महेन्द सिंह/पांडुका/श्याम नगर/सुरसाबांधा : अंचल में कल अक्षय तृतीया का पर्व बड़े ही जोरों शोरों से बच्चों द्वारा मुख्य रूप से मनाया गया ,बच्चे अपने अपन घरों में ही रहकर पर्व का आनंद उठाएं एवं अपने ही घर के आंगन में तुलसी चौरा के नीचे गुड्डा गुड्डी की शादी की एवं अपने परिवार जनों से ही उनके -भेंट उपहार को प्राप्त किए एवं बड़ों से आशीर्वाद लेकर अक्षय तृतीया पर्व की शुभकामनाएं दी। अक्षय तृतीया का पर्व दान के लिए अत्यधिक प्रसिद्ध है इसलिए इस दिन लोग मंदिरों या ब्राह्मणों के यहां मिट्टी के घड़े को यथा सामर्थ्य अनुसार दान करते हैं एवं ग्रामीण अंचलों में इस दिन विशेष रूप से ठाकुर देव की पूजा की जाती है एवं उन्हें भेंट स्वरूप नए धान चढ़ाए जाते हैं और उसी दिन खेत में जाकर उन धान का छिड़काव कर अच्छे फसल की कामना की जाती है। अंचल के सुप्रसिद्ध पंडित नरेश शर्मा जी ने बताया कि अक्षय तृतीया का पर्व का अर्थ है कभी क्षय न होने वाला पर्व अर्थात शाश्वत तृतीया का दिन है जो कभी क्षय नहीं होता इस दिन किए गए कार्य कभी क्षय नहीं होते एवं इस दिन सभी प्रकार के नए कार्य जैसे विवाह गृह प्रवेश मुंडन इत्यादि कार्य बिना मुहूर्त या पंचांग देखें कर सकते हैं यह एक प्रकार का अबूझ मुहूर्त वाला दिवस है। अक्षय तृतीया के दिन मुख्य रूप से मिट्टी का घड़ा आम सत्तू चना इत्यादि का दान करना चाहिए।
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