन रेडी-टू-इट वितरण का मामला पकड़ा गया। करीब 10 लाख रुपए की अनियमितता सामने आई थी।
अनशन के लिए कलेक्टर ने जगह नहीं दी
जांच अधिकारी सुधारक बोदले ने 23 अप्रैल 2020 को कलेक्टर को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। फिर इसी साल 5 मई और 10 मई को भी कलेक्टर को पत्र लिखा, पर कार्रवाई नहीं की गई। इसे देखते हुए अफसर बोदले ने कलेक्टर से अनशन की अनुमति मांगी और शहर में स्थान देने को कहा था। हालांकि कलेक्टर डोमन सिंह ने लॉकडाउन की बात कहकर अनुमति नहीं दी। उन्होंने कहा, मामला मेरे संज्ञान में है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
कोई कार्रवाई नहीं हुई
सुधाकर बोदले ने बताया, ‘अनियमितता पर कार्रवाई के लिए शासन और जिला प्रशासन को जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इसी तरह रेडी-टू-इट वितरण योजना में 10 लाख रुपए की अनियमितता के संबंध में भी मैंने जांच के बाद पत्र लिखा था। रिपोर्ट में पूरा ब्योरा है। उसी के आधार पर दोषी शासकीय अमले पर कार्रवाई की मांग की गई थी, लेकिन आज तक कार्रवाई नहीं हुई। यही कारण है कि मैं अनशन के लिए बाध्य हूं।’